MrJazsohanisharma

सर्दी से बचाव के लिए चुदाई की Sardi se batchav ke liye Chudai

मेरा नाम आदित्य है. यह कहानी उस वक़्त की है जब मैं इंदौर से बी.ई. के चौथे साल की पढ़ाई कर रहा था।

कॉलेज में वैसे तो मेरी बहुत लड़कियाँ दोस्त थी पर गर्लफ़्रेंड एक भी नहीं थी. या ये कह लो मुझे बनानी नहीं थी. मैं दोस्ती में ज्यादा विश्वास रखता हूँ, बेबजह प्यार के झमेलों में नहीं.

मैं यह कहानी मुख्यतः उन लोगों के लिए लिख रहा हूँ जो लोग समझते हैं कि एक लड़का और एक लड़की सिर्फ दोस्त नहीं हो सकते. इस कहानी के अंत में आप खुद ही समझ जायेंगे कि अगर इतना सब होने के बाद भी हम लोग दोस्त रह सकते हैं तो फिर बिना कुछ हुए तो रहा ही जा सकता है.

तो सबसे पहले मैं कहानी के नायक यानि मैं, के बारे में बता देता हूँ। मैं 5’4″ लम्बा और गोरे रंग का हूँ पर थोड़ा पतला (उस समय) लड़का हूँ।

मेरी लम्बाई ज्यादा नहीं है, पर मेरा स्वभाव अच्छा है और मुझे लड़कियों से बातें करना आता है, जो कि बहुत लड़कों को नहीं आता … कभी भी कैसे भी मुँह खोल देते है.
पर मुझे इस चीज़ की बहुत अच्छे से समझ है क्योंकि स्कूल टाइम से ही मैं क्लास का टोपर रहा हूँ तो लड़कियाँ मेरे से बातें करती रहती थी … और आज भी मेरी स्कूल की लड़कियाँ मेरे संपर्क में हैं।

ऐसी ही कॉलेज की एक दोस्त थी मेरी शिल्पा. वैसे तो और भी थी पर इससे मेरी बहुत बातें होती थी. लड़ाइयाँ भी बहुत होती थी, पर सिर्फ कुछ टाइम के लिए.
उसकी लम्बाई मेरे से बस थोड़ी ही छोटी थी। उसका नाप तो मुझे सही नहीं पता पर 32-26-30 तो आराम से होता उस वक़्त।

उसका स्वभाव बहुत ही अच्छा था और वो बहुत ही सीधी थी क्योंकि जब भी दोस्तों के बीच कोई वयस्क मजाक होता था तो उसको समझ नहीं आता था। इस कारण हमारे बीच भी कभी ऐसी-वैसी बातें नहीं की हुई. या ये कह लो कि बाकी की बातें ही खत्म नहीं होती थी कि ये सब बातें कर सकें।

मैं अपने दोस्तों में सबसे ज्यादा घूमने के लिए फेमस हूँ क्योंकि मैं बहुत घूमता रहता हूँ. इस कारण जब भी किसी को कोई प्लान बनाना होता था तो मेरे को बोल देते थे. वैसे तो हमारी 8-10 लोगों की पूरी गैंग ही जाती थी घूमने के लिए अगर शहर से बाहर कहीं जाना होता था तो!

पर एक बार पढ़ाई का प्रेशर इतना था कि शिल्पा त्रस्त हो गयी पढ़-पढ़ कर … तो उसने बोला- कहीं ट्रेक पर चलते हैं.
मुझे भी घूमने का मन था तो मैंने हाँ कर दी.

पर जब बाकि लोगो से पूछा तो एक ने भी हाँ नहीं की क्योंकि सबको ही पढ़ना था.
जबकि हम दोनों ही पढ़कर त्रस्त हो चुके थे. तो हम दोनों ने ही अकेले ट्रेक पर जाने का सोचा. जगह फाइनल हुई देहरादून के पास रूपकुंड ट्रेक.

चूँकि दोनों के पास ही पैसों की कमी थी और रूम के रेट बहुत महंगे थे उस जगह के, तो हमने फिर एक डबल बेड वाला रूम लिया। वैसे मैंने उसे साफ़ साफ़ बता दिया था कि में सोफे पर सो जाऊँगा और उसने भी बोला कि वहीं चल कर देख लेंगे।
मेरे मन में उसको पटाने या कुछ ऐसा वैसा करने का कभी कोई विचार नहीं आया क्योंकि हम दोस्त ही इतने अच्छे थे।

खैर हमने ट्रेन और होटल की सारी बुकिंग कर ली। होटल में हमने फ़ोन करके भी पूछ लिया कि उन्हें अविवाहित कपल से कोई दिक्कत तो नहीं है क्योंकि बहुत होटलों में दिक्कत होती है.
उनको नहीं थी।

तय दिन पर हम निकल गए ट्रैकिंग के लिए। हम दोनों ही बहुत एक्साईटेड थे इसके लिए क्योंकि दोनों का ही पहला ट्रेक था।

हम लोग सुबह 5 बजे अपने स्टेशन पहुंचे और ऑटो करके अपने होटल में पहुँच गए। वहाँ बहुत ठंड थी। होटल पहुँच कर हम बारी बारी से नहाये। मैंने अपने फ़ोन में मस्त गाने भी लगा दिए जो दोनों को ही पसंद हैं।

फिर हम नाश्ता करने के लिए बाहर निकले. थोड़ा हमने वो शहर भी घूमा क्योंकि ट्रेक अगले दिन से शुरू करना था. दिन तो हमारा घूमने में ही चला गया। फिर रात को डिनर करके हम वापस अपने होटल में आ गए सोने के लिए।

हमारा डबल बेड बहुत बड़ा था तो शिल्पा ने बोला कि हम लोग बेड के अलग अलग कोने में आराम से सो सकते हैं।
मुझे भी उसकी बात ठीक लगी क्योंकि मेरी ठंड के मारे खुद फटी हुई थी।
हम लोग अपनी अपनी रजाई में मस्त सो गए।

फिर सुबह हम जल्दी उठ कर नहाये और चेकआउट करके रूपकुंड ट्रेक के लिए निकल गए।

ट्रेक 2 दिन का था और वहाँ कि खूबसूरती मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता। वहाँ हमने खूब मस्ती की, बहुत लोगों से मिले भी।
वो खत्म करके हम 2 दिन बाद शाम को लौट आये देहरादून वापस।

हमारी वापसी की ट्रेन अगली दोपहर की थी, तो हमें रात तो गुजारनी ही थी। हमने दूसरा होटल पहले से ही बुक कर रखा था तो हम लोग उस होटल में चले गए।

शाम को ही बारिश होना शुरू हो गयी जिससे ठण्ड और भी बढ़ गयी।

जब हम खाना खा कर सोने की तैयारी लगा रहे थे, तो हमने नोटिस किया कि बेड पिछले वाले होटल से थोड़ा छोटा है। पर हम दोनों ही जानते थे कि थोड़ा एडजस्ट तो करना पड़ेगा. दोनों ही समझदार थे इतना सोचा नहीं।
खाना खा कर हम सोने के लिए लेट गए।

पर आज ठंड कुछ ज्यादा थी, हम लोग थोड़ी बातें ही कर रहे थे और मैं बोला- यार, रजाई में भी ठंड लग रही है।
शिल्पा- हाँ यार, ठंड तो बहुत लग रही है, पर कर भी क्या सकते हैं?
मैं- एक काम करते हैं, अगर तुम्हें दिक्कत ना हो तो एक रजाई में ही आ जाते हैं और दोनों रजाई एक के ऊपर एक कर लेंगे, कुछ तो ठंड से बचेंगे.

2 मिनट सोचने के बाद वो बोली- बात तो ठीक है, वरना तबियत भी ख़राब हो सकती है.

फिर हम एक रजाई में आ गए और दोनों रजाई एक साथ कर ली। पर ठंड फिर भी लग ही रही थी. बस पहले से कम।
दोनों ट्रेक की बातें करने लगे।

हम लोग एक दूसरे की तरफ मुँह करके ही बातें कर रहे थे।

फिर जब हम सोने लगे तो शिल्पा ने करवट ली। मुझे उसकी सांसों की आवाज़ से समझ आ रहा था कि उसे ठंड बहुत लग रही है।
तो मैंने पूछ लिया- ठंड बहुत ज्यादा लग रही है क्या?
उसने हाँ में जवाब दिया।

मैं- अब नहीं लगेगी.
और मैं उसके पीछे से चिपक गया।
शिल्पा हड़बड़ा कर बोली- ये क्या कर रहे हो?
मैं- ठंड बहुत ही ज्यादा है, शरीर कि गर्मी से तुम्हें ठंड नहीं लगेगी.
वो थोड़ा मन मसोस कर रह गयी क्योंकि मैंने बात सही कही थी।

अब कितना भी अच्छा दोस्त हूँ मैं उसका! पर हूँ तो आखिर मैं लड़का और वो लड़की। भले ही दिल में ऐसा ख्याल नहीं था पर दिमाग अपने आप ही इस मधुर एहसास पर प्रतिक्रिया करने लगा, और मेरे साथ भी वही हुआ, मेरा खड़ा होने लगा।

चूंकि मैं उससे पीछे से चिपका हुआ था तो मेरी सांसें उसकी गर्दन पर पड़ रही थी और मेरा लंड उसके पीछे गांड की दरार के पास चुभ रहा था।
उसको लगा कि शायद रजाई है या कुछ सामान है कि जो कि बेड में रह गया और वो उसको चुभ रहा है. तो उसने अपने हाथ पीछे ले जा कर उसको पकड़ कर बाहर खींचने की एक-दो हल्की सी कोशिश की।

जैसे ही उसने मेरे लंड पर हाथ डाला, मुझे झटका सा लगा और मैंने उसकी गर्दन पर अपने होंठ जोर से दबा दिए।

जब उसे एहसास हुआ कि उसने जिसको अभी पकड़ के हटाने की कोशिश की है वो मेरा औजार थ., तो उसने झट से छोड़ दिया और वैसे ही लेटे लेटे सॉरी बोलना शुरू कर दिया।
मैंने 5-10 सेकंड बाद उसकी गर्दन से होंठ हटाए और फिर हटाकर बहुत धीमे बोला- कोई बात नहीं!

शिल्पा- तुम अनकम्फर्टेबल हो रहे हो क्या? मतलब वो ऐसा क्यों है?
मैं- नहीं, मैं बिल्कुल ठीक हूँ, वो तो बस ये पोजीशन ही ऐसी है कि मेरी बॉडी उसकी प्रतिक्रिया दे रही है। चिंता ना करो मेरे मन में ऐसा-वैसा कोई ख्याल नहीं है अब तक!
शिल्पा- पर तुम्हारी प्रतिक्रिया तो मुझे चुभ रही है, मैं कैसे कम्फर्टेबल होऊं?
मैं- वो अपने आप थोड़ी देर में ठीक हो जायेगा. तुम बस आराम करो.
शिल्पा- आराम नहीं कर सकती इस हालत में क्योंकि वो थोड़ी गलत जगह चुभ रहा है.

मुझे अब एहसास हुआ कि मेरा लंड उसकी गांड के छेद के पास चुभ रहा है पर अब मैं उसके साथ थोड़ा खेलने के मूड में आ गया था।
मैं- ऐसे किधर चुभ रहा है?
शिल्पा- जैसे कि तुम्हें पता नहीं है.
मैं- रुको मुझे फिर चेक करने दो.

2 सेकंड मैं रुका ताकि अगर उसकी तरफ से कोई दिक्कत होती तो बोल देती क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि दोस्ती में कोई प्रॉब्लम आये। मैं फिर हाथ नीचे ले कर गया और उसकी गांड के ऊपर से घुमाते हुए अपने लंड के टोपे वाली जगह पर ले गया।
वो भाग भट्टी कि तरह जल रहा था।

मैं- तुम्हें कहीं बुखार तो नहीं है … ये तो बहुत तेज़ गर्म हो रहा है.
शिल्पा- वो ऐसे ही गर्म होता है, और अब तुम हाथ हटा सकते हो.
मैंने हल्के से उसकी गांड दबा दी और फिर हाथ वहां से हटा लिया. पर मैं वैसे ही उसको पीछे से पकड़ कर लेटा रहा।

पर अब मुझसे बर्दाश्त करना थोड़ा मुश्किल हो रहा था। तो मैंने अपना हाथ जो उसके पेट पर था, वो चलाना शुरू कर दिया और धीरे धीरे उसके बूब्स की तरफ ले जाने लगा। फिर मैंने थोड़ा करवट सही करते हुए हिला-डुला और रजाई सही करने के बहाने हाथ पेट पर से उठा लिया और फिर सीधा हाथ उसके बूब्स पर रख दिया।

कसम से रुई से भी मुलायम थे … पर मैंने ज्यादा समय हाथ वहाँ रखा नहीं और हटा कर वापस पेट पर रख लिया और उसके कान मैं धीरे से सॉरी बोला।
शिल्पा- मैंने तुम्हारे उधर हाथ लगाया था तो मैंने भी अपने लगाने दिया ताकि हिसाब बराबर हो जाये, पर …
वो अपनी बात पूरी करती इससे पहले ही मैंने बोला- हाँ तो तुम उसे फिर से छू सकती हो, मैं हिसाब बराबर मान लूंगा.
इस पर शिल्पा ने मुझे कोहनी मारी।

मैं- वैसे कुछ ज्यादा ही मुलायम है वो तुम्हारे …
शिल्पा- और तुम्हारा कुछ ज्यादा ही सख्त …
मैं- क्या मैं अच्छे से उनको छू सकता हूँ? कभी किसी के छुए नहीं.
शिल्पा- ठीक है, पर सिर्फ एक ही बार … वो भी इस कारण क्योंकि तुमने किसी के नहीं छुए.

मैंने झट से हाथ उसके बूब्स पर रख दिए और उनको हल्के से दबाने भी लगा। चूँकि उसने ब्रा पहनी हुई थी तो वो बीच में आ रही थी।
उनको छू कर मेरा लंड और झटके मारने लगा। मैं नीचे से हल्के से और आगे खिसक गया ताकि लंड और ज्यादा उसके शरीर की गर्मी पा सके।
मैं ब्रा के ऊपर से ही उसके निप्पल पर उंगलियों से गोल गोल घुमाने लगा।

मुझे पता था कि उसे भी मजा आ रहा है- यार तुम्हारे कितने मस्त हैं, मन करता है ज़िंदगी भर इनके साथ ही खेलते रहो.
वो खिलखिला दी।

मैं उसके बूब्स को हल्के हल्के से दबाता ही रहा- जैसे मुझे उत्सुकता हुई कि इनको एक बार और छू कर देख लूँ … तुम्हें उत्सुकता नहीं हुई कि मेरा इतना सख्त कैसे हो गया? उसको फिर से छूने की इच्छा नहीं हुई?
शिल्पा- होती है पर थोड़ी शर्म भी आती ही है.
मैं- हम साइंस के स्टूडेंट हैं. अगर हम ही शर्मायेंगे तो फिर बाकी लोगों का क्या होगा। लाओ मैं तुम्हारी शर्म दूर कर देता हूँ.
मेरा नाम आदित्य है. यह कहानी उस वक़्त की है जब मैं इंदौर से बी.ई. के चौथे साल की पढ़ाई कर रहा था।

कॉलेज में वैसे तो मेरी बहुत लड़कियाँ दोस्त थी पर गर्लफ़्रेंड एक भी नहीं थी. या ये कह लो मुझे बनानी नहीं थी. मैं दोस्ती में ज्यादा विश्वास रखता हूँ, बेबजह प्यार के झमेलों में नहीं.

मैं यह कहानी मुख्यतः उन लोगों के लिए लिख रहा हूँ जो लोग समझते हैं कि एक लड़का और एक लड़की सिर्फ दोस्त नहीं हो सकते. इस कहानी के अंत में आप खुद ही समझ जायेंगे कि अगर इतना सब होने के बाद भी हम लोग दोस्त रह सकते हैं तो फिर बिना कुछ हुए तो रहा ही जा सकता है.

तो सबसे पहले मैं कहानी के नायक यानि मैं, के बारे में बता देता हूँ। मैं 5’4″ लम्बा और गोरे रंग का हूँ पर थोड़ा पतला (उस समय) लड़का हूँ।

मेरी लम्बाई ज्यादा नहीं है, पर मेरा स्वभाव अच्छा है और मुझे लड़कियों से बातें करना आता है, जो कि बहुत लड़कों को नहीं आता … कभी भी कैसे भी मुँह खोल देते है.
पर मुझे इस चीज़ की बहुत अच्छे से समझ है क्योंकि स्कूल टाइम से ही मैं क्लास का टोपर रहा हूँ तो लड़कियाँ मेरे से बातें करती रहती थी … और आज भी मेरी स्कूल की लड़कियाँ मेरे संपर्क में हैं।

ऐसी ही कॉलेज की एक दोस्त थी मेरी शिल्पा. वैसे तो और भी थी पर इससे मेरी बहुत बातें होती थी. लड़ाइयाँ भी बहुत होती थी, पर सिर्फ कुछ टाइम के लिए.
उसकी लम्बाई मेरे से बस थोड़ी ही छोटी थी। उसका नाप तो मुझे सही नहीं पता पर 32-26-30 तो आराम से होता उस वक़्त।

उसका स्वभाव बहुत ही अच्छा था और वो बहुत ही सीधी थी क्योंकि जब भी दोस्तों के बीच कोई वयस्क मजाक होता था तो उसको समझ नहीं आता था। इस कारण हमारे बीच भी कभी ऐसी-वैसी बातें नहीं की हुई. या ये कह लो कि बाकी की बातें ही खत्म नहीं होती थी कि ये सब बातें कर सकें।

मैं अपने दोस्तों में सबसे ज्यादा घूमने के लिए फेमस हूँ क्योंकि मैं बहुत घूमता रहता हूँ. इस कारण जब भी किसी को कोई प्लान बनाना होता था तो मेरे को बोल देते थे. वैसे तो हमारी 8-10 लोगों की पूरी गैंग ही जाती थी घूमने के लिए अगर शहर से बाहर कहीं जाना होता था तो!

पर एक बार पढ़ाई का प्रेशर इतना था कि शिल्पा त्रस्त हो गयी पढ़-पढ़ कर … तो उसने बोला- कहीं ट्रेक पर चलते हैं.
मुझे भी घूमने का मन था तो मैंने हाँ कर दी.

पर जब बाकि लोगो से पूछा तो एक ने भी हाँ नहीं की क्योंकि सबको ही पढ़ना था.
जबकि हम दोनों ही पढ़कर त्रस्त हो चुके थे. तो हम दोनों ने ही अकेले ट्रेक पर जाने का सोचा. जगह फाइनल हुई देहरादून के पास रूपकुंड ट्रेक.

चूँकि दोनों के पास ही पैसों की कमी थी और रूम के रेट बहुत महंगे थे उस जगह के, तो हमने फिर एक डबल बेड वाला रूम लिया। वैसे मैंने उसे साफ़ साफ़ बता दिया था कि में सोफे पर सो जाऊँगा और उसने भी बोला कि वहीं चल कर देख लेंगे।
मेरे मन में उसको पटाने या कुछ ऐसा वैसा करने का कभी कोई विचार नहीं आया क्योंकि हम दोस्त ही इतने अच्छे थे।

खैर हमने ट्रेन और होटल की सारी बुकिंग कर ली। होटल में हमने फ़ोन करके भी पूछ लिया कि उन्हें अविवाहित कपल से कोई दिक्कत तो नहीं है क्योंकि बहुत होटलों में दिक्कत होती है.
उनको नहीं थी।

तय दिन पर हम निकल गए ट्रैकिंग के लिए। हम दोनों ही बहुत एक्साईटेड थे इसके लिए क्योंकि दोनों का ही पहला ट्रेक था।

हम लोग सुबह 5 बजे अपने स्टेशन पहुंचे और ऑटो करके अपने होटल में पहुँच गए। वहाँ बहुत ठंड थी। होटल पहुँच कर हम बारी बारी से नहाये। मैंने अपने फ़ोन में मस्त गाने भी लगा दिए जो दोनों को ही पसंद हैं।

फिर हम नाश्ता करने के लिए बाहर निकले. थोड़ा हमने वो शहर भी घूमा क्योंकि ट्रेक अगले दिन से शुरू करना था. दिन तो हमारा घूमने में ही चला गया। फिर रात को डिनर करके हम वापस अपने होटल में आ गए सोने के लिए।

हमारा डबल बेड बहुत बड़ा था तो शिल्पा ने बोला कि हम लोग बेड के अलग अलग कोने में आराम से सो सकते हैं।
मुझे भी उसकी बात ठीक लगी क्योंकि मेरी ठंड के मारे खुद फटी हुई थी।
हम लोग अपनी अपनी रजाई में मस्त सो गए।

फिर सुबह हम जल्दी उठ कर नहाये और चेकआउट करके रूपकुंड ट्रेक के लिए निकल गए।

ट्रेक 2 दिन का था और वहाँ कि खूबसूरती मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता। वहाँ हमने खूब मस्ती की, बहुत लोगों से मिले भी।
वो खत्म करके हम 2 दिन बाद शाम को लौट आये देहरादून वापस।

हमारी वापसी की ट्रेन अगली दोपहर की थी, तो हमें रात तो गुजारनी ही थी। हमने दूसरा होटल पहले से ही बुक कर रखा था तो हम लोग उस होटल में चले गए।

शाम को ही बारिश होना शुरू हो गयी जिससे ठण्ड और भी बढ़ गयी।

जब हम खाना खा कर सोने की तैयारी लगा रहे थे, तो हमने नोटिस किया कि बेड पिछले वाले होटल से थोड़ा छोटा है। पर हम दोनों ही जानते थे कि थोड़ा एडजस्ट तो करना पड़ेगा. दोनों ही समझदार थे इतना सोचा नहीं।
खाना खा कर हम सोने के लिए लेट गए।

पर आज ठंड कुछ ज्यादा थी, हम लोग थोड़ी बातें ही कर रहे थे और मैं बोला- यार, रजाई में भी ठंड लग रही है।
शिल्पा- हाँ यार, ठंड तो बहुत लग रही है, पर कर भी क्या सकते हैं?
मैं- एक काम करते हैं, अगर तुम्हें दिक्कत ना हो तो एक रजाई में ही आ जाते हैं और दोनों रजाई एक के ऊपर एक कर लेंगे, कुछ तो ठंड से बचेंगे.

2 मिनट सोचने के बाद वो बोली- बात तो ठीक है, वरना तबियत भी ख़राब हो सकती है.

फिर हम एक रजाई में आ गए और दोनों रजाई एक साथ कर ली। पर ठंड फिर भी लग ही रही थी. बस पहले से कम।
दोनों ट्रेक की बातें करने लगे।

हम लोग एक दूसरे की तरफ मुँह करके ही बातें कर रहे थे।

फिर जब हम सोने लगे तो शिल्पा ने करवट ली। मुझे उसकी सांसों की आवाज़ से समझ आ रहा था कि उसे ठंड बहुत लग रही है।
तो मैंने पूछ लिया- ठंड बहुत ज्यादा लग रही है क्या?
उसने हाँ में जवाब दिया।

मैं- अब नहीं लगेगी.
और मैं उसके पीछे से चिपक गया।
शिल्पा हड़बड़ा कर बोली- ये क्या कर रहे हो?
मैं- ठंड बहुत ही ज्यादा है, शरीर कि गर्मी से तुम्हें ठंड नहीं लगेगी.
वो थोड़ा मन मसोस कर रह गयी क्योंकि मैंने बात सही कही थी।

अब कितना भी अच्छा दोस्त हूँ मैं उसका! पर हूँ तो आखिर मैं लड़का और वो लड़की। भले ही दिल में ऐसा ख्याल नहीं था पर दिमाग अपने आप ही इस मधुर एहसास पर प्रतिक्रिया करने लगा, और मेरे साथ भी वही हुआ, मेरा खड़ा होने लगा।

चूंकि मैं उससे पीछे से चिपका हुआ था तो मेरी सांसें उसकी गर्दन पर पड़ रही थी और मेरा लंड उसके पीछे गांड की दरार के पास चुभ रहा था।
उसको लगा कि शायद रजाई है या कुछ सामान है कि जो कि बेड में रह गया और वो उसको चुभ रहा है. तो उसने अपने हाथ पीछे ले जा कर उसको पकड़ कर बाहर खींचने की एक-दो हल्की सी कोशिश की।

जैसे ही उसने मेरे लंड पर हाथ डाला, मुझे झटका सा लगा और मैंने उसकी गर्दन पर अपने होंठ जोर से दबा दिए।

जब उसे एहसास हुआ कि उसने जिसको अभी पकड़ के हटाने की कोशिश की है वो मेरा औजार थ., तो उसने झट से छोड़ दिया और वैसे ही लेटे लेटे सॉरी बोलना शुरू कर दिया।
मैंने 5-10 सेकंड बाद उसकी गर्दन से होंठ हटाए और फिर हटाकर बहुत धीमे बोला- कोई बात नहीं!

शिल्पा- तुम अनकम्फर्टेबल हो रहे हो क्या? मतलब वो ऐसा क्यों है?
मैं- नहीं, मैं बिल्कुल ठीक हूँ, वो तो बस ये पोजीशन ही ऐसी है कि मेरी बॉडी उसकी प्रतिक्रिया दे रही है। चिंता ना करो मेरे मन में ऐसा-वैसा कोई ख्याल नहीं है अब तक!
शिल्पा- पर तुम्हारी प्रतिक्रिया तो मुझे चुभ रही है, मैं कैसे कम्फर्टेबल होऊं?
मैं- वो अपने आप थोड़ी देर में ठीक हो जायेगा. तुम बस आराम करो.
शिल्पा- आराम नहीं कर सकती इस हालत में क्योंकि वो थोड़ी गलत जगह चुभ रहा है.

मुझे अब एहसास हुआ कि मेरा लंड उसकी गांड के छेद के पास चुभ रहा है पर अब मैं उसके साथ थोड़ा खेलने के मूड में आ गया था।
मैं- ऐसे किधर चुभ रहा है?
शिल्पा- जैसे कि तुम्हें पता नहीं है.
मैं- रुको मुझे फिर चेक करने दो.

2 सेकंड मैं रुका ताकि अगर उसकी तरफ से कोई दिक्कत होती तो बोल देती क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि दोस्ती में कोई प्रॉब्लम आये। मैं फिर हाथ नीचे ले कर गया और उसकी गांड के ऊपर से घुमाते हुए अपने लंड के टोपे वाली जगह पर ले गया।
वो भाग भट्टी कि तरह जल रहा था।

मैं- तुम्हें कहीं बुखार तो नहीं है … ये तो बहुत तेज़ गर्म हो रहा है.
शिल्पा- वो ऐसे ही गर्म होता है, और अब तुम हाथ हटा सकते हो.
मैंने हल्के से उसकी गांड दबा दी और फिर हाथ वहां से हटा लिया. पर मैं वैसे ही उसको पीछे से पकड़ कर लेटा रहा।

पर अब मुझसे बर्दाश्त करना थोड़ा मुश्किल हो रहा था। तो मैंने अपना हाथ जो उसके पेट पर था, वो चलाना शुरू कर दिया और धीरे धीरे उसके बूब्स की तरफ ले जाने लगा। फिर मैंने थोड़ा करवट सही करते हुए हिला-डुला और रजाई सही करने के बहाने हाथ पेट पर से उठा लिया और फिर सीधा हाथ उसके बूब्स पर रख दिया।

कसम से रुई से भी मुलायम थे … पर मैंने ज्यादा समय हाथ वहाँ रखा नहीं और हटा कर वापस पेट पर रख लिया और उसके कान मैं धीरे से सॉरी बोला।
शिल्पा- मैंने तुम्हारे उधर हाथ लगाया था तो मैंने भी अपने लगाने दिया ताकि हिसाब बराबर हो जाये, पर …
वो अपनी बात पूरी करती इससे पहले ही मैंने बोला- हाँ तो तुम उसे फिर से छू सकती हो, मैं हिसाब बराबर मान लूंगा.
इस पर शिल्पा ने मुझे कोहनी मारी।

मैं- वैसे कुछ ज्यादा ही मुलायम है वो तुम्हारे …
शिल्पा- और तुम्हारा कुछ ज्यादा ही सख्त …
मैं- क्या मैं अच्छे से उनको छू सकता हूँ? कभी किसी के छुए नहीं.
शिल्पा- ठीक है, पर सिर्फ एक ही बार … वो भी इस कारण क्योंकि तुमने किसी के नहीं छुए.

मैंने झट से हाथ उसके बूब्स पर रख दिए और उनको हल्के से दबाने भी लगा। चूँकि उसने ब्रा पहनी हुई थी तो वो बीच में आ रही थी।
उनको छू कर मेरा लंड और झटके मारने लगा। मैं नीचे से हल्के से और आगे खिसक गया ताकि लंड और ज्यादा उसके शरीर की गर्मी पा सके।
मैं ब्रा के ऊपर से ही उसके निप्पल पर उंगलियों से गोल गोल घुमाने लगा।

मुझे पता था कि उसे भी मजा आ रहा है- यार तुम्हारे कितने मस्त हैं, मन करता है ज़िंदगी भर इनके साथ ही खेलते रहो.
वो खिलखिला दी।

मैं उसके बूब्स को हल्के हल्के से दबाता ही रहा- जैसे मुझे उत्सुकता हुई कि इनको एक बार और छू कर देख लूँ … तुम्हें उत्सुकता नहीं हुई कि मेरा इतना सख्त कैसे हो गया? उसको फिर से छूने की इच्छा नहीं हुई?
शिल्पा- होती है पर थोड़ी शर्म भी आती ही है.
मैं- हम साइंस के स्टूडेंट हैं. अगर हम ही शर्मायेंगे तो फिर बाकी लोगों का क्या होगा। लाओ मैं तुम्हारी शर्म दूर कर देता हूँ.
मैंने उसका हाथ पकड़ कर सीधा अपने लंड पर रख दिया। उसने पहले तो सिर्फ यूँ ही रखा रहा, तब तक मैंने फिर से उसके बूब्स पकड़ लिए और दबाने लगा। फिर धीरे धीरे उसने मेरे लंड के ऊपर हाथ फिराना शुरू किया और मेरे लंड का माप लेना शुरू कर दिया।
मैं- तुम उसे अंदर से भी पकड़ सकती हो.

वो अभी भी शर्मा रही थी तो मैंने अपना लोअर और चड्डी एक साथ नीचे कर दिए और उसका हाथ में अपना लंड फिर से पकड़ा दिया। वो उसको हल्के से दबाने लगी।
शिल्पा- वोओ ओआओ … ये कितना मोटा और इतना सख्त है और इतना गर्म भी है.
मैं- ये भी ऐसे ही होता है.

मैंने अब उसकी टी-शर्ट के अंदर हाथ डाल कर पेट पर हाथ फिराना शुरु कर दिया। फिर मैंने धीरे धीरे बूब्स के ऊपर आया। चूँकि ब्रा अभी भी परेशान कर रही थी तो मैंने धीरे धीरे से उसको ऊपर खिसकाना शुरू कर दिया और फिर पूरी ऊपर कर दिया।

अब नंगे बूब्स पर मेरे हाथ चल रहे थे। उसके निप्पल बहुत कड़े हो चुके थे। फिर मैंने उसकी टी-शर्ट भी ऊपर कर दी और उसको सीधा कर दिया। वो आँखें बंद किये हुए लेटी हुई थी। उसके दोनों खूबसूरत बूब्स मेरी आँखों के सामने थे और मैं एक टक देखता रहा फिर मैंने एक बूब को मुँह में ले लिया।
शिल्पा- आहहह … ये क्या कर रहे हो?
मैं- अब तुम बस मजे लेती जाओ.

उसके मस्त बूब्स को मैं बारी बारी से चूसने लगा। कभी उसके निप्पल को जीभ से गोल गोल करता तो कभी होंठों से पकड़ कर हल्के से खींचता।
वो मदहोश हो रही थी बस … उसके मुँह से सिर्फ ‘आहहह … आहह’ के अलावा कुछ नहीं निकल रहा था। अब वो अपना एक हाथ मेरे सर पर रख कर हल्का सा दबाने लगी। मैं समझ गया कि अब वो बहुत ही गर्म हो चुकी है।

शिल्पा- मेरे नीचे कुछ कुछ हो रहा है.
मैं जानबूझ कर बोला- कहाँ हो रहा है, पैरों में?
और मैंने पैरों पर हाथ रख दिया।

शिल्पा- नहीं … वहाँ पर.
मैंने उसके हाथों पर हाथ रख दिए और बोला- किधर है बताओ?
उसने मेरा हाथ ले कर अपनी चूत के पास रख दिया।

मैं- अच्छा इधर … इसका इलाज़ है मेरे पास.
और मैं उठा और उसकी पैंटी सहित लोअर को निकाल दिया।

उसने अपनी चूत को अपने हाथों से ढक लिया। मैंने उसकी टाँगों को हल्का सा फैलाया पर उसने हाथ नहीं हटाया। फिर मैं उसकी जाँघों के अंदर की तरफ से अपने हाथों को सरकाना शुरू कर दिया। वो मेरे हाथों का स्पर्श पाकर अपना सर इधर से उधर करने लगी।

मैंने धीरे से उसके हाथों पर हाथ रख कर उनको हटाया और पहली बार किसी की चूत देखी। मैं उसके दोनों हाथों को अपने दोनों हाथों में पकड़ कर उसकी कमर के साइड में ले गया और फिर मैंने उसकी चूत की खुशबू ली। मैंने आजतक इतनी सम्मोहक खुशबू किसी परफ्यूम की भी नहीं सूंघी थी। मैं मदहोश हो गया और मैंने सीधा उसकी चूत पर एक किस कर लिया।

उसके शरीर में कंपन सा दौड़ गया। वो बोली- ये क्या कर रहे हो, वो गन्दी जगह है.
मैंने उसकी बात को इग्नोर किया और इस बार अच्छे से एक किस किया। फिर एक बार चूत को नीचे से ऊपर तक जीभ से चाटा। कसम से जो नमकीन स्वाद मिला है ना वो आज तक मेरे मुँह में है।

फिर मैंने उसके दाने को अपनी जीभ से छेड़ना शुरू कर दिया। वो ‘उम्म्म … आहहह’ के कुछ बोल ही नहीं पा रही थी। वो अपने हाथ छुड़ाने की नाकाम कोशिश कर रही थी। उसकी सांसें तेज़ होती जा रही थी और फिर 2 मिनट में ही उसकी चूत ने रस छोड़ दिया और मैं जीभ से उसको चाट गया। मस्त स्वाद था।

मैं- कैसा लगा?
मैं तब तक उसकी साइड में आ कर लेट गया।
साँसों को कण्ट्रोल करते हुए वो बोली- आज तक इतनी अच्छी फीलिंग नहीं आयी … बहुत रिलैक्स लग रहा है.
मैं- अभी तो शुरुआत हुई है.
शिल्पा- मतलब?
मैं- जैसे तुम्हें अभी रिलैक्स लगा है, वैसे ही तुम मुझे रिलैक्स करवाओगी और फिर दोनों साथ में रिलैक्स करेंगे उसके बाद.
शिल्पा- और वो कैसे करेंगे?
मैं- जैसे मैंने तुमको अभी उधर किस किया ना, तुम भी मेरे उधर करो … तो मुझे भी वैसे ही मज़ा आएगा.
शिल्पा- नहीं, मैं नहीं करुँगी … वो गन्दी जगह है.

मैंने बहुत अन्तर्वासना पर कहानियाँ पढ़ी है, इस कारण मुझे पता था कि लड़कियाँ पहली बार में नखरे करती हैं और उनको बहुत अजीब लगता है तो मैंने भी ज़बरदस्ती नहीं करने की सोची।

पर मैं यह भी जानता था कि अगर मैंने ऐसे में चुदाई शुरू की तो मैं बहुत जल्दी झड़ जाऊँगा क्योंकि मेरा भी पहली बार ही था।
मैं- कोई ना, फिर तुम हाथ से ही कर दो.
शिल्पा- मुझे नहीं पता कि क्या करना है.
मैं- मैं हूँ ना सब सिखाने के लिए.

मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर पकड़वाया और उसको बोला- ऊपर नीचे करो.
वो धीरे धीरे करने लगी।

मैंने हस्त-मैथुन तो बहुत बार किया है, पर किसी लड़की के हाथ से करवाने का सुख अलग ही होता है। जैसा मुझे अहसास था कि होगा, मैं 2 मिनट से ज्यादा नहीं टिक सका और तेज़ तेज़ पिचकारियां छोड़ने लगा। पर मैं खुश था क्यों कि अब मैं ज्यादा समय टिक सकूंगा।

उसके हाथ पर मेरा वीर्य बहने लगा तो उसने पूछा- तुम लोगों का ऐसे होता है?
मैं 2 मिनट सांस कण्ट्रोल करके बोला- हाँ, स्कूल में बायोलॉजी में पढ़ा था ना, ये वही है.
मैंने टिश्यू-पेपर से अपना वीर्य साफ़ किया।

फिर हम गले लग कर 2 मिनट लेट गए।
मैं- फिर से अच्छा वाला अहसास चाहिए?
शिल्पा- हाँ.
और उसने मेरे सीने में सर छुपा लिया।
मैं- पर अभी हमने अलग अलग मजे किये ना, अब एक साथ करते हैं.
शिल्पा- ठीक है.

मैं- पर शुरुआत में दर्द होगा, ये पता है ना?
शिल्पा- हाँ, इतना तो मुझे भी पता है … ऐसे ही इतनी बड़ी नहीं हो गई … और मुझे ये भी पता है कि हमारे पर कंडोम नहीं है तो मुझे शायद गोली भी खानी पड़े.
मैं उसके जवाब को सुनकर हैरान हो गया … और बोला- वोअहह … कहाँ छुपा रखा था इस आइटम को अभी तक!
शिल्पा- और क्या!
और उसने गर्व से अपना सीना चौड़ा कर दिया … मैंने उसके बूब्स को हल्के से दबा दिया।

मैं- हमने इतना कुछ कर लिया, पर अभी तक किस नहीं किया.
शिल्पा- अरे हाँ.

मैं अब अपनी ज़िन्दगी का पहला किस करने जा रहा था। मैंने धीरे से अपने होंठों को उसके होंठों पर रख दिया और फिर धीरे धीरे होंठों पर होंठ चलाने लगा। बहुत ही मज़ा आ रहा था ऐसा करने में।
फिर मैंने अपने होंठों से उसके होंठों को खोला और फ्रेंच-किस शुरू कर दिया। वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी तो मज़ा और दुगना हो गया। किस करते करते मैं उसके बूब्स पर हाथ भी फेरने लगा और निप्पल को छेड़ने भी लगा।

उसको मज़ा आने लगा था और मेरा भी लंड धीरे धीरे अपने आकार में आने लगा था। मैंने किस करते हुए ही एक हाथ उसकी चूत की तरफ बढ़ाने लगा और फिर चूत के दाने को उंगलियों से हल्के से रगड़ना शुरू कर दिया।
वो ज़ोर ज़ोर से किस करने लगी जिससे मैं समझ गया कि उसे मजा आने लगा है और वो गर्म होने लगी है।

मैं भी तैयार था आगे के लिए तो मैं किस करना छोड़ कर सीधा नीचे आया और एक बार फिर से उसकी चूत को चाटने लगा। वो तड़पने लगी, मैं भी उसे तड़पाना चाहता था क्योंकि मैंने अन्तर्वासना पर पढ़ा हुआ था कि जितना गर्म करोगे लड़कियों को … उतना ही मज़ा आएगा उनको।

मेरा लंड अब पूरा खड़ा हो चुका था तो मैंने अब इंतज़ार करना ठीक नहीं समझा और चाटना छोड़ कर उसकी टाँगें हवा में उठा ली।
मैं- चिल्लाना मत.
शिल्पा तो बस आँखें बंद करके मजे लेने में व्यस्त थी और उसने सिर्फ हाँ में सर को हिला दिया।

मैंने अपना लंड को उसकी चूत पर रगड़ना शुरू किया और जो उसका रस बह रहा था उसी से गीला करना शुरू कर दिया। वो अपनी गांड उठाने लगी तो मुझे समझ में आ गया कि अब उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा, तो मैंने फिर अपना लंड को सही जगह फिट किया और हल्का सा दवाब डाला।

चूत बहुत टाइट थी तो मैंने धीरे धीरे ही दबाव बढ़ाया। उसके चेहरे पर दर्द के भाव अलग ही झलक रहे थे। मैंने सोचा कि धीरे धीरे से दर्द ज्यादा होगा तो एक साथ ही डाल देता हूँ पर मुझे उसके चिल्लाने का डर था।
तो मैं उतने में ही रोक कर छुक कर उसको किस करने लगा। उसको अच्छा लगने लगा तो मैंने एकदम से आधा लंड अंदर डाल दिया। उसकी चीख निकल गयी पर मैंने मुँह से उसे बंद कर रखा था तो आवाज़ ज्यादा बाहर नहीं निकली।
उसने मेरी पीठ पर अपने नाख़ून गड़ा दिए। उसकी आँखों से आंसू बहने लगे।

2 मिनट मैं वैसे ही उसको किस करते रहा और जब वो थोड़ा नार्मल हुई तो मैंने पूछा- अभी नॉर्मल हो?
उसने हाँ में सर हिलाया।
तो मैंने उसको बोला- बस एक बार और दर्द होगा.
वह कुछ नहीं बोली।

मैंने अपना लंड हल्का सा पीछे खींचा और एकदम से पूरा अंदर डाल दिया। इस बार उसने चीख तो रोक ली पर सर को इधर से उधर दो-चार बार पटका। मैं पूरा लंड अंदर डाल कर उसको किस करने लगा।
2 मिनट में उसने अपनी कमर हिलायी, मैं समझ गया कि वो नार्मल हो गयी है … अब आगे बढ़ा जा सकता है।

मैंने धीरे धीरे लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. उसे भी मज़ा आने लगा था … वो भी कमर उठा कर मेरा साथ देने लगी। मैंने फिर मैंने अपने झटके तेज़ कर दिए। उसको मज़ा आने लगा और वो ‘आहहह … उम्म्म्म … आअह’ की आवाज़ें निकालने लगी।

मुझे भी उसकी टाइट चूत में डालने में बहुत आनंद आ रहा था.
3-4 मिनट में ही वो कहने लगी- तेज़ करो.
मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली है तो मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। वो चादर को पकड़ कर झड़ने लगी। मुझे उसका रस अपने लंड पर महसूस हुआ।

मैंने अपनी स्पीड थोड़ी धीमी कर दी ताकि वो इसको अच्छे से एन्जॉय कर सके।

फिर 2 मिनट तक धीरे धीरे करने के बाद मैंने थोड़ी स्पीड बढ़ा दी। वो फिर से मेरा साथ देने लगी। मैंने फिर से स्पीड तेज़ कर दी, उसको बहुत मज़ा आने लगा। करीब 5 मिनट की तेज़ चुदाई के बाद मुझे लगा कि मेरा होने वाला है तो मैंने उससे पूछा- अंदर ही छोड़ दूँ?
उसने ‘हाँ … अह्ह्ह … उम्मम्म’ में जवाब दिया. शायद वो भी मेरी तरह पहला वीर्य अपने अंदर ही महसूस करना चाहती थी।

वो फिर से झड़ने को हो रही थी और फिर 10-15 झटकों के बाद वो झड़ने लगी और मैं भी उसकी चूत में ही सारा माल छोड़ने लगा। आज तक मेरा इतना माल कभी नहीं निकला था जितना अभी निकला।
मैं 2 मिनट वैसे ही उसकी चूत में अपना लंड डाल कर पड़ा रहा … फिर मैं उठ कर उसकी बगल में लेट गया.
जैसे ही मैं लेटा, वो मुझसे चिपक गयी.
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