यह बात फरवरी 2016 की है। मैं उनके यहाँ गया हुआ था। एक रात को भैया और उनकी मम्मी यानि कि मेरी भाभी की सास को रात में ही एक रिश्तेदार के यहाँ जाना पड़ा क्योंकि वहाँ किसी की डेथ हो गई थी।
रात को 11:00 बजे के करीब भाभी आई और आकर मेरी रजाई में घुस गई। मुझे नहीं पता था कि घर में कोई नहीं है. इस तरह अचानक भाभी के आ जाने से मैं थोड़ा हड़बड़ा सा गया. मैं समझ रहा था कि भाभी, उनकी सास और मेरे भैया की मौजूदगी में ही मेरी रजाई में आ घुसी. मैं डर गया।
मैंने पूछा- आप यहाँ कैसे?
भाभी- तेरे भाई से लड़ाई हो गई, मैं अब तेरे पास ही सोऊंगी।
मैं- पागल हो क्या आप?
भाभी- कुछ भी समझ ले, मैं नहीं जाने वाली।
मैं- भाभी किसी को पता चला तो गड़बड़ हो जायेगी. आप यहां से जाओ।
भाभी- मैं नहीं जा रही हूं। मैं यहीं रहूंगी। तेरे साथ ही सोऊंगी. जिसे जो लगे, लगने दो।
मैं उदास हो गया और डर भी रहा था तो भाभी हँसने लगी और बोली- जानेमन, घर में तेरे और मेरे अलावा कोई नहीं है.
फिर भाभी ने मुझे पूरी बात बताई। भाभी मेरे साथ मजे ले रही थी. वो मुझे जान बूझ कर डरा रही थी. मुझे हल्का सा गुस्सा आ गया और मैंने उनकी चूची को बहुत जोर से भींच दिया. इस पर उनकी सिसकारी निकल गई- स्स्स … आआ … आराम से हरामी!
मैं- मुझे डराती हो … आज मैं आपको कच्ची ही खा जाऊंगा।
भाभी- एक तो तू मुझे ‘आप’ कहना बन्द कर और अगर खाने का इतना ही शौक है तो खा जा … रोका किसने है?
मैंने सेक्सी भाभी को चूमना चालू किया और उनकी चूचियों को दबा-दबा कर उनके कमीज के अंदर ही भुर्ता बनाने लगा। भाभी मस्ती में आ गई और जोर से सिसकारियां लेने लगी और मेरे सिर के बाल नोंचने लगी। मैं कभी उनके होंठों को तो कभी उनकी गर्दन को किस कर रहा था।
तभी उन्होंने मुझे ऊपर दूसरे कमरे में चलने के लिए कहा. ऊपर जाकर मैंने देखा कि कमरे में एक तख्त लगा हुआ था और उस पर एक गद्दा बिछा हुआ था. उसने गद्दे को नीचे डाल लिया. दूसरे कमरे में बच्चे सो रहे थे।
भाभी ने मुझे तख्त पर धक्का दिया और दरवाजा बंद करके मेरे ऊपर टूट पड़ी. वह मेरे होंठों को चूसने लगी. मैं भी भाभी को अपनी बांहों में लेकर उसके होंठों को चूसने लगा. हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूस रहे थे.
भाभी के हाथ मेरी टी-शर्ट के बटन खोलने लगे. उन्होंने बटन खोल कर मेरी टी-शर्ट निकाल दी. मेरी छाती को नंगी कर दिया. वह फिर से मेरी गर्दन को चूसने चाटने लगी. मेरी लोअर में मेरा लंड हल्ला मचा रहा था और मेरी गांड खुद ही उठ कर भाभी की चूत तक मेरे लंड को पहुंचाने की कोशिश कर रही थी मगर बीच में सलवार आ रही थी.
मैंने भाभी की गांड को उसकी सलवार के ऊपर से ही दबाना शुरू कर दिया. मैं भाभी के चूतड़ों को जोर से भींचने लगा. मन कर रहा था सेक्सी भाभी की चूत को फाड़ ही दूं आज. भाभी आज कुछ ज्यादा ही गर्म हो रही थी. मस्ती में आकर भाभी ने मेरी छाती पर हाथ फिराना शुरू कर दिया. उनका एक हाथ मेरी छाती पर सांप की तरह सरक रहा था और दूसरा हाथ नीचे मेरी लोअर में तने लौड़े पर जाकर उसको और ज्यादा जोशीला बना रहा था.
गर्म भाभी की सेक्सी हरकतें मेरे अंदर जैसे आग लगा रही थी. वह भले ही बदन से मोटी थी लेकिन उसके अंदर सेक्स कूट-कूट कर भरा हुआ था. अब मैं भी समझ गया था कि इस भाभी को शांत करने के लिए तो कामदेव को भी अपनी सारी ताकत झोंकनी पड़ जाये. भाभी मेरे लंड को मसलते हुए उसे बार-बार अपने हाथ में लेकर दबा देती और फिर उसके टोपे को छेड़ देती थी. उसने मुझे पागल कर दिया.
अब मुझसे रुका नहीं जा रहा था. मगर इससे पहले मैं कुछ करता भाभी ने मेरी लोअर पर हमला बोल दिया. वह मेरी लोअर पर अपने मुंह को ले गई और मेरे तने हुए लौड़े पर अपनी नाक को रख कर उसको अपनी नाक से रगड़ने लगी. आह्ह … मेरे मुंह से जोर की आहें निकलने लगी.
अगले ही पल भाभी ने मेरी लोअर को खींच दिया और मेरी जांघों को नंगी करते हुए मेरे लंड को अंडरवियर में तना हुआ छोड़ दिया. मेरा लंड जैसे पगला गया था. वह भाभी की चूत में जाने के लिए जैसे भीख मांगने लगा था मगर भाभी थी कि उस पर जरा भी दया नहीं कर रही थी.
भाभी ने मेरे अंडरवियर में तने हुए लंड पर अपने होंठ रख दिये और उसको अपने होंठों से सहलाने लगी. मैंने भाभी के सिर को पकड़ लिया और अपनी गांड को उठा-उठा कर तेजी से अपने तने हुए लंड को भाभी के मुंह पर मारने लगा. मैं बेकाबू हो गया था. मैं तो सोच रहा था कि पता नहीं भैया इस सेक्स की प्यासी भाभी के सामने कैसे टिक पाते होंगे.
कुछ देर तक मेरे लंड को अंडरवियर के ऊपर से ही चूसने के बाद भाभी ने मेरे कच्छा को निकाल दिया और जैसे ही मेरा लौड़ा बाहर आया भाभी ने तुरंत उसको अपने गर्म मुंह में भर लिया. आह्ह … मैं तो मचल गया भाभी की इस हरकत से. मैंने तेजी से भाभी के मुंह को चोदना शुरू कर दिया मगर भाभी ने मेरे लंड पर दांत गड़ा दिये इसलिए मुझे रफ्तार धीमी करनी पड़ी.
फिर उसने लंड को अपने मुंह से निकाल लिया और मेरी जांघों पर लंड के आस-पास से चूमने लगी. भाभी ने मेरे हाथ पकड़ कर तख्त पर दबा लिये और मेरी गोलियों को चूमते हुए मुझे तड़पाने लगी. मैं काम की आग में जैसे जल रहा था. मैंने उसकी चूचियों को झपटने की कोशिश की मगर वो मुझसे बच जाती थी.
कुछ देर तक ऐसा ही खेल खेलने के बाद भाभी ने कहा- जनाब, अकेले ही नंगे पड़े रह कर मजा लेते रहोगे या किसी और की तरफ भी ध्यान दोगे?
मैं भाभी के ऊपर आ गया और उनके कमीज को ऊपर करते हुए उनको ब्रा में छोड़ दिया. मैंने भाभी के पेट को चूमा और फिर ब्रा पर झपट पड़ा. मैंने भाभी की ब्रा को लगभग फाड़ ही दिया था. लेकिन भाभी ने मेरे हाथ रोक लिये और मैंने आराम से उसकी ब्रा को उसके चूचों से अलग कर दिया.
भाभी के चूचे मेरे सामने नंगे हो गये थे. मैं चूचों को चूसने लगा और उसके मोटे-मोटे निप्पलों को काटने लगा. भाभी मस्ती में सिसकारी लेने लगी. मैंने दांतों का दबाव थोड़ा सा और बढ़ाया तो भाभी ने मेरे बालों को नोंच लिया. मैंने भाभी के निप्पलों को काट-काट कर लाल कर दिया.
उसके बाद मैं भाभी के चूचों को दबाते हुए नीचे की तरफ उनकी नाभि की तरफ बढ़ा. मैंने भाभी की नाभि में जीभ घुसा दी. यूं तो उसके पेट पर काफी चर्बी थी मगर भाभी के साथ मैं इतना गर्म हो चुका था मेरा इन सब बातों पर ध्यान नहीं जा रहा था. कुछ देर तक मैं भाभी की नाभि में जीभ को घुमाता रहा.
फिर मैंने भाभी की सलवार का नाड़ा खोल दिया और उसकी चूत से पैंटी को सरकाते हुए उसकी जांघों को नंगी कर दिया. भाभी की चूत ने पानी छोड़ कर उसकी चूत को आस-पास के एरिया से गीला कर दिया था. पहले मैं चूत बाहर निकल रहे पानी को चाटा तो मजा सा आया. फिर मैं भी भाभी की चूत के आस-पास वाले एरिया को किस करने लगा. कभी उसके बालों को चूस लेता तो कभी उसकी चूत की फांकों को दांतों से पकड़ कर खींच लेता.
भाभी कसमसा कर रह जाती थी. उसकी चूत से अजीब सी खुशबू आ रही थी जो मुझे अच्छी लग रही थी. मैंने भाभी की चूत में उंगली करनी शुरू कर दी. भाभी सिसयाने लगी. स्स्स् … आ… राजा … बस करो … मत करो ऐसे अपनी भाभी के साथ. क्यूं तड़पा रहे हो मुझे मेरे जानू … मगर भाभी की चूत में उंगली करके मैं भाभी को तड़पाने का आनंद लेता रहा. भाभी ने कुछ देर तो मुझसे मिन्नतें कीं लेकिन जब मैंने उसकी बात नहीं मानी तो उसने मेरे गाल पर एक चांटा जड़ दिया.
बोली- हरामी, आज ही जान निकालेगा क्या मेरी चूत को चाट कर. इसको चोद भी दे अब.
फिर मुझे भी भाभी की चूत पर गुस्सा आ गया.
मैंने अपनी गर्म जीभ भाभी की जलती हुई भट्टी में रख कर अंदर घुसा दी तो भाभी सिहर उठी. उसने मेरे मुंह को अपनी चूत में घुसाने के लिए पूरा जोर लगा दिया. मेरी नाक से सांस लेने में भी मुझे परेशानी होने लगी लेकिन भाभी ने कस कर मुझे दबाया हुआ था. मैंने भाभी की चूत में जीभ को अंदर-बाहर करना चालू रखा. मैंने जोर लगाकर खुद को भाभी के हाथों के चंगुल से छुड़वाया तो मेरी सांस फूल गई थी. उसकी चूत की गुफा में बहुत अंधेरा था मगर उसको चाट कर जो नमकीन स्वाद आया उसका मजा भी अलग ही था.
मेरा लौड़ा भी पूरे ताव में था और भाभी की चूत भी पूरी गर्म हो चुकी थी. दोनों के बदन नंगे थे और अब चुदाई के लिए पल भर का इंतजार भी नहीं हो पा रहा था. भाभी बार-बार मुझे अपने ऊपर खींच रही थी. मैं भाभी की बेचैनी समझ रहा था और मेरी हालत भी कुछ ऐसी ही थी.
मैंने अपने गर्म लंड को भाभी की भट्टी में घुसा दिया और उसके चूचों को अपने हाथ में भर उसकी चूत को पेलने लगा. भाभी गांड उठा उठा कर मेरा लंड लेने लगी. धक्के दोनों तरफ से बराबर के लगने लगे. आह उम्म्ह… अहह… हय… याह… आआह … करते हुए हम दोनों ही चुदाई का मजा लेने लगे.
पहली बार जब भाभी को शादी वाले दिन चोदा था तो इतना मजा नहीं आया था मगर आज जब भाभी पूरी नंगी थी और मैं भी पूरा नंगा था तो चुदाई का मजा भी अलग ही आ रहा था. मैं जोर जोर से भाभी की चूत को पेलने में लगा हुआ था और भाभी भी अपनी चूत को उछाल-उछाल कर मेरे लंड का पूरा जोश निचोड़ने की कोशिश कर रही थी.
दस मिनट में ही इस गर्मागर्म चुदाई का क्लाइमेक्स करीब आ पहुंचा. मेरे लौड़े से लावा फूटने को था मगर भाभी के बारे में अभी कुछ नहीं पता नहीं लग रहा था कि उसकी चूत का फव्वारा अभी कितनी देर में बाहर आकर गिरेगा. मैंने भाभी की चूत को चोदना जारी रखा.
उसकी सिसकारियाँ हर पल बढ़ती जा रही थीं. इधर मेरे लंड के अंदर वीर्य को रोके हुए बुरा हाल हो चुका था और वो किसी भी पल बाहर आकर भाभी की चूत में भरने के अंदर ही अंदर लहर बनकर उछल रहा था. मैंने पूरी ताकत से भाभी की चूत में दो धक्के लगाए और मेरा वीर्य उछल कर बाहर आने लगा.
जैसे ही मेरे लंड से पहली पिचकारी निकली भाभी की चूत ने भी अपना फव्वारा छोड़ना शुरू कर दिया. आह … होह्… हम्म … आह्ह्ह्ह … करते हुए हम दोनों ही झड़ने लगे. भाभी दो मिनट में ही ढीली पड़ने लगी और मैं भी भाभी की चूत में अपना लावा उड़ेल कर उसके ऊपर गिर पड़ा. मजा आ गया दोस्तो.
उस दिन भाभी को मैंने रात भर नंगी करके ही चोदा. हमारी चुदाई के चार राउंड हुए. चारों ही राउंड में भाभी का जोश देखने लायक था. उसकी चूत मेरे लंड के रस को हर बार अपने अंदर ही पी जाती थी. लगता था कि भाभी चूत बहुत दिनों से प्यासी थी. मैं भी उसको चोद कर बिल्कुल खाली हो गया था.
मैं उस दिन अब तक भाभी को दो बार चोद चुका था. फिर थकान के चलते मैं भाभी के ऊपर ही लेट कर सो गया. सुबह भाभी को जल्दी उठना पड़ता है, क्योंकि उनके बच्चे स्कूल जाते हैं.
मगर भाभी तो उस दिन सुबह ही चुदने के लिए तैयार थीं. वो मेरे बालों में हाथ फेर रही थीं, जिससे मेरी आँख खुल गई.
मैंने उनको चूमा और गुड मॉर्निंग विश किया. उन्होंने भी गुड मॉर्निंग बोलते हुए मुझे किस करना शुरू कर दिया.
बस फिर क्या था. मैं गर्म हो गया. भाभी जल्दी से एक बार और चुदाई करने को बोलने लगीं.
मैंने उन्हें गांड की चुदाई करने की इच्छा बताई तो भाभी बोलीं- नहीं यार … वहां बहुत दर्द होगा.
मैं- हां भाभी … थोड़ा सा ही तो होगा … सहन कर लेना न!
भाभी- नहीं … थोड़ा नहीं … बहुत दर्द होगा … मैं बर्दाश्त ही नहीं कर पाऊंगी.
मैं- भाभी आपको पहली बार में जितना दर्द चूत में हुआ था, बस उतना ही होगा.
भाभी- पहली बार में भी तो बहुत हुआ था.
मैं- तो आपने बर्दाश्त कैसे किया था?
भाभी- तब तो तुम्हारे भाई ने जबरन पेल दिया था.
मैं- तो अब मैं पेल देता हूं.
भाभी- तू भी पेल दे … मगर आगे पेल … पीछे नहीं.
मैं- नहीं पीछे की दो … क्या मेरे लिए आप इतना नहीं कर सकती हो.
भाभी- ओके … पर इस वक्त नहीं … पीछे की बाद में मार लेना.
मैं- नहीं अभी.
वो मेरे बहुत मनाने पर मान गईं और तेल ले आईं. मैंने उनको अपने ऊपर खींचा और किस करने लगा.
उन्होंने जल्दी करने को बोला, तो मैंने गद्दा मोड़ कर औंधा लेटा दिया और उनकी गांड को ऊपर की तरफ उठा कर उनकी कमर पर और गांड पर किस करने लगा. भाभी मस्त होने लगीं. मैं उंगली से तेल उनकी गांड के छेद में लगाने लगा. तेल से भाभी की गांड को चिकनी करके पहले एक उंगली से गांड को ढीला किया, फिर दो उंगलियों से गांड को कुछ और फैलाया.
मैंने भाभी से पूछा- कुछ दर्द हो रहा क्या?
भाभी- नहीं … उंगली से तो नहीं हुआ.
मैंने कहा- अब लंड से भी नहीं होगा. बस आप साथ देना.
भाभी राजी हो गईं उनका डर भी कम हो गया.
मैंने लंड को तेल से चिकना करते हुए उनकी गांड पर लंड का सुपारा टिका दिया. फिर आगे हाथ बढ़ा कर एक हाथ से उनके एक चुचे को पकड़ कर धीरे से लंड को अन्दर फंसा दिया.
लंड का टोपा अन्दर जाते ही भाभी को दर्द हुआ और उनकी जोर की ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… उईई … मम्मी रे … मर गई..’ की आवाज आई. मैं रुक गया और उनकी चूत की फांकों को अपने हाथ से मलने लगा और उनकी गर्दन पर किस करने लगा.
जब उनको कुछ दर्द कम हुआ, तो वे अपना हाथ पीछे मेरी गांड पर लाईं और नीचे की तरफ दबाया. मैंने भी जोर लगा कर धक्का मार कर आधा लंड अन्दर कर दिया.
उनको फिर से दर्द हुआ और वो ‘ऊऊऊन्ह … मोटा है … आह लगती है..’ करने लगीं. मगर मैंने लंड को निकाला नहीं … मैं बस उनके मम्मों को दबाने लगा और उनकी चूत को रगड़ने लगा.
उन्होंने धीरे से कराहते हुए कहा- एक ही बार में डाल कर 5-6 धक्के मार दो … मेरी परवाह मत करो!
ये सुनते ही मैंने लंड को बाहर को खींच कर बाकी लंड पर तेल की बूंदें टपकाईं और तेल की चिकनाई कुछ ज्यादा करते हुए एक जबरदस्त धक्का दे मारा.
भाभी की माँ चुद गई. उनकी तेज चीख निकल गई. उन्होंने अपने दांत भींचते हुए अपनी मुट्ठियां बंद कर लीं और ‘सीसीईईई … मर गई … इऊऊ … बहुत मोटा है … आआह्ह्ह … रुक जा..’ कहने लगीं.
मैंने लंड को निकाल कर फिर से पेल दिया और उनकी गांड में लंड को अन्दर बाहर करने लगा.
हर धक्के पर भाभी की आह निकल रही थी. वो खूब जोर से दर्द भरी चीख निकाल रही थीं.
मैं 8-10 धक्के लगा कर रुक गया और उनकी कमर को चाटने लगा. उनकी चूत को हाथ से मलने लगा और चूची को दबाने लगा.
जब भाभी को दर्द कम हुआ, तो मैं लंड को अन्दर बाहर करने लगा.
भाभी लगातार सिसकार रही थीं. जब उनको मजा आने लगा, तो मैंने अपनी स्पीड बढ़ानी शुरू कर दी और फुल स्पीड में भाभी की गांड में धक्के मारने लगा. भाभी भी धीरे धीरे मस्त होती जा रही थीं और उनकी कामुक सिसकारियां मेरा जोश बढ़ा रही थीं. मैं लगातार उनकी चूचियों को दबा रहा था और चूत को रगड़ रहा था … जिसे उनको डबल मजा आ रहा था. भाभी मस्ती में गांड चुदवाने लगी थीं.
कुछ देर बाद मैंने अपना लंड उनकी गांड में ही झाड़ दिया और उनकी कमर पर लेट कर लंबी लंबी सांसें लेने लगा.
भाभी की भी हालत खराब थी. कुछ देर हम ऐसे ही लेटे रहे. फिर भाभी लंगड़ाती हुई उठीं और बाथरूम में जाकर खुद को साफ़ करके बच्चों का नाश्ता तैयार करने चली गईं. बाद में भाभी ने बच्चों उठा कर तैयार किया और स्कूल भेज कर फारिग हो गईं.
तब तक मैं भी फ्रेश हो गया था. भाभी हम दोनों के लिए चाय लेकर आ गईं.
मैंने उनको अपनी गोद में बिठाया और हम दोनों चाय पीने लगे.
मैंने भाभी को छेड़ते हुए पूछा- भाभी और आपने किस किस के साथ किया है.
भाभी गुस्से में कहने लगीं- बहुत सारों के साथ किया है … मैं एक रंडी हूँ न. हर जगह मुँह मारती फिरती हूं.
मैं- मेरा वो मतलब नहीं था भाभी.
भाभी- तो क्या मतलब था. मैं क्या सब का लंड चूसती फिरती हूं.
मैं- वो तो आपने मेरा भी नहीं चूसा.
भाभी मेरे लंड को मरोड़ते हुए बोलीं- तेरे भाई के बाद तू दूसरा मर्द है, जिसने मुझे चोदा है.
मैं- अच्छा जी और औरतों ने?
भाभी- बस मेरी मामा की लड़की ने ही मेरे साथ लेस्बो किया था.
मैं- वो कैसे भाभी?
भाभी- मेरी मामा की लड़की रीमा मुझसे 4 साल छोटी है. वो साली स्कूल टाइम से ही सेक्स में एक्सपर्ट हो गई थी. उसी कुतिया ने मुझे सेक्स का सब ज्ञान दे दिया था.
ये कह कर भाभी हंसने लगीं.
भाभी ने रीमा यानि अपनी बहन का काल्पनिक नाम रखा था.
मैं- तो क्या किया उसने आपके साथ?
भाभी- ये बात मेरी शादी से पहले की है. वो हमारे यहां रहने आई थी. वो बहुत ही हंसमुख थी. तब मेरी उम्र 22 साल की थी. वो जब भी अकेले में मिलती थी, तो कभी मेरी चूची मसल देती थी, तो कभी चुत को सहला देती थी.
मैं- फिर?
भाभी- एक बार मेरी ताई के लड़की के रिश्ते वाले आने वाले थे. मैं कमरे में उसके सामने कपड़े बदलने लगी. मगर जैसे ही मैंने अपनी टी-शर्ट उतारी, उसने मुझे अपने पास खाट पर खींच लिया और मेरी ब्रा के ऊपर से ही मेरी चूची भींच दी. जिससे मेरी दर्द भरी सिसकारी ‘सीईईई..’ निकल गई. मगर अगले ही पल उसने मेरे होंठों को अपने होंठों में लेकर चूमना शुरू कर दिया और एक हाथ से मेरी चुत को रगड़ने लगी. उसने दूसरे हाथ से मेरे बाल पकड़ लिए थे. मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि वो क्या करना चहती है. ऐसा नहीं था कि मुझे सेक्स के बारे में कुछ नहीं पता था. मगर एक लड़की दूसरी लड़की के साथ ऐसा भी कर सकती है, ये मैंने कभी सोचा ही नहीं था.
मैं- फिर?
भाभी- जब उसने कुछ देर इस तरह से किया, तो मुझे मजा आने लगा. फिर उसने मेरे बाल छोड़ कर मेरी चूची पकड़ा ली और मेरी ब्रा के ऊपर से ही चूसने लगी, दबाने लगी. फिर उसने मेरी ब्रा को निकाल कर कर चूची को नंगा किया और जोर जोर से दबाने लगी. इसी के साथ वो मेरी चुत में भी उंगली डाल कर अन्दर बाहर करने लगी. मैं तो पागल होने लगी थी. कुछ देर बाद मेरा शरीर अकड़ने लगा. मेरी चुत से पानी निकल गया … और मैं शांत हो गई.
मैं- फिर?
भाभी- मैंने उसे अपने ऊपर से हटाया और कपड़े पहनने लगी. वो बोली कि अब तुम भी यही सब मेरे साथ करो. मैंने उससे रात में करने का बोला और ताई के पास चलने का कह कर उठ गई.
मैं- फिर रात में क्या हुआ?
भाभी- उस रात हम दोनों बहुत मस्ती की. इसके बाद भी हमने बहुत बार एक दूसरे के साथ ये सब किया. कुछ दिनों बाद वो चली गई और मैं अकेली ही अपनी चुत में उंगली करने लगी.
भाभी और उनकी बहन की कहानी सुन कर मैं गर्म हो गया था और लंड भी अकड़ गया था. मैं भाभी के चुचे रगड़ने लगा और उनको चूमने लगा. भाभी भी मस्ती में ‘ऊहह … आहहह..’ करने लगीं.
तभी मैंने उनकी सलवार को खोला और उनको घोड़ी बना कर सूट को ऊपर कर के लंड को अन्दर डाल कर चोदने लगा. भाभी भी गर्म हो गई थीं. वे मेरा साथ देने लगीं. मैं भाभी के मम्मों को पकड़ कर दबाने लगा.
चूंकि इस समय दिन का वक्त था और कोई भी आकर हमारे रंग में भंग न डाल दे, इसलिए मैं फुल स्पीड में भाभी को चोदने लगा.
कुछ देर बाद भाभी जब थक गईं, तो उन्होंने अपने सिर को नीचे रख लिया. मैं उनको फुल स्पीड से चोदते हुए उनकी चुत में ही झड़ गया. कुछ देर बाद हम अलग हुए तो भाभी ने मेरे गाल पर चुटकी काटी और अपने कपड़े ठीक करके घर का काम करने लगीं.
भाभी जब तक अपना काम करके फ्री हुईं, तब तक 12 बज चुके थे. भाभी मेरे पास आईं. मैं अभी तक बिस्तर में ही पड़ा था. भाभी ने मेरे बाल खींचे और मुझे किस किया. मैंने भी उनको अपनी रजाई में खींच लिया और उनके चूचों को मसलने लगा.
भाभी मस्ती से सिस्कार कर रह गईं. फिर उन्होंने मुझे रोका और भाई को फ़ोन मिला दिया.
भाई के फ़ोन उठाने पर भाभी बोलीं- कहां हो?
भाई- अभी तो यहीं हूं. यहां पर काफी काम पड़ा है.
भाभी- तो फिर कब तक आओगे?
भाई- बस 6 बजे तक आ जाऊंगा.
भाभी- कंडोम ले आना रात के लिए.
भाई- तुझे कोई और काम नहीं क्या … रखता हूं … बाद में करूंगा.
मैंने भाभी से कहा- क्या बात है … बड़े कंडोम चाहिए.
भाभी- मुझे पता था, वो मना करेंगे क्योंकि 3 दिन पहले ही उन्होंने मुझे किया था.
मैं- क्या किया था?
भाभी- तेरी भाभी चोदी थी और क्या किया था.
मैं- अच्छा जी … और अब मैं चोदूंगा.
भाभी- तेरे बस की बात नहीं है.
मैं- तो अब तक क्या आप पड़ोसी के लंड पर झूल रही थीं.
भाभी ने हंस कर मेरे लंड को मरोड़ दिया. मैंने भी भाभी को पकड़ कर नीचे कर लिया और उनको रगड़ कर गर्म करने लगा. कुछ देर बाद मैंने भाभी की सलवार खोल कर लंड डाल दिया और उनको चोदने लगा. भाभी के सूट को ऊपर करके उनके मम्मे दबाने लगा. दस मिनट की धाकपेल चुदाई के बाद मैंने भाभी की चुत में ही सारा माल डाल दिया.
भाभी- तुम हर बार अन्दर ही माल छोड़ देते हो … अगर मेरे बच्चा रह गया तो?
मैं- तो 9 महीने मजा करना.
भाभी- हमेशा मस्ती में ही रहता है.
मैं- क्या करूँ, जिसके पास तुम्हारे जैसा माल हो … वो मस्ती ही करेगा.
भाभी- मैं माल हूं?
मैं- नहीं … आइटम नंबर वन हो आप!
भाभी- जा मैं तुझसे बात नहीं करती.
मैं- मत करो … बस एक बार और दे देना.
हम दोनों ऐसे ही मस्ती कर रहे थे, तब तक बच्चों की बस आ गई और भाभी बच्चों को लेने चली गईं.
फिर भाभी ने सबका खाना लगाया और सबने खाना खाया. बच्चे 2:30 बजे ट्यूशन पर चले गए और भाभी मेरे पास आ गईं.
भाभी बोलीं- जल्दी से एक बार और कर दो.
मैं- क्या?
भाभी- मेरी आरती.
मैं- मैं क्या कोई पुजारी हूं.
भाभी मेरे लंड को पकड़ कर बोलीं- भोसड़ी के … जल्दी से इससे मेरे अन्दर डाल कर चुदाई कर दे … ज्यादा बकचोदी बाद में करना.
मैं- अच्छा लंड चाहिए, तो ऐसे बोलो न.
भाभी को मैं रगड़ने लगा.
भाभी ने खुद अपनी सलवार निकाल दी और मुझे सीधा लिटा कर मेरे ऊपर आ गईं. वो मुझे किस करते हुए मेरे लंड को अपनी चूत पर सैट करके लंड अपनी चुत में खा गईं और धक्के लगाने लगीं.
मगर रात भर चुदने के कारण भाभी जल्दी झड़ गईं और मेरे ऊपर ही लेट गईं. मैंने उनको पलट कर नीचे किया और लंड डाल कर उनको चोदने लगा. कुछ देर बाद मैं भी उनकी चुत में ही झड़ गया.
हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे. फिर शाम को मैंने बाजार से भाभी के लिए गोली लाकर दी, जिसे भाभी ने खा ली.
शाम तक सब लोग आ गए थे. रात को कुछ नहीं हुआ और सुबह मैं अपने घर के लिए निकल गया.
अब भाभी से सिर्फ फ़ोन पर ही बात होती थीं. मौका मिलते ही हम फोन सेक्स भी कर लेते थे.
मैं अपने लिए पार्ट टाइम जॉब की ढूंढ रहा था और किस्मत से भाभी के मामा के गांव के पास एक फैक्ट्री में मुझे सुपरवाइजर की नौकरी मिल गई. मैं वहीं फैक्ट्री की कालोनी में रहने लगा.
मगर वहां पर गंदगी बहुत रहती थी … तो मैं उस गांव में ही कमरा ढूढ़ने लगा. मगर अच्छा सा कमरा नहीं मिल रहा था.
जब भाभी को मैंने ये बात बताई, तो उन्होंने अपने मामा से बात करके मुझे बताया कि उनके यहां एक कमरा खाली है.
जब मैंने वो कमरा देखा तो मुझे पसंद आ गया और मैंने वहां रहना शुरू कर दिया.
इधर भाभी की बहन रुबी (काल्पनिक नाम) जो कि बहुत चुलबुली थी, उससे मेरी कभी कभी बात होती थी.
फिर एक बार भाभी के दूसरे मामा के दूसरा बच्चा हुआ … तो भाभी भी वहां कुछ दिन के लिए रहने आ गईं.
पहली ही रात को भाभी का काम उठ गया. जब शाम को मैं ड्यूटी से आया तो भाभी का बेटा मेरे पास आ गया और मेरे साथ ही रहा. फिर मैंने उसको बातों से इस तरीके से पटाया कि भाभी रात को मेरे पास रहें और किसी के पता भी ना चले.
उस रात को मैंने खाना भी उनके घर ही खाया. फिर रात को 9:30 बजे में सोने चला, तो मेरा भतीजा मेरे साथ सोने की जिद करने लगा. जैसा कि मैंने उससे कहा था. मैं बच्चे की जिद को लेकर भाभी को भी साथ चलने के लिए कहने लगा.
जब वो नहीं माना, तो भाभी की मामी ने कहा कि तुम भी चली जाओ और जब ये सो जाए, तो आ जाना.
मामी ने उनको बच्चे के लिए दूध भी दे दिया.
मेरे कमरे में आकर उसको जबरदस्ती दूध पिला दिया … और वो मेरे साथ खेलते खेलते सो गया.
उसको सुला कर मैंने भाभी को अपने पास खींच लिया और उनके होंठों को चूमते हुए कहा- आज तो एक नंबर की लग रही हो.
भाभी- तारीफ कर रहे हो या मस्का मार रहे हो.
मैं- मेरी क्या औकात कि मैं आपकी तारीफ करूं. मैं तो जो सच है, वो बता रहा हूँ.
भाभी- अच्छा तो जल्दी से एक अच्छे वाला सेक्स करो. बहुत दिन से प्यासी हूं.
मैं- जल्दी किस बात की है, आज रात हमारी है … मस्ती से करेंगे.
भाभी- बच्चू … ये मेरे मामा का घर है. आपकी सुहागसेज नहीं है.
मैं- तो बना दो सेज.
भाभी- पागल हो क्या कोई आ गया … तो मुश्किल हो जाएगी.
मैं- लाइट बंद रखेंगे. अगर कोई आया तो सोचेगा कि हम सो रहे हैं.
भाभी- लगता है जनाब का इरादा कुछ ठीक नहीं है.
मैं- इरादा का तो पता नहीं, पर आज रात आपका हाल बुरा होने वाला है.
भाभी- अच्छा … तो देर कैसी … क्या अब कोई पंडित मुहूर्त निकलेगा क्या?
मैं- निकालूँगा तो मैं … पर आपके अन्दर.
भाभी- तो निकाल न … रोका किसने है.
मैं उनको किस करने लगा और उनके मम्मों को मुट्ठी में भींचने लगा. भाभी भी मेरा साथ देने लगीं. मैंने उनको खूब रगड़ा और धीरे से उनके सूट को निकाल दिया. भाभी की ब्रा के ऊपर से ही उनके चुचों को चूसने लगा.
भाभी ने भी मेरी टी-शर्ट उतार दी और अपने पैरों से मेरे लोअर और निक्कर को उतार दिया. भाभी मेरी छाती को चूमने और चूसने लगीं और धीरे धीरे मेरे लंड पर जाकर उससे चूमने और चूसने लगीं. मुझे मजा आ गया क्योंकि आज भाभी मेरा लंड चूस रही थीं.
मैंने उनसे मजाक किया- लंड चूसना कब सीख लिया?
भाभी हंस दीं … मगर कुछ बोली नहीं.
फिर भाभी अपनी चूत को लंड पर रगड़ने लगीं. लंड चूसते चूसते कब उन्होंने अपनी सलवार और ब्रा उतारी, मुझे पता भी नहीं चला. तभी भाभी ने एकदम मेरे ऊपर आकर अपनी चूत को लंड पर फंसाया और रगड़ने लगीं. मुझे ख़ूब मजा आ रहा था.
उन्होंने लंड को पकड़ कर चूत पर सैट किया और एकदम से लंड पर बैठ गईं. लंड लेते ही भाभी ने एक मादक सिसकारी ली और धीरे धीरे ऊपर नीचे होने लगीं. उनकी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ की आवाज निकलने लगी.
भाभी की इस हरकत ने मुझे एक अलग ही मजा दिया. भाभी अब अपनी फुल स्पीड से ऊपर नीचे होने लगीं और खूब मस्ती के साथ चुदाई का मजा लेने लगीं.
उस रात 3 बजे तक हम चुदाई की मस्ती करते रहे. मैं एक बार भाभी की गांड भी मारी.
सुबह भाभी चली गईं और वे जब तक वहां रहीं. हम दोनों मौका मिलते ही चुदाई की मस्ती कर लेते थे.
रात को 11:00 बजे के करीब भाभी आई और आकर मेरी रजाई में घुस गई। मुझे नहीं पता था कि घर में कोई नहीं है. इस तरह अचानक भाभी के आ जाने से मैं थोड़ा हड़बड़ा सा गया. मैं समझ रहा था कि भाभी, उनकी सास और मेरे भैया की मौजूदगी में ही मेरी रजाई में आ घुसी. मैं डर गया।
मैंने पूछा- आप यहाँ कैसे?
भाभी- तेरे भाई से लड़ाई हो गई, मैं अब तेरे पास ही सोऊंगी।
मैं- पागल हो क्या आप?
भाभी- कुछ भी समझ ले, मैं नहीं जाने वाली।
मैं- भाभी किसी को पता चला तो गड़बड़ हो जायेगी. आप यहां से जाओ।
भाभी- मैं नहीं जा रही हूं। मैं यहीं रहूंगी। तेरे साथ ही सोऊंगी. जिसे जो लगे, लगने दो।
मैं उदास हो गया और डर भी रहा था तो भाभी हँसने लगी और बोली- जानेमन, घर में तेरे और मेरे अलावा कोई नहीं है.
फिर भाभी ने मुझे पूरी बात बताई। भाभी मेरे साथ मजे ले रही थी. वो मुझे जान बूझ कर डरा रही थी. मुझे हल्का सा गुस्सा आ गया और मैंने उनकी चूची को बहुत जोर से भींच दिया. इस पर उनकी सिसकारी निकल गई- स्स्स … आआ … आराम से हरामी!
मैं- मुझे डराती हो … आज मैं आपको कच्ची ही खा जाऊंगा।
भाभी- एक तो तू मुझे ‘आप’ कहना बन्द कर और अगर खाने का इतना ही शौक है तो खा जा … रोका किसने है?
मैंने सेक्सी भाभी को चूमना चालू किया और उनकी चूचियों को दबा-दबा कर उनके कमीज के अंदर ही भुर्ता बनाने लगा। भाभी मस्ती में आ गई और जोर से सिसकारियां लेने लगी और मेरे सिर के बाल नोंचने लगी। मैं कभी उनके होंठों को तो कभी उनकी गर्दन को किस कर रहा था।
तभी उन्होंने मुझे ऊपर दूसरे कमरे में चलने के लिए कहा. ऊपर जाकर मैंने देखा कि कमरे में एक तख्त लगा हुआ था और उस पर एक गद्दा बिछा हुआ था. उसने गद्दे को नीचे डाल लिया. दूसरे कमरे में बच्चे सो रहे थे।
भाभी ने मुझे तख्त पर धक्का दिया और दरवाजा बंद करके मेरे ऊपर टूट पड़ी. वह मेरे होंठों को चूसने लगी. मैं भी भाभी को अपनी बांहों में लेकर उसके होंठों को चूसने लगा. हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूस रहे थे.
भाभी के हाथ मेरी टी-शर्ट के बटन खोलने लगे. उन्होंने बटन खोल कर मेरी टी-शर्ट निकाल दी. मेरी छाती को नंगी कर दिया. वह फिर से मेरी गर्दन को चूसने चाटने लगी. मेरी लोअर में मेरा लंड हल्ला मचा रहा था और मेरी गांड खुद ही उठ कर भाभी की चूत तक मेरे लंड को पहुंचाने की कोशिश कर रही थी मगर बीच में सलवार आ रही थी.
मैंने भाभी की गांड को उसकी सलवार के ऊपर से ही दबाना शुरू कर दिया. मैं भाभी के चूतड़ों को जोर से भींचने लगा. मन कर रहा था सेक्सी भाभी की चूत को फाड़ ही दूं आज. भाभी आज कुछ ज्यादा ही गर्म हो रही थी. मस्ती में आकर भाभी ने मेरी छाती पर हाथ फिराना शुरू कर दिया. उनका एक हाथ मेरी छाती पर सांप की तरह सरक रहा था और दूसरा हाथ नीचे मेरी लोअर में तने लौड़े पर जाकर उसको और ज्यादा जोशीला बना रहा था.
गर्म भाभी की सेक्सी हरकतें मेरे अंदर जैसे आग लगा रही थी. वह भले ही बदन से मोटी थी लेकिन उसके अंदर सेक्स कूट-कूट कर भरा हुआ था. अब मैं भी समझ गया था कि इस भाभी को शांत करने के लिए तो कामदेव को भी अपनी सारी ताकत झोंकनी पड़ जाये. भाभी मेरे लंड को मसलते हुए उसे बार-बार अपने हाथ में लेकर दबा देती और फिर उसके टोपे को छेड़ देती थी. उसने मुझे पागल कर दिया.
अब मुझसे रुका नहीं जा रहा था. मगर इससे पहले मैं कुछ करता भाभी ने मेरी लोअर पर हमला बोल दिया. वह मेरी लोअर पर अपने मुंह को ले गई और मेरे तने हुए लौड़े पर अपनी नाक को रख कर उसको अपनी नाक से रगड़ने लगी. आह्ह … मेरे मुंह से जोर की आहें निकलने लगी.
अगले ही पल भाभी ने मेरी लोअर को खींच दिया और मेरी जांघों को नंगी करते हुए मेरे लंड को अंडरवियर में तना हुआ छोड़ दिया. मेरा लंड जैसे पगला गया था. वह भाभी की चूत में जाने के लिए जैसे भीख मांगने लगा था मगर भाभी थी कि उस पर जरा भी दया नहीं कर रही थी.
भाभी ने मेरे अंडरवियर में तने हुए लंड पर अपने होंठ रख दिये और उसको अपने होंठों से सहलाने लगी. मैंने भाभी के सिर को पकड़ लिया और अपनी गांड को उठा-उठा कर तेजी से अपने तने हुए लंड को भाभी के मुंह पर मारने लगा. मैं बेकाबू हो गया था. मैं तो सोच रहा था कि पता नहीं भैया इस सेक्स की प्यासी भाभी के सामने कैसे टिक पाते होंगे.
कुछ देर तक मेरे लंड को अंडरवियर के ऊपर से ही चूसने के बाद भाभी ने मेरे कच्छा को निकाल दिया और जैसे ही मेरा लौड़ा बाहर आया भाभी ने तुरंत उसको अपने गर्म मुंह में भर लिया. आह्ह … मैं तो मचल गया भाभी की इस हरकत से. मैंने तेजी से भाभी के मुंह को चोदना शुरू कर दिया मगर भाभी ने मेरे लंड पर दांत गड़ा दिये इसलिए मुझे रफ्तार धीमी करनी पड़ी.
फिर उसने लंड को अपने मुंह से निकाल लिया और मेरी जांघों पर लंड के आस-पास से चूमने लगी. भाभी ने मेरे हाथ पकड़ कर तख्त पर दबा लिये और मेरी गोलियों को चूमते हुए मुझे तड़पाने लगी. मैं काम की आग में जैसे जल रहा था. मैंने उसकी चूचियों को झपटने की कोशिश की मगर वो मुझसे बच जाती थी.
कुछ देर तक ऐसा ही खेल खेलने के बाद भाभी ने कहा- जनाब, अकेले ही नंगे पड़े रह कर मजा लेते रहोगे या किसी और की तरफ भी ध्यान दोगे?
मैं भाभी के ऊपर आ गया और उनके कमीज को ऊपर करते हुए उनको ब्रा में छोड़ दिया. मैंने भाभी के पेट को चूमा और फिर ब्रा पर झपट पड़ा. मैंने भाभी की ब्रा को लगभग फाड़ ही दिया था. लेकिन भाभी ने मेरे हाथ रोक लिये और मैंने आराम से उसकी ब्रा को उसके चूचों से अलग कर दिया.
भाभी के चूचे मेरे सामने नंगे हो गये थे. मैं चूचों को चूसने लगा और उसके मोटे-मोटे निप्पलों को काटने लगा. भाभी मस्ती में सिसकारी लेने लगी. मैंने दांतों का दबाव थोड़ा सा और बढ़ाया तो भाभी ने मेरे बालों को नोंच लिया. मैंने भाभी के निप्पलों को काट-काट कर लाल कर दिया.
उसके बाद मैं भाभी के चूचों को दबाते हुए नीचे की तरफ उनकी नाभि की तरफ बढ़ा. मैंने भाभी की नाभि में जीभ घुसा दी. यूं तो उसके पेट पर काफी चर्बी थी मगर भाभी के साथ मैं इतना गर्म हो चुका था मेरा इन सब बातों पर ध्यान नहीं जा रहा था. कुछ देर तक मैं भाभी की नाभि में जीभ को घुमाता रहा.
फिर मैंने भाभी की सलवार का नाड़ा खोल दिया और उसकी चूत से पैंटी को सरकाते हुए उसकी जांघों को नंगी कर दिया. भाभी की चूत ने पानी छोड़ कर उसकी चूत को आस-पास के एरिया से गीला कर दिया था. पहले मैं चूत बाहर निकल रहे पानी को चाटा तो मजा सा आया. फिर मैं भी भाभी की चूत के आस-पास वाले एरिया को किस करने लगा. कभी उसके बालों को चूस लेता तो कभी उसकी चूत की फांकों को दांतों से पकड़ कर खींच लेता.
भाभी कसमसा कर रह जाती थी. उसकी चूत से अजीब सी खुशबू आ रही थी जो मुझे अच्छी लग रही थी. मैंने भाभी की चूत में उंगली करनी शुरू कर दी. भाभी सिसयाने लगी. स्स्स् … आ… राजा … बस करो … मत करो ऐसे अपनी भाभी के साथ. क्यूं तड़पा रहे हो मुझे मेरे जानू … मगर भाभी की चूत में उंगली करके मैं भाभी को तड़पाने का आनंद लेता रहा. भाभी ने कुछ देर तो मुझसे मिन्नतें कीं लेकिन जब मैंने उसकी बात नहीं मानी तो उसने मेरे गाल पर एक चांटा जड़ दिया.
बोली- हरामी, आज ही जान निकालेगा क्या मेरी चूत को चाट कर. इसको चोद भी दे अब.
फिर मुझे भी भाभी की चूत पर गुस्सा आ गया.
मैंने अपनी गर्म जीभ भाभी की जलती हुई भट्टी में रख कर अंदर घुसा दी तो भाभी सिहर उठी. उसने मेरे मुंह को अपनी चूत में घुसाने के लिए पूरा जोर लगा दिया. मेरी नाक से सांस लेने में भी मुझे परेशानी होने लगी लेकिन भाभी ने कस कर मुझे दबाया हुआ था. मैंने भाभी की चूत में जीभ को अंदर-बाहर करना चालू रखा. मैंने जोर लगाकर खुद को भाभी के हाथों के चंगुल से छुड़वाया तो मेरी सांस फूल गई थी. उसकी चूत की गुफा में बहुत अंधेरा था मगर उसको चाट कर जो नमकीन स्वाद आया उसका मजा भी अलग ही था.
मेरा लौड़ा भी पूरे ताव में था और भाभी की चूत भी पूरी गर्म हो चुकी थी. दोनों के बदन नंगे थे और अब चुदाई के लिए पल भर का इंतजार भी नहीं हो पा रहा था. भाभी बार-बार मुझे अपने ऊपर खींच रही थी. मैं भाभी की बेचैनी समझ रहा था और मेरी हालत भी कुछ ऐसी ही थी.
मैंने अपने गर्म लंड को भाभी की भट्टी में घुसा दिया और उसके चूचों को अपने हाथ में भर उसकी चूत को पेलने लगा. भाभी गांड उठा उठा कर मेरा लंड लेने लगी. धक्के दोनों तरफ से बराबर के लगने लगे. आह उम्म्ह… अहह… हय… याह… आआह … करते हुए हम दोनों ही चुदाई का मजा लेने लगे.
पहली बार जब भाभी को शादी वाले दिन चोदा था तो इतना मजा नहीं आया था मगर आज जब भाभी पूरी नंगी थी और मैं भी पूरा नंगा था तो चुदाई का मजा भी अलग ही आ रहा था. मैं जोर जोर से भाभी की चूत को पेलने में लगा हुआ था और भाभी भी अपनी चूत को उछाल-उछाल कर मेरे लंड का पूरा जोश निचोड़ने की कोशिश कर रही थी.
दस मिनट में ही इस गर्मागर्म चुदाई का क्लाइमेक्स करीब आ पहुंचा. मेरे लौड़े से लावा फूटने को था मगर भाभी के बारे में अभी कुछ नहीं पता नहीं लग रहा था कि उसकी चूत का फव्वारा अभी कितनी देर में बाहर आकर गिरेगा. मैंने भाभी की चूत को चोदना जारी रखा.
उसकी सिसकारियाँ हर पल बढ़ती जा रही थीं. इधर मेरे लंड के अंदर वीर्य को रोके हुए बुरा हाल हो चुका था और वो किसी भी पल बाहर आकर भाभी की चूत में भरने के अंदर ही अंदर लहर बनकर उछल रहा था. मैंने पूरी ताकत से भाभी की चूत में दो धक्के लगाए और मेरा वीर्य उछल कर बाहर आने लगा.
जैसे ही मेरे लंड से पहली पिचकारी निकली भाभी की चूत ने भी अपना फव्वारा छोड़ना शुरू कर दिया. आह … होह्… हम्म … आह्ह्ह्ह … करते हुए हम दोनों ही झड़ने लगे. भाभी दो मिनट में ही ढीली पड़ने लगी और मैं भी भाभी की चूत में अपना लावा उड़ेल कर उसके ऊपर गिर पड़ा. मजा आ गया दोस्तो.
उस दिन भाभी को मैंने रात भर नंगी करके ही चोदा. हमारी चुदाई के चार राउंड हुए. चारों ही राउंड में भाभी का जोश देखने लायक था. उसकी चूत मेरे लंड के रस को हर बार अपने अंदर ही पी जाती थी. लगता था कि भाभी चूत बहुत दिनों से प्यासी थी. मैं भी उसको चोद कर बिल्कुल खाली हो गया था.
मैं उस दिन अब तक भाभी को दो बार चोद चुका था. फिर थकान के चलते मैं भाभी के ऊपर ही लेट कर सो गया. सुबह भाभी को जल्दी उठना पड़ता है, क्योंकि उनके बच्चे स्कूल जाते हैं.
मगर भाभी तो उस दिन सुबह ही चुदने के लिए तैयार थीं. वो मेरे बालों में हाथ फेर रही थीं, जिससे मेरी आँख खुल गई.
मैंने उनको चूमा और गुड मॉर्निंग विश किया. उन्होंने भी गुड मॉर्निंग बोलते हुए मुझे किस करना शुरू कर दिया.
बस फिर क्या था. मैं गर्म हो गया. भाभी जल्दी से एक बार और चुदाई करने को बोलने लगीं.
मैंने उन्हें गांड की चुदाई करने की इच्छा बताई तो भाभी बोलीं- नहीं यार … वहां बहुत दर्द होगा.
मैं- हां भाभी … थोड़ा सा ही तो होगा … सहन कर लेना न!
भाभी- नहीं … थोड़ा नहीं … बहुत दर्द होगा … मैं बर्दाश्त ही नहीं कर पाऊंगी.
मैं- भाभी आपको पहली बार में जितना दर्द चूत में हुआ था, बस उतना ही होगा.
भाभी- पहली बार में भी तो बहुत हुआ था.
मैं- तो आपने बर्दाश्त कैसे किया था?
भाभी- तब तो तुम्हारे भाई ने जबरन पेल दिया था.
मैं- तो अब मैं पेल देता हूं.
भाभी- तू भी पेल दे … मगर आगे पेल … पीछे नहीं.
मैं- नहीं पीछे की दो … क्या मेरे लिए आप इतना नहीं कर सकती हो.
भाभी- ओके … पर इस वक्त नहीं … पीछे की बाद में मार लेना.
मैं- नहीं अभी.
वो मेरे बहुत मनाने पर मान गईं और तेल ले आईं. मैंने उनको अपने ऊपर खींचा और किस करने लगा.
उन्होंने जल्दी करने को बोला, तो मैंने गद्दा मोड़ कर औंधा लेटा दिया और उनकी गांड को ऊपर की तरफ उठा कर उनकी कमर पर और गांड पर किस करने लगा. भाभी मस्त होने लगीं. मैं उंगली से तेल उनकी गांड के छेद में लगाने लगा. तेल से भाभी की गांड को चिकनी करके पहले एक उंगली से गांड को ढीला किया, फिर दो उंगलियों से गांड को कुछ और फैलाया.
मैंने भाभी से पूछा- कुछ दर्द हो रहा क्या?
भाभी- नहीं … उंगली से तो नहीं हुआ.
मैंने कहा- अब लंड से भी नहीं होगा. बस आप साथ देना.
भाभी राजी हो गईं उनका डर भी कम हो गया.
मैंने लंड को तेल से चिकना करते हुए उनकी गांड पर लंड का सुपारा टिका दिया. फिर आगे हाथ बढ़ा कर एक हाथ से उनके एक चुचे को पकड़ कर धीरे से लंड को अन्दर फंसा दिया.
लंड का टोपा अन्दर जाते ही भाभी को दर्द हुआ और उनकी जोर की ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… उईई … मम्मी रे … मर गई..’ की आवाज आई. मैं रुक गया और उनकी चूत की फांकों को अपने हाथ से मलने लगा और उनकी गर्दन पर किस करने लगा.
जब उनको कुछ दर्द कम हुआ, तो वे अपना हाथ पीछे मेरी गांड पर लाईं और नीचे की तरफ दबाया. मैंने भी जोर लगा कर धक्का मार कर आधा लंड अन्दर कर दिया.
उनको फिर से दर्द हुआ और वो ‘ऊऊऊन्ह … मोटा है … आह लगती है..’ करने लगीं. मगर मैंने लंड को निकाला नहीं … मैं बस उनके मम्मों को दबाने लगा और उनकी चूत को रगड़ने लगा.
उन्होंने धीरे से कराहते हुए कहा- एक ही बार में डाल कर 5-6 धक्के मार दो … मेरी परवाह मत करो!
ये सुनते ही मैंने लंड को बाहर को खींच कर बाकी लंड पर तेल की बूंदें टपकाईं और तेल की चिकनाई कुछ ज्यादा करते हुए एक जबरदस्त धक्का दे मारा.
भाभी की माँ चुद गई. उनकी तेज चीख निकल गई. उन्होंने अपने दांत भींचते हुए अपनी मुट्ठियां बंद कर लीं और ‘सीसीईईई … मर गई … इऊऊ … बहुत मोटा है … आआह्ह्ह … रुक जा..’ कहने लगीं.
मैंने लंड को निकाल कर फिर से पेल दिया और उनकी गांड में लंड को अन्दर बाहर करने लगा.
हर धक्के पर भाभी की आह निकल रही थी. वो खूब जोर से दर्द भरी चीख निकाल रही थीं.
मैं 8-10 धक्के लगा कर रुक गया और उनकी कमर को चाटने लगा. उनकी चूत को हाथ से मलने लगा और चूची को दबाने लगा.
जब भाभी को दर्द कम हुआ, तो मैं लंड को अन्दर बाहर करने लगा.
भाभी लगातार सिसकार रही थीं. जब उनको मजा आने लगा, तो मैंने अपनी स्पीड बढ़ानी शुरू कर दी और फुल स्पीड में भाभी की गांड में धक्के मारने लगा. भाभी भी धीरे धीरे मस्त होती जा रही थीं और उनकी कामुक सिसकारियां मेरा जोश बढ़ा रही थीं. मैं लगातार उनकी चूचियों को दबा रहा था और चूत को रगड़ रहा था … जिसे उनको डबल मजा आ रहा था. भाभी मस्ती में गांड चुदवाने लगी थीं.
कुछ देर बाद मैंने अपना लंड उनकी गांड में ही झाड़ दिया और उनकी कमर पर लेट कर लंबी लंबी सांसें लेने लगा.
भाभी की भी हालत खराब थी. कुछ देर हम ऐसे ही लेटे रहे. फिर भाभी लंगड़ाती हुई उठीं और बाथरूम में जाकर खुद को साफ़ करके बच्चों का नाश्ता तैयार करने चली गईं. बाद में भाभी ने बच्चों उठा कर तैयार किया और स्कूल भेज कर फारिग हो गईं.
तब तक मैं भी फ्रेश हो गया था. भाभी हम दोनों के लिए चाय लेकर आ गईं.
मैंने उनको अपनी गोद में बिठाया और हम दोनों चाय पीने लगे.
मैंने भाभी को छेड़ते हुए पूछा- भाभी और आपने किस किस के साथ किया है.
भाभी गुस्से में कहने लगीं- बहुत सारों के साथ किया है … मैं एक रंडी हूँ न. हर जगह मुँह मारती फिरती हूं.
मैं- मेरा वो मतलब नहीं था भाभी.
भाभी- तो क्या मतलब था. मैं क्या सब का लंड चूसती फिरती हूं.
मैं- वो तो आपने मेरा भी नहीं चूसा.
भाभी मेरे लंड को मरोड़ते हुए बोलीं- तेरे भाई के बाद तू दूसरा मर्द है, जिसने मुझे चोदा है.
मैं- अच्छा जी और औरतों ने?
भाभी- बस मेरी मामा की लड़की ने ही मेरे साथ लेस्बो किया था.
मैं- वो कैसे भाभी?
भाभी- मेरी मामा की लड़की रीमा मुझसे 4 साल छोटी है. वो साली स्कूल टाइम से ही सेक्स में एक्सपर्ट हो गई थी. उसी कुतिया ने मुझे सेक्स का सब ज्ञान दे दिया था.
ये कह कर भाभी हंसने लगीं.
भाभी ने रीमा यानि अपनी बहन का काल्पनिक नाम रखा था.
मैं- तो क्या किया उसने आपके साथ?
भाभी- ये बात मेरी शादी से पहले की है. वो हमारे यहां रहने आई थी. वो बहुत ही हंसमुख थी. तब मेरी उम्र 22 साल की थी. वो जब भी अकेले में मिलती थी, तो कभी मेरी चूची मसल देती थी, तो कभी चुत को सहला देती थी.
मैं- फिर?
भाभी- एक बार मेरी ताई के लड़की के रिश्ते वाले आने वाले थे. मैं कमरे में उसके सामने कपड़े बदलने लगी. मगर जैसे ही मैंने अपनी टी-शर्ट उतारी, उसने मुझे अपने पास खाट पर खींच लिया और मेरी ब्रा के ऊपर से ही मेरी चूची भींच दी. जिससे मेरी दर्द भरी सिसकारी ‘सीईईई..’ निकल गई. मगर अगले ही पल उसने मेरे होंठों को अपने होंठों में लेकर चूमना शुरू कर दिया और एक हाथ से मेरी चुत को रगड़ने लगी. उसने दूसरे हाथ से मेरे बाल पकड़ लिए थे. मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि वो क्या करना चहती है. ऐसा नहीं था कि मुझे सेक्स के बारे में कुछ नहीं पता था. मगर एक लड़की दूसरी लड़की के साथ ऐसा भी कर सकती है, ये मैंने कभी सोचा ही नहीं था.
मैं- फिर?
भाभी- जब उसने कुछ देर इस तरह से किया, तो मुझे मजा आने लगा. फिर उसने मेरे बाल छोड़ कर मेरी चूची पकड़ा ली और मेरी ब्रा के ऊपर से ही चूसने लगी, दबाने लगी. फिर उसने मेरी ब्रा को निकाल कर कर चूची को नंगा किया और जोर जोर से दबाने लगी. इसी के साथ वो मेरी चुत में भी उंगली डाल कर अन्दर बाहर करने लगी. मैं तो पागल होने लगी थी. कुछ देर बाद मेरा शरीर अकड़ने लगा. मेरी चुत से पानी निकल गया … और मैं शांत हो गई.
मैं- फिर?
भाभी- मैंने उसे अपने ऊपर से हटाया और कपड़े पहनने लगी. वो बोली कि अब तुम भी यही सब मेरे साथ करो. मैंने उससे रात में करने का बोला और ताई के पास चलने का कह कर उठ गई.
मैं- फिर रात में क्या हुआ?
भाभी- उस रात हम दोनों बहुत मस्ती की. इसके बाद भी हमने बहुत बार एक दूसरे के साथ ये सब किया. कुछ दिनों बाद वो चली गई और मैं अकेली ही अपनी चुत में उंगली करने लगी.
भाभी और उनकी बहन की कहानी सुन कर मैं गर्म हो गया था और लंड भी अकड़ गया था. मैं भाभी के चुचे रगड़ने लगा और उनको चूमने लगा. भाभी भी मस्ती में ‘ऊहह … आहहह..’ करने लगीं.
तभी मैंने उनकी सलवार को खोला और उनको घोड़ी बना कर सूट को ऊपर कर के लंड को अन्दर डाल कर चोदने लगा. भाभी भी गर्म हो गई थीं. वे मेरा साथ देने लगीं. मैं भाभी के मम्मों को पकड़ कर दबाने लगा.
चूंकि इस समय दिन का वक्त था और कोई भी आकर हमारे रंग में भंग न डाल दे, इसलिए मैं फुल स्पीड में भाभी को चोदने लगा.
कुछ देर बाद भाभी जब थक गईं, तो उन्होंने अपने सिर को नीचे रख लिया. मैं उनको फुल स्पीड से चोदते हुए उनकी चुत में ही झड़ गया. कुछ देर बाद हम अलग हुए तो भाभी ने मेरे गाल पर चुटकी काटी और अपने कपड़े ठीक करके घर का काम करने लगीं.
भाभी जब तक अपना काम करके फ्री हुईं, तब तक 12 बज चुके थे. भाभी मेरे पास आईं. मैं अभी तक बिस्तर में ही पड़ा था. भाभी ने मेरे बाल खींचे और मुझे किस किया. मैंने भी उनको अपनी रजाई में खींच लिया और उनके चूचों को मसलने लगा.
भाभी मस्ती से सिस्कार कर रह गईं. फिर उन्होंने मुझे रोका और भाई को फ़ोन मिला दिया.
भाई के फ़ोन उठाने पर भाभी बोलीं- कहां हो?
भाई- अभी तो यहीं हूं. यहां पर काफी काम पड़ा है.
भाभी- तो फिर कब तक आओगे?
भाई- बस 6 बजे तक आ जाऊंगा.
भाभी- कंडोम ले आना रात के लिए.
भाई- तुझे कोई और काम नहीं क्या … रखता हूं … बाद में करूंगा.
मैंने भाभी से कहा- क्या बात है … बड़े कंडोम चाहिए.
भाभी- मुझे पता था, वो मना करेंगे क्योंकि 3 दिन पहले ही उन्होंने मुझे किया था.
मैं- क्या किया था?
भाभी- तेरी भाभी चोदी थी और क्या किया था.
मैं- अच्छा जी … और अब मैं चोदूंगा.
भाभी- तेरे बस की बात नहीं है.
मैं- तो अब तक क्या आप पड़ोसी के लंड पर झूल रही थीं.
भाभी ने हंस कर मेरे लंड को मरोड़ दिया. मैंने भी भाभी को पकड़ कर नीचे कर लिया और उनको रगड़ कर गर्म करने लगा. कुछ देर बाद मैंने भाभी की सलवार खोल कर लंड डाल दिया और उनको चोदने लगा. भाभी के सूट को ऊपर करके उनके मम्मे दबाने लगा. दस मिनट की धाकपेल चुदाई के बाद मैंने भाभी की चुत में ही सारा माल डाल दिया.
भाभी- तुम हर बार अन्दर ही माल छोड़ देते हो … अगर मेरे बच्चा रह गया तो?
मैं- तो 9 महीने मजा करना.
भाभी- हमेशा मस्ती में ही रहता है.
मैं- क्या करूँ, जिसके पास तुम्हारे जैसा माल हो … वो मस्ती ही करेगा.
भाभी- मैं माल हूं?
मैं- नहीं … आइटम नंबर वन हो आप!
भाभी- जा मैं तुझसे बात नहीं करती.
मैं- मत करो … बस एक बार और दे देना.
हम दोनों ऐसे ही मस्ती कर रहे थे, तब तक बच्चों की बस आ गई और भाभी बच्चों को लेने चली गईं.
फिर भाभी ने सबका खाना लगाया और सबने खाना खाया. बच्चे 2:30 बजे ट्यूशन पर चले गए और भाभी मेरे पास आ गईं.
भाभी बोलीं- जल्दी से एक बार और कर दो.
मैं- क्या?
भाभी- मेरी आरती.
मैं- मैं क्या कोई पुजारी हूं.
भाभी मेरे लंड को पकड़ कर बोलीं- भोसड़ी के … जल्दी से इससे मेरे अन्दर डाल कर चुदाई कर दे … ज्यादा बकचोदी बाद में करना.
मैं- अच्छा लंड चाहिए, तो ऐसे बोलो न.
भाभी को मैं रगड़ने लगा.
भाभी ने खुद अपनी सलवार निकाल दी और मुझे सीधा लिटा कर मेरे ऊपर आ गईं. वो मुझे किस करते हुए मेरे लंड को अपनी चूत पर सैट करके लंड अपनी चुत में खा गईं और धक्के लगाने लगीं.
मगर रात भर चुदने के कारण भाभी जल्दी झड़ गईं और मेरे ऊपर ही लेट गईं. मैंने उनको पलट कर नीचे किया और लंड डाल कर उनको चोदने लगा. कुछ देर बाद मैं भी उनकी चुत में ही झड़ गया.
हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे. फिर शाम को मैंने बाजार से भाभी के लिए गोली लाकर दी, जिसे भाभी ने खा ली.
शाम तक सब लोग आ गए थे. रात को कुछ नहीं हुआ और सुबह मैं अपने घर के लिए निकल गया.
अब भाभी से सिर्फ फ़ोन पर ही बात होती थीं. मौका मिलते ही हम फोन सेक्स भी कर लेते थे.
मैं अपने लिए पार्ट टाइम जॉब की ढूंढ रहा था और किस्मत से भाभी के मामा के गांव के पास एक फैक्ट्री में मुझे सुपरवाइजर की नौकरी मिल गई. मैं वहीं फैक्ट्री की कालोनी में रहने लगा.
मगर वहां पर गंदगी बहुत रहती थी … तो मैं उस गांव में ही कमरा ढूढ़ने लगा. मगर अच्छा सा कमरा नहीं मिल रहा था.
जब भाभी को मैंने ये बात बताई, तो उन्होंने अपने मामा से बात करके मुझे बताया कि उनके यहां एक कमरा खाली है.
जब मैंने वो कमरा देखा तो मुझे पसंद आ गया और मैंने वहां रहना शुरू कर दिया.
इधर भाभी की बहन रुबी (काल्पनिक नाम) जो कि बहुत चुलबुली थी, उससे मेरी कभी कभी बात होती थी.
फिर एक बार भाभी के दूसरे मामा के दूसरा बच्चा हुआ … तो भाभी भी वहां कुछ दिन के लिए रहने आ गईं.
पहली ही रात को भाभी का काम उठ गया. जब शाम को मैं ड्यूटी से आया तो भाभी का बेटा मेरे पास आ गया और मेरे साथ ही रहा. फिर मैंने उसको बातों से इस तरीके से पटाया कि भाभी रात को मेरे पास रहें और किसी के पता भी ना चले.
उस रात को मैंने खाना भी उनके घर ही खाया. फिर रात को 9:30 बजे में सोने चला, तो मेरा भतीजा मेरे साथ सोने की जिद करने लगा. जैसा कि मैंने उससे कहा था. मैं बच्चे की जिद को लेकर भाभी को भी साथ चलने के लिए कहने लगा.
जब वो नहीं माना, तो भाभी की मामी ने कहा कि तुम भी चली जाओ और जब ये सो जाए, तो आ जाना.
मामी ने उनको बच्चे के लिए दूध भी दे दिया.
मेरे कमरे में आकर उसको जबरदस्ती दूध पिला दिया … और वो मेरे साथ खेलते खेलते सो गया.
उसको सुला कर मैंने भाभी को अपने पास खींच लिया और उनके होंठों को चूमते हुए कहा- आज तो एक नंबर की लग रही हो.
भाभी- तारीफ कर रहे हो या मस्का मार रहे हो.
मैं- मेरी क्या औकात कि मैं आपकी तारीफ करूं. मैं तो जो सच है, वो बता रहा हूँ.
भाभी- अच्छा तो जल्दी से एक अच्छे वाला सेक्स करो. बहुत दिन से प्यासी हूं.
मैं- जल्दी किस बात की है, आज रात हमारी है … मस्ती से करेंगे.
भाभी- बच्चू … ये मेरे मामा का घर है. आपकी सुहागसेज नहीं है.
मैं- तो बना दो सेज.
भाभी- पागल हो क्या कोई आ गया … तो मुश्किल हो जाएगी.
मैं- लाइट बंद रखेंगे. अगर कोई आया तो सोचेगा कि हम सो रहे हैं.
भाभी- लगता है जनाब का इरादा कुछ ठीक नहीं है.
मैं- इरादा का तो पता नहीं, पर आज रात आपका हाल बुरा होने वाला है.
भाभी- अच्छा … तो देर कैसी … क्या अब कोई पंडित मुहूर्त निकलेगा क्या?
मैं- निकालूँगा तो मैं … पर आपके अन्दर.
भाभी- तो निकाल न … रोका किसने है.
मैं उनको किस करने लगा और उनके मम्मों को मुट्ठी में भींचने लगा. भाभी भी मेरा साथ देने लगीं. मैंने उनको खूब रगड़ा और धीरे से उनके सूट को निकाल दिया. भाभी की ब्रा के ऊपर से ही उनके चुचों को चूसने लगा.
भाभी ने भी मेरी टी-शर्ट उतार दी और अपने पैरों से मेरे लोअर और निक्कर को उतार दिया. भाभी मेरी छाती को चूमने और चूसने लगीं और धीरे धीरे मेरे लंड पर जाकर उससे चूमने और चूसने लगीं. मुझे मजा आ गया क्योंकि आज भाभी मेरा लंड चूस रही थीं.
मैंने उनसे मजाक किया- लंड चूसना कब सीख लिया?
भाभी हंस दीं … मगर कुछ बोली नहीं.
फिर भाभी अपनी चूत को लंड पर रगड़ने लगीं. लंड चूसते चूसते कब उन्होंने अपनी सलवार और ब्रा उतारी, मुझे पता भी नहीं चला. तभी भाभी ने एकदम मेरे ऊपर आकर अपनी चूत को लंड पर फंसाया और रगड़ने लगीं. मुझे ख़ूब मजा आ रहा था.
उन्होंने लंड को पकड़ कर चूत पर सैट किया और एकदम से लंड पर बैठ गईं. लंड लेते ही भाभी ने एक मादक सिसकारी ली और धीरे धीरे ऊपर नीचे होने लगीं. उनकी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ की आवाज निकलने लगी.
भाभी की इस हरकत ने मुझे एक अलग ही मजा दिया. भाभी अब अपनी फुल स्पीड से ऊपर नीचे होने लगीं और खूब मस्ती के साथ चुदाई का मजा लेने लगीं.
उस रात 3 बजे तक हम चुदाई की मस्ती करते रहे. मैं एक बार भाभी की गांड भी मारी.
सुबह भाभी चली गईं और वे जब तक वहां रहीं. हम दोनों मौका मिलते ही चुदाई की मस्ती कर लेते थे.