एक रात में तीन लड़कियों की बुर की चुदाई ek raat me teen lakiyo ki Chudai

 ये कहानी मेरे ताऊ के लड़के की बेटी श्वेता (बदला हुआ) की है … या यूँ कहो मेरी भतीजी की है.


श्वेता की उम्र पूरी जवान लड़की की है. वो दिखने में बड़ी मस्त माल लगती है. उसके चूचे काफी बड़े हैं. श्वेता की लंबाई 4 फुट 11 इंच की रही होगी. श्वेता मुझे बहुत सेक्सी लगती है. मैं कई बार उसे चोद चुका हूँ पर कभी भी मेरा दिल ऊबता नहीं है.


वैसे तो मैं श्वेता की काफी पहले से चुदाई करता आ रहा हूँ. मगर ये कहानी तब की है, जब मैं शहर में रह कर 12 वीं की पढ़ाई कर रहा था. मैंने शहर में ही रूम किराये पर लिया हुआ था. एक बार जब मैं छुट्टियों में गांव आया, तो मैं श्वेता के घर गया. गांव में घर में शादी भी थी, इसलिए मुझे इस कारण कुछ दिन रुकना भी था.


श्वेता के घर में उसकी माँ थीं. मुझे देखकर उसकी माँ बोलीं- लाला जी आप श्वेता के साथ शहर चले जाना, उसको शॉपिंग करना है. इसे शादी के लिए खरीदारी करना है.


जो मैं चाहता था, वही मुझसे कहा जा रहा था. श्वेता की माँ की ये बात सुनकर मेरे मन में खुशी समा ही नहीं रही थी. मैंने भी झट से हामी भर दी.


वैसे तो मैं और श्वेता औरों के सामने चाचा भतीजी का रिश्ता निभाते थे, मगर अकेले में हम दोनों पति पत्नी बन कर ही रहते थे.


मैं और श्वेता शहर जाने के लिए तैयार हो गए. मेरे गांव से शहर जाने के लिए 2 किलोमीटर पैदल चलकर बस पकड़नी पड़ती है. मैंने रास्ते में ही ये तय कर लिया था कि शहर जाकर पहले मेरे कमरे पर चलेंगे, वहां पर चुदाई का मजा लेंगे और उसके बाद आगे कुछ करेंगे.


मैंने ये प्लान बना लिया था और उसको पटाते हुए हम दोनों रास्ते भर चुदाई की बातें करते चले गए.


मुख्य सड़क पर आकर हमने बस पकड़ी और शहर पहुंच गए. जैसे ही हम शहर पहुंचे, तो मैंने श्वेता से फिर एक बार कहा- चलो पहले रूम पर चलते हैं … बाद में शॉपिंग कर लेना.


उसने भी हां कह दिया, आखिर उसकी चूत में भी खुजली होने लगी थी. रूम पर जाने के लिए मार्किट से होकर जाना पड़ता था, इसलिए मैंने सोचा कंडोम ले लूँ.


मैंने श्वेता से कहा- तुम आगे जाकर रुक जाना … मुझे दुकान से कुछ लेना है.


वो आगे चलकर रुक गई. तब मैंने दुकान से कंडोम ले लिए. मैं उसके पास पहुंचा और उससे चलने के लिए कहा.


वो मेरे साथ चलने लगी. उसने पूछा- तुमने दुकान से क्या लिया है?

मैंने उससे कहा- कंडोम लिए हैं … आज अपन खुल कर चुदाई करेंगे.


इतना सुनकर वो हँस पड़ी और सिर नीचे झुका लिया. भले ही वो मुझसे चुदती थी, लेकिन लड़कियों वाली शर्म उसमें अब भी बाकी थी.


कुछ ही देर में हम दोनों अपने रूम पर पहुंच गए. मैंने कमरे का ताला खोला, फिर अन्दर जाकर बंद कर लिया.


हम दोनों ने तसल्ली से बैठ कर चिप्स खाई और इसके बाद जमीन पर चटाई बिछाकर पसर गए.


हम दोनों दीवार से टिककर एक दूसरे के गले में हाथ डालकर बैठे थे. फिर मैंने श्वेता के होंठों पर होंठ रख दिए और किस करने लगा. वो भी मेरा साथ दे रही थी. किस करते करते ही मैंने उसके सलवार और कुर्ता उतार दिया. वो अब सिर्फ चड्डी और समीज (लेडी बनियान) में रह गई थी.


मैंने अपने सारे कपड़े भी उतार दिए. मैं सिर्फ चड्डी में हो गया.


कुछ देर बाद मैंने उसकी समीज भी उतार दी. अब उसके दोनों चूचे मेरे सामने खुल गए थे. उसके चूचे काफी बड़े हो गए थे. एक चूचा को मेरे एक हाथ में समा नहीं रहा था. उसके दूध बहुत टाइट थे. दूध के ऊपर टंके हुए गुलाबी निप्पल एकदम खड़े हो चुके थे. धीरे धीरे वो गर्म हो रही थी.


पहले तो मैंने अपनी भतीजी श्वेता के मम्मों को खूब दबाया और सहलाया. फिर उसके दोनों मम्मों को बारी बारी से चूसने लगा.


Chacha Bhatiji

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मम्मों की चुसाई से उसके मुँह से आह निकलने लगी. उसकी वासना भड़कती देख कर मैंने उसकी चड्डी उतार कर उसे चित लिटा दिया.

वाह … क्या चूत थी … गुलाबी चुत पर छोटे छोटे घुंघराले बालों के बीच एक सेक्सी सा छेद खुल बंद हो रहा था.


मैंने अपना मुँह उसकी चूत पर रख दिया और चूत चाटने लगा. वो पैर पसार कर तड़पने लगी और अपनी कमर उठाकर चूत चटवाने लगी. उसे भी अपनी चुत रगड़वाने में बहुत आनन्द मिल रहा था.


कुछ देर बाद मैंने उससे पूछा- बेबी तुमने झांटें कब से साफ़ नहीं की?

श्वेता बोली- मेरे चोदू चचा … आज तुमसे ही झांटें साफ़ करवाने का जी कर रहा था.

मैंने कहा- ओके हनी … अभी तेरी झांटें साफ़ कर देता हूँ. बोलो झांटें साफ़ करवाने के लिए क्या लगवाओगी?

श्वेता- क्या लगवाओगी से क्या मतलब है?

मैंने कहा- मतलब बाल साफ़ करवाने वाली क्रीम से झांटें साफ़ करवाना है … या रेजर से चुत की शेविंग करवानी है?


श्वेता अपनी चुत को अपने हाथ से सहलाते हुए बोली- तुमको ही मेरी चूत चोदना है … जैसे भी अच्छा लगे … वैसे साफ़ कर दो.

मैंने कहा- क्रीम तो बाजार से लानी पड़ेगी. रेजर से ही साफ़ कर देता हूँ.

श्वेता- ओके.


मैं शेविंग किट उठा लाया और उसकी चुत पर शेविंग क्रीम लगा कर हाथ से झाग बनाना शुरू कर दिया.


मेरे हाथ से उसको बड़ी गुदगुदी लग रही थी. वो बार बार खिलखिलाते हुए अपनी गांड हिला रही थी.


मैंने उससे कहा- साली हिल मत … अभी तो कुछ नहीं है मैं साबुन लगा रहा हूँ … बाद में रेजर चलाऊंगा, यदि उस वक्त ज्यादा गांड हिलाई, तो चुत का ऑपरेशन हो जाएगा.


वो हंसने लगी और सीधी लेट कर चुत पर साबुन मलवाने लगी.


फिर मैंने उसकी चूत को रेजर से साफ़ किया और अच्छी तरह से धोकर एकदम चिकनी कर दी.


मैंने उसकी चुत साफ़ की, तो श्वेता बोली- लाओ अब मैं तुम्हारी झांटें भी साफ़ कर दूँ.

मैंने कहा- तू तो रहने ही दे … कहीं लंड काट दिया … तो बस ताली बजाने लायक रह जाऊंगा.

श्वेता- मतलब?

मैंने कहा- अबे लंड कट जाएगा, तो हिजड़ा नहीं बन जाऊंगा.

श्वेता हंसने लगी और बोली- चाचा चिकनी चुत को चिकना लंड चाहिए … आज तो तुमको लंड की झांटें साफ़ करनी ही होंगी.


फिर मैंने उसकी बात मानते हुए अपनी झांटें भी साफ़ कर लीं.


अब हम दोनों एक दूसरे के सामने चिकने लंड चुत के सामने तैयार हो गए थे.


मैं उसे लिटा कर उसकी चूत चाटने लगा. वो बोली- चचा ज्यादा मत चाटो … अब मुझसे सहन नहीं हो रहा है. पहले एक बार चोद दो … बाद में अपन 69 का मजा ले लेंगे.


मैंने बाद की कहानी बाद में होगी मेरी जान. मगर पहले कुछ देर तो तुमको मेरा लंड चूस कर गीला करना ही होगा.


मैंने अपने लंड को हिलाया और उसके होंठों पर लंड रख दिया. वो चुदाई से पहले लंड चूसने को तैयार नहीं थी.


मेरे ज्यादा जोर देने पर वो मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी और 5 मिनट तक लंड चूसती रही. अब मुझसे भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था, तो मैंने कंडोम निकाला.


श्वेता कंडोम देख कर बोली- लाओ … मैं लंड को शेरवानी पहना देती हूँ.


उसने बड़े प्यार से मेरे लंड पर कंडोम चढ़ा दिया. मैं उसकी जांघों के बीच आ गया और उसके पैरों को फैलाकर लंड उसकी चूत के होंठों पर रगड़ने लगा. मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए. उसने आंखें बंद कर लीं.


मैंने एक जोरदार झटका दिया, तो मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया. वो दर्द से छटपटाने लगी और मुझे अपने ऊपर से हटाने लगी. काफी दिन बाद चुदाई होने के कारण उसे दर्द हो रहा था.


मैंने उसे जोर से पकड़ लिया. वो चिल्लाना चाह रही थी … मगर चिल्ला नहीं पा रही थी. उसकी आंखों से आंसू बहने लगे थे. मैं भी कुछ पल के लिए रुक गया. जब उसका दर्द कम हुआ, तो मैंने फिर से लंड अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया.


अब उसे भी मज़ा आने लगा. वो भी मेरा साथ देने लगी और चूत उठाकर चुदवाने लगी.


चुदाई का मजेदार खेल हम दोनों को एक दूसरे से टकराने पर मजबूर कर रहा था. हम दोनों जवान थे, कोई भी किसी से पीछे नहीं हटना चाहता था. धकापेल चुदाई होती रही.


कुछ देर बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए. कुछ देर बैठने के बाद हमारा फिर से मूड बन गया. अब मैं लेट गया और श्वेता को अपने लंड पर बैठने को बोला. वो मेरे लंड पर बैठ गई और झटके मारने लगी. कोई 20-25 झटके मारने के बाद वो बोली- अब मुझसे नहीं हो रहा.


मैंने उसे लिटा दिया और उसकी टांगें उठाकर उसे ताबड़तोड़ चोदने लगा.


आधे घंटे चोदने के बाद हम दोनों फिर से झड़ गए. इसके कुछ देर बाद 69 का खेल हुआ और इस तरह हमने उस दिन 3 बार जबरदस्त चुदाई की.


फिर एक घंटे आराम करने के बाद हम दोनों शॉपिंग करके वापस घर आ गए.


घर आने के बाद हम दोनों ने मौक़ा पाते ही फिर से चुदाई की. मैंने उससे कहा अबकी बार शादी में एक दो मस्त चूतें चोदने को मिल जाएं, तो मजा आ जाए.


श्वेता को इस बात से कोई परहेज नहीं था कि मैं किसी और को क्यों चोदता हूँ. बल्कि वो मेरा खुद से साथ देने लगती थी.


हम दोनों ने घर में हुई चुदाई के समय खूब बातें कीं और आने वाली शादी में चुदाई का आइटम ढूँढने की तय कर लिया.


शादी के दिन नजदीक ही आ गए थे. गहर में मेहमानों का आने का सिलसिला शुरू हो गया था.


मेरे पास मेरी आइटम श्वेता तो थी ही. उसके अलावा शादी में दो और लड़कियां मुझे भा गई थीं. पहले उनकी डिटेल दे देता हूँ.


श्वेता के अलावा दूसरी लड़की का नाम रजनी था. रजनी, श्वेता की मौसी की बेटी है. रजनी की उम्र 20 साल होगी. ये मुझसे बड़ी होगी. रजनी दिखने में थोड़ी सांवली है, मगर उसका फिगर कातिलाना है. लंबाई 5 फिट है. वो खुले बालों में बहुत ही मस्त लगती है. उसके चूचे बड़े बड़े हैं.


तीसरी लड़की का नाम रोहिणी है. रोहिणी रजनी के मामा की लड़की है. उसकी लंबाई 5 फिट है, लेकिन रोहिणी की उम्र लगभग श्वेता जितनी ही है. उसके चूचे सबसे छोटे थे … या यूं कहो अभी उसके चूचे उगना शुरू हुए थे. उसकी चुदाई के बाद का एक अनुभव मैं अभी ही लिख रहा हूँ कि उसके एक चूचे को मैं अपने मुँह में पूरा भर लेता था. रोहिणी को अपने चूचे चुसवाने में बहुत ही मज़ा आता था औऱ मुझे चूसने में भी.


तीनों लड़कियों में रोहिणी की कदकाठी सबसे कम थी. जबकि रोहिणी तीनों लड़कियों में सबसे ज्यादा चुदासी थी.


ये तीनों लड़कियां मेरी बड़ी बहन की शादी में आई हुई थीं. रजनी दिखने में बहुत सेक्सी थी, इसलिए शादी से पहले ही सभी पड़ोस के लौंडे उसे लाइन मारने लगे थे. जब वो गलियों से निकलती थी, तो वो लौंडों के लंड खड़े कर जाती थी. मगर वो किसी को भी लाइन नहीं देती थी. रजनी की अदाओं ने मुझे भी घायल कर दिया था. इसलिए मैं भी उसे चोदना चाहता था.


मैंने शादी के एक दिन उससे बोला- चलो खेत पर चलते हैं, वहां कोई नहीं रहता है.

वो भी मेरे इरादों को समझ गई कि मैं उसे अकेले में चोदना चाहता हूँ.

वो बोली- पापा को आने दो … मैं उन्हें बताऊंगी कि तुम मुझे अकेले में मिलने के लिए बुला रहे थे.


मैंने उससे बहुत माफी मांगी … लेकिन उसने माफ नहीं किया. जब मेरे पिता जी दहेज का सामान लेकर आए, तो रजनी छत से चिल्लाने लगी.

वो चिल्लाते हुए कहने लगी- दद्दा जी, आज ज्ञानी मौसा जी मुझसे ऐसा कह रहे थे.

ऐसा कहते हुए उसने कई बार मेरे पिता जी को बुलाया, लेकिन सच नहीं बताया.


जब भी वो कुछ कहने के लिए चिल्लाती, तो मुझे लगता अब ये सब बता देगी. मेरी गांड फट रही थी.


जब मेरे पिता जी उससे पूछते कि क्या हुआ?

तो रजनी बात पलट देती थी कि आज ये बहुत परेशान कर रहे थे.


उसने आखिर तक किसी को कुछ नहीं बताया. इसके बाद वो मुझसे काफी घुल मिल गई. हम अच्छे दोस्त बन गए.


बहन की विदाई होने के बाद अधिकांश रिश्तेदार चले गए थे. लेकिन ये तीन लड़कियां मेरे घर में 2-3 दिन के लिए और रुक गई थीं.


विदाई के दूसरे दिन जब हम सब सबसे ऊपर वाली छत पर लेटने गए, तो हम 4 लोगों के अलावा कोई बड़ा सदस्य हमारे साथ छत पर नहीं था.


हमने छत पर कपड़े बिछाए और लेट गए. मैं भी बातें करते करते उन्हीं के साथ लेट गया. क्योंकि मैंने सोचा भी नहीं था कि मैं उन तीनों को चोदने वाला हूं … और न ही तब मेरा कोई गलत इरादा था.


एक साइड में मेरी भतीजी लेटी थी. उसके बगल में रोहिणी औऱ रोहिणी के बगल में मैं था. मेरे बगल में रजनी लेटी थी. हम सब लोग बातें कर रहे थे. धीरे धीरे सब लोग सोने लगे. मैं भी सोने लगा.


लेकिन जैसे ही मैं सोया रजनी ने मेरी नाक पकड़ ली. मुझे सांस लेने में दिक्कत होने लगी और मेरी नींद टूट गई. मैं फिर से सो गया.


रजनी ने दोबारा यही हरकत की. मैं फिर से जाग गया.


मैंने रजनी से कहा कि मुझे परेशान मत करो … मुझे नींद आ रही है.


ये कह कर मैं फिर से सो गया. कुछ ही देर में मेरी आंख पता नहीं, कैसे खुल गई.


जैसे ही मेरी आंख खुली, तो मैंने देखा कि रजनी चित्त लेटी थी और मैं उसकी तरफ करवट लेकर लेटा था. मेरा एक हाथ उसके सीने पर रखा था और मेरी एक जांघ उसकी कमर पर रखी थी. मेरा पैर उसके दोनों पैरों के ऊपर रखा था. पहले तो मेरा शरीर सुन्न पड़ गया. मेरा लंड उसकी जांघ को छू रहा था. मैंने भी मौके का फायदा उठाना चाहा.


मैं अपना लंड उसकी जांघ से टच करने लगा. मेरा लंड खड़ा हो चुका था. फिर मैंने अपने हाथ से हलचल की औऱ उंगली को चलाने लगा. मैं धीरे धीरे ऊपर से ही उसके मम्मों को मसलने लगा.


तभी उसने थोड़ी हरकत की, तो मैं वहीं रुक गया. फिर उसने मेरी तरफ गर्दन की औऱ मेरे गाल पर किस कर दिया.

जैसे ही उसने मेरे गाल पर किस किया, तो मैंने भी उसे चूम लिया. मैं समझ गया कि वो जाग रही है.


अब मुझे भी उसकी तरफ से हरी झंडी मिल चुकी थी. मैंने अपना हाथ उसके मम्मों से निकाला और उसके पेट पर रख दिया. मैंने अपने हाथ को पेट के रास्ते उसके कुर्ते में घुसा दिया और उसके मम्मों को ब्रा के ऊपर से ही मसलने लगा.


उसने अपने कुर्ते को मम्मों के ऊपर कर दिया. उसके चूचे कुर्ते से बाहर आ गए. उसके चूचे अब सिर्फ ब्रा से ढके थे.


मैं उसके मम्मों को ब्रा से निकाल कर मसलने लगा. उसके चूचे बड़े बड़े होने की वजह से उसके एक बूब को मैं एक हाथ में नहीं पकड़ पा रहा था. बूब टाइट भी थे. मेरा खड़ा लंड उसकी जांघ में छेद करने वाला था और उसकी जांघ में रगड़ रहा था. इससे उसकी सांसें तेज हो गई थीं. वो गर्म हो चुकी थी. मेरा लंड उसकी जांघ को रगड़ रहा था और मेरा एक हाथ उसके एक चूचे को दबा रहा था.


रजनी बहुत गर्म हो रही थी और आह आह की आवाज निकाल रही थी.


कुछ ही देर में उसने मेरी तरफ करवट ले ली. अब लंड और बुर आमने सामने थे. हम दोनों एक दूसरे से कस कर चिपक गए. फिर मैं उसके मम्मों को चूसने लगा. मैं चूचे चूस रहा था और वो मेरे सिर को अपने मम्मों पर दबा रही थी. मुझे उसके मम्मों को चूसने में बड़ा ही मजा आ रहा था क्योंकि मैं पहली बार उसके मम्मों को चूस रहा था.


कभी कभी मैं उसके मम्मों को काट लेता, तो वो हिल जाती थी. मेरा लंड उसकी सलवार के ऊपर से ही उसकी बुर पर दबाब बना रहा था. हम दोनों एक दूसरे को अपनी तरफ खींच रहे थे. मैं मम्मों को हाथ से मसलते हुए चूस रहा था.


मैं एक हाथ से उसकी सलवार का नाड़ा खोलने लगा, तभी उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- जो भी करना है ऊपर से ही कर लो.

जब मैंने पूछा- क्या बात है?

वो बोली- मैं पीरियड से हूँ.

मैंने पूछा- कौन सा दिन है?

वो बोली- पांचवां.

मैंने उसे समझाया कि इसका मतलब है कि तेरे पीरियड का ये आखिरी दिन है. तू बुर की चुदाई करवा सकती है.


वो मेरी बात मान गई और उसने सलवार खिसका कर अपने घुटनों तक कर ली. उसने चड्डी पहनी थी. मैंने उसकी चड्डी के ऊपर से ही उसकी बुर पर हाथ फेरा, तो उसकी बुर गीली हो चुकी थी. उसकी बुर काले घुंघराले बालों से ढकी थी.


उसके मम्मों को चूसते हुए मैंने उसकी चड्डी को नीचे खिसका दिया. कुछ देर बुर पर हाथ फेरने से हम दोनों गर्म हो चुके थे. मैंने अपना लंड उसकी बुर पर रख दिया. उसकी चिकनी बुर पर मेरा लंड फिसल रहा था.


वो गर्म हो चुकी थी और लंड लेना चाहती थी. उसे लग रहा था कि मेरा लंड बुर में घुस नहीं रहा है. इसलिए उसने मेरा लंड हाथ से पकड़ कर अपनी बुर की दरार के बीचों बीच सैट कर दिया औऱ अपनी बुर को मेरे लंड पर दबाने लगी.


मैंने उसे अपने पैरों से उसके पैरों को जकड़ लिया और हाथ से उसकी कमर को पकड़ कर उसकी बुर पर एक झटका दे दिया, जिससे मेरा पूरा का पूरा लंड उसकी बुर में समा गया.


वो मोटे लंड से तड़प उठी और मुझे अपने से दूर करने लगी. मेरी पकड़ मजबूत होने की वजह से अपनी बुर से वो मेरे लंड को बाहर नहीं निकाल पा रही थी. उसकी आंखों में आंसू आ गए. मैं उसकी बुर में लंड डालकर रुक गया. जब उसका दर्द थोड़ा कम हुआ, तो मैंने फिर से लंड को अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया.


अब उसे भी मज़ा आने लगा और वो भी झटके मारने लगी. उसने मुझे अपनी टांगों से जकड़ लिया. हम दोनों साथ साथ झटके मार रहे थे. मैं उसके मम्मों को चूस रहा था और वो मेरे सिर को अपने मम्मों पर दबा रही थी.


वो आह आह की आवाज निकाल रही थी. कोई 20 मिनट की चुदाई के बाद उसका शरीर जकड़ने लगा. उसने झटके तेज कर दिया और मुझे अपनी बांहों में जोर से जकड़ लिया.


उसका पानी निकल गया था. उसके पानी को मैं अपने लंड पर महसूस कर रहा था. उसका पानी निकलने से उसकी बुर और भी चिकनी हो गई, जिससे मुझे उसे चोदने में और भी मजा आ रहा था. अब मैं भी झड़ने वाला था. जैसे ही मैं झड़ने लगा, मैं अपना लंड निकाल कर उसकी सलवार में झड़ गया.


मैंने फिर से लंड उसकी बुर में डाल दिया और कुछ देर हम ऐसे ही चिपके पड़े रहे. कुछ देर बाद हम अलग हो गए. फिर उसने अपनी सलवार पहन ली और कुर्ता भी ठीक कर लिया.


अब हम दोनों ने अलग अलग चादर ओढ़ ली. मैंने भी अपना चादर ओढ़ लिया. वो सो गई थी.


रजनी को एक बार चोदने के बाद मुझे नींद नहीं आ रही थी. कुछ देर मैं लेटा रहा. रजनी की चुदाई को सोच कर मेरा लंड धीरे धीरे फिर से खड़ा हो गया. मैं अपनी चादर ओढ़े हुए था और मेरी चड्डी में लंड खड़ा होकर तम्बू बना रहा था.


तभी रोहणी श्वेता को खिसकाकर खुद श्वेता की जगह लेट गई. वो कब मेरे बगल में आ गयी, मुझे पता ही नहीं चला.


तभी अचानक किसी ने मेरी चादर में हाथ डालकर सीधा मेरे लंड को पकड़ लिया. मैंने देखा, तो वो रोहणी थी.


लंड पकड़ने के बाद वो तुरंत ही मेरे चादर के अन्दर आ गई. मैंने उसे कुछ नहीं कहा और उसे अपने चादर में अपने साथ ढक लिया. वो मेरे साथ लेट गई.


फिर वो अपने हाथ से मेरे लंड को ऊपर नीचे करने लगी. मैं अभी भी शांत लेटा था. धीरे मुझे जोश बढ़ने लगा. फिर हम दोनों एक दूसरे की ओर मुँह करके लेट गए. एक दूसरे को जोर से अपनी बांहों में जकड़ लिया. मैंने उसके होंठों पर होंठ रख दिए और उसके होंठ चूसने लगा. वो भी मेरा साथ दे रही थी.


हम 5 मिनट तक किस करते रहे. मेरे हाथ उसके सीने पर थे और वो मेरे सिर को पकड़कर किस कर रही थी. उसने टॉप और स्कर्ट पहनी हुई थी. मैंने उसके टॉप को ऊपर उठाया, उसने नीचे कुछ भी नहीं पहना था. मैं उसके मम्मों को पकड़कर मसलने लगा. उसके बूब्स बहुत ही छोटे छोटे मगर टाइट थे.


कुछ देर चूचे मसलने के बाद मैं उसके एक चूचे को मुँह में लेकर चूसने लगा. उसके चूचे इतने छोटे थे कि मैं उन्हें अपने मुँह में पूरा भर लेता था. कभी मैं उसके निप्पलों को भी काट लेता, तो वो उछल जाती थी.


उसे चूचे चुसवाने में बहुत मज़ा आ रहा था और मुझे टाइट बूब्स चूसने में.


वो मेरे सिर को अपने मम्मों पर दबा रही थी … ताकि मैं उन्हें अच्छे से चूस सकूँ. अब मैं एक हाथ से स्कर्ट के ऊपर से ही उसकी बुर पर फेरने लगा. उसने अपनी स्कर्ट ऊपर उठा ली. मैंने उसकी चड्डी के ऊपर से ही उसकी बुर पर हाथ रखा, तो उसकी चड्डी गीली हो गई थी.


उसकी चड्डी उसके पानी से चिकनी हो गई थी. मैंने उसकी चड्डी को नीचे खिसकाना चाहा, तो उसके खुद ही चड्डी घुटनों तक सरका ली. मैं तो सिर्फ चड्डी में था, इसलिए मैंने जल्दी ही लंड निकाला और उसकी बुर पर रखकर रगड़ने लगा.


Bur Ki Chudai

Bur Ki Chudai

वो भी लंड लेने के लिए मचल उठी. फिर मैंने बुर में लंड डालना चाहा, मगर लंड सरक गया. उसकी चड्डी घुटनों में फंसी होने की वजह से उसकी टांगें फैल नहीं पा रही थीं. इसलिए हम दोनों ने अपनी अपनी चड्डी उतार कर अलग रख दी और मैंने फिर से उसकी बुर की दरार में लंड रख दिया. उसने भी टांगें चौड़ी कर लीं. हम दोनों ने एक दूसरे की टांगों में टांगें फंसा लीं.


फिर मैंने उसकी बुर पर दबाव लगाया, तो वो उछल पड़ी, वो बोली- दर्द हो रहा है.

मैंने कहा- तो बुर की चुदाई रहने दो … चलो सो जाते हैं … तुम्हें दर्द होगा.


मैंने उससे ऐसा इसलिए कहा, क्योंकि वो छोटी थी और मुझे लग रहा था कि वो मेरा लंड नहीं ले पाएगी. कहीं ऐसा न हो कि वो बुर फटने पर चिल्ला उठे.

लेकिन वो बोली- होने दो दर्द … मुझे मज़ा आ रहा है.

मैंने उसके होंठों पर होंठों रख लिए और एक जोर का झटका दे मारा.


मेरा पूरा लंड उसकी बुर में समा गया. वो तड़प उठी और छटपटाने लगी और मुझे अलग करने लगी. मगर न ही वो चिल्ला पा रही थी, न ही मेरी पकड़ से छूट पा रही थी. उसकी बुर से खून की धार बहने लगी. कुछ देर के लिए मैं भी रुक गया.


कुछ देर में उसका दर्द खत्म हो गया और वो अपनी कमर हिलाने लगी. मैं समझ गया कि उसे भी मज़ा आ रहा है. फिर मैं भी झटके पर झटका मारने लगा. उधर से वो कमर हिला कर चुदवा रही थी. मैं उसके मम्मों को मसलता जा रहा था और वो मेरे होंठों से लगकर मेरे होंठ चूस रही थी.


हम दोनों लगातार काफी देर तक बुर की चुदाई करते रहे. इसके बाद हम दोनों साथ में झड़ गए. मैंने अपना पानी उसकी बुर में ही निकाल दिया. कुछ देर मैं उसकी बुर में लंड डालकर ऐसे ही पड़ा रहा.


दस मिनट बाद मेरा लंड उसकी बुर में फिर से हरकत करने लगा … तो वो भी अपनी कमर धीरे धीरे आगे पीछे करने लगी.


फिर रोहणी बोली- तुम मेरे ऊपर चढ़कर चोदो.

मैंने कहा- चाँदनी रात है … कोई देख न ले.

वो बोली- अभी तो रात है … कोई नहीं देखेगा … और अगर देखता है, तो देखने दो.


मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसे चोदने लगा. वो टांगें फैला कर चुदवा रही थी. वो अपने दोनों हाथों से मेरी कमर पकड़ कर अपनी बुर पर दबा रही थी और नीचे से कूल्हे उठा उठा कर चुदवा रही थी.


चुदाई करते करते 4 बज गए थे. तभी मैं एक बार फिर से झड़ गया. मैंने फिर से उसकी बुर में ही पानी डाल दिया था.


अब वो बोली- अब हम लोग बिल्कुल नंगे होकर चुदाई करते हैं.

मैंने कहा- सुबह होने वाली है, कोई देख न ले.

वो बोली- चलो नीचे चलते हैं.


हम दोनों नीचे मेरे रूम में आ गए. रूम में घुसते ही हम दोनों ने अपने अपने कपड़े उतार दिए और एक दूसरे के सामने नंगे खड़े हो गए. उसके छोटे छोटे बूब्स बहुत कमाल के लग रहे थे. उसकी बिना झांटों की बुर बहुत प्यारी लग रही थी. मैंने तुरंत उसे बिस्तर पर पटक लिया और किस करने लगा. किस करते हुए मैं उसके मम्मों मसल रहा था.


फिर मैं उठकर उसके मुँह के पास लंड ले गया और उससे लंड चूसने को बोला, तो वो मेरा लंड चूसने लगी.


वो लेटी थी और कभी कभी मैं उसके मुँह में लंड जोर से दबा देता था, जिससे मेरा पूरा लौड़ा उसके गले तक चला जाता था. वो लंड इतना अच्छे से चूस रही थी कि मैं जल्दी ही उसके मुँह में झड़ गया. वो मेरा सारा माल गटक गई और उसने मेरे लौड़े को चाटकर साफ कर दिया.


मैंने लंड उसके मुँह से निकाल लिया और आकर उसकी बुर पर मुँह रखकर उसे चाटने लगा. वो बुर चुसवाने में मस्त हो गई और वो अपनी कमर उठाकर चुसवाने लगी. वो मेरे सिर को अपनी बुर पर दबा रही थी और आह आह की आवाज निकाल रही थी. कुछ देर बाद उसका शरीर अकड़ने लगा और फिर वो झड़ गई. मेरा लंड भी खड़ा हो चुका था और उसकी बुर भी चिकनी हो गई थी, इसलिए मैंने भी देर न करते हुए लंड उसकी बुर पर टिकाया और पेल दिया. एक ही झटके में पूरा लंड उसकी बुर में चला गया.


उसने मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया. ऊपर से मैं बुर में झटके मार रहा था और नीचे से वो कमर उठा उठा कर मेरे लंड को अपनी बुर में ले रही थी.


हम दोनों ने बहुत देर तक चुदाई की और फिर हम दोनों एक साथ झड़ गए. कुछ देर हम ऐसे ही लेटे रहे.


अब सुबह हो चुकी थी. हमने अपने कपड़े पहने और मैंने उसे कमरे से निकाल दिया. वो फिर से छत पर जाकर सो गई.


श्वेता की बुर भी मचल रही थी. वो एक घंटे बाद मेरे कमरे में आ गई. मैं सो रहा था. उसने मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया.

मैं जाग गया, तो उसने मुझे लगभग दबोचते हुए कहा- चचा भोसड़ी के … दो को चोद चुके हो, अपनी इस परमानेंट रखैल की आग भी बुझा दो.


मैंने उठ कर उसकी बुर की चुदाई भी कर दी. वो चुत चुदवाते हुए हंस रही थी. उसे मालूम हो गया था कि मैंने रोहिणी और रजनी को भी चोद दिया था.


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