सहेली के इंतजार में चुद गई उसके यार से Saheli ke intezar me Chud gai uske yaar se

मेरा नाम प्रियंका है. मेरा फ़िगर 32 30 32 है. मैंने शुरू से ही अपने शरीर पर बहुत मेहनत की है जिससे लड़के मुझे देखकर आह भरने लगते हैं.

बात उस समय की है जब मैं कॉलेज में पढ़ती थी. कॉलेज में मेरी 2 सहेली हुआ करती थी जिनमें से एक जिसका नाम अल्पना था. वो मेरी क्लोज फ्रेंड थी, अक्सर मेरे घर आया करती थी.
मेरे घर में मेरा अलग रूम था जिसका रास्ता सीधा बाहर से भी है. मेरे घर अक्सर मेरे मम्मी पापा नहीं हुआ करते थे जिससे मैं घर में अकेली रहती थी.

कॉलेज में मेरा भी बॉयफ्रेंड था जिसे मैं मिलने के लिए अपने घर ही बुलाती थी. इन सब के बारे में मैं अपनी सहेलियों को बता देती थी. कभी 2 तो मैं उन्हें बतौर सुरक्षा के लिए बुला लेती जिससे अगर घर वाले आ रहे हों तो पता चल सके।

एक दिन मेरी फ्रेंड अल्पना बोली- यार एक हेल्प कर दे!
मैंने बोला- क्या हेल्प चाहिए?
तब उसने बोला- मेरा बॉयफ्रेंड मिलने को बोल रहा है लेकिन जगह नहीं मिल रही. क्या तू मुझे अपने घर मिलने देगी?
उसका बॉयफ्रेंड भी हमारा क्लासमेट ही था इसलिए वो मेरा भी फ्रेंड था. उसका नाम विवेक था, बहुत स्मार्ट बन्दा था.

फिर मैंने सोचा कि सहेली है तो हेल्प तो करनी ही पड़ेगी.
लेकिन मेरे शैतानी दिमाग में एक विचार आया. तो मैंने उसके सामने एक शर्त रख दी।
शर्त कुछ ऐसी थी कि तू जो कुछ भी करेगी, वो मैं देखूंगी बस. तेरे बॉयफ्रेंड को पता नहीं चलेगा।

पहले तो उसने मना कर दिया. लेकिन फिर कुछ टाइम बाद वो बोली- ठीक है, शर्त मंजूर है।

मैं चाहती तो ये सब बिना बताए भी कर सकती थी लेकिन मेरे दिमाग में अल्पना को लेकर कुछ नहीं था बल्कि मैं उसके बॉयफ्रेंड का हथियार देखना चाहती थी. और साथ ही अपनी सहेली को धोखे में नहीं रखना चाहती थी.

अगले दिन दोपहर के समय अल्पना मेरे घर आ गई औऱ मुझे बोली- बुला लूं? कोई दिक्कत तो नहीं है?
मैंने बोला- बुला ले, कोई टेंशन नहीं है. आराम से मजे कर … मस्त चुदाई करवा।

फिर उसने विवेक को फ़ोन किया- आ जाओ।
कुछ समय बाद विवेक अपनी बाइक से आया जो उसने मेरी बतायी हुए जगह पर लगा दी.

फिर मैंने उसे अंदर बुला लिया. उसने मुझे एक बड़ी वाली टॉफी दी जो मुझे बहुत पसंद थी.
मैंने उसे थैंक्स बोला. उसने भी मुझे रिप्लाई में थैंक्यू बोला और आगे बोला- आपकी वजह से मैं अपनी गर्लफ्रेंड से मिल पा रहा हूँ.

फिर मैंने उन्हें अपना रूम दे दिया और मैं रूम के बाहर खिड़की पर आ गई जिसमें से मैंने थोड़ी सी ऐसी जगह बना दी थी कि अंदर का सब दिख सके।

अंदर से एकदम से ही चूमा चाटी की आवाजें आने लगी. आवाज़ सुनकर मैं अंदर देखने लगी. मुझे लाइव शो दिखने वाला था.

लेकिन मैंने अभी तक आपको अल्पना का फ़िगर नहीं बताया. उसका फ़िगर 30 30 32 था. उसके बूब्स बहुत छोटे थे लेकिन अल्पना सुंदर दिखती थी. कोई भी लड़का उसे चोदना चाहे, ऐसा माल थी।

फिर मैंने देखा उन दोनों में चुम्बन के बाद धीरे धीरे कपड़े उतारना शुरू हो गए. फिर विवेक ने अल्पना को बेड पर पटक दिया और उसे उल्टा कर उसकी ब्रा खोल दी. वो मेरी सहेली के बूब्स दबाने लगा और साथ ही उसका एक बूब्स मुँह में लेकर पीने लगा.

इसके बाद एक हाथ अल्पना की चड्डी में डालकर वो मेरी सहेली की चूत को सहलाने लगा. कुछ देर बाद विवेक ने अपना अंडरवीयर उतार दिया और उसका काला बड़ा लण्ड एकदम मेरी आँखों के सामने आ गया जो कि बहुत मोटा और लंबा था.

अब विवेक ने अल्पना के सिर को पकड़ कर नीचे झुका दिया और लण्ड को मुंह में लेने को बोल रहा था. अल्पना ने भी लण्ड को अच्छे से लॉलीपॉप जैसे चूसना चालू कर दिया.
कुछ देर बाद विवेक ने एक कंडोम पैकेट निकल कर अपने लण्ड पर चढ़ाया और अपना की चूत पर घिसने लगा. फिर अचानक उसने अपना लंड मेरी सहेली की चूत के अंदर डाल दिया जिसे अल्पना की चीख निकल गई जो कि मुझे बाहर सुनाई दे रही थी.

ऐसे ही उनके बीच करीब 20 मिनट चुदाई चली. लेकिन जब विवेक ने अल्पना को घोड़ी बनने को बोला था तो पोजीशन कुछ ऐसी थी कि जहाँ खिड़की से में देख रही थी. वहां जस्ट सामने अल्पना घोड़ी बनी और विवेक पीछे से उस पर चढ़ गया.

विवेक मेरी सहेली की चुदाई कर रहा था कि अचानक उसने खिड़की की तरफ देखा. जिससे मेरी और उसकी नजर मिल गई. उस समय तक मैं भी चुदाई देखते 2 इतनी गर्म हो चुकी थी कि मुझे पता नहीं क्या हुआ मैं वहाँ से हटी नहीं बल्कि मैंने उसे इशारे से आँख मार कर लगे रहने का बोल दिया.

उसने भी उतेजना में चुप होने का इशारा कर दिया. मतलब वो चाहता था कि मैं चुपचाप सब देखती रहूँ।

करीब 10 मिनट बाद विवेक का वीर्य निकल गया फिर उन दोनों में चुम्बन, लिपटा लिपटी और बूब्स प्रेम चलता रहा.
फिर मैं वहाँ से हट गई और कॉफी बनाने चली गई.

उन दोनों ने करीब 20 मिनट बाद दरवाजे खोले. मैंने विवेक और अल्पना को कॉफी आफर की. लेकिन विवेक मुझसे आँखें चुरा रहा था.
पता नहीं क्यों?
कॉफी पीने के बाद विवेक चला गया।

फिर अल्पना और मेरी बात हुई।
अल्पना- थैंकयू यार … आज मैं तेरी वजह से मिल पाई!
मैं- ओये मेडम …सिर्फ मिल पाई या ये बोलो कि चुद गई।
अल्पना- अरे यार … तू भी! अरे मैं तो भूल गई तूने देखा या नहीं?

मैं चाहती तो झूठ बोल सकती थी लेकिन मैंने नहीं बोला, और बता दिया- मेरी दोस्त, तेरी लाइव चुदाई देख ली. कैसे मजे से लण्ड ले रही थी टू चूत औऱ मुँह में! बड़ी चुड़ैल है तू … कितने मजे से ले रही थी.
अल्पना- हम्म … जैसे तू बहुत दूध की धुली है? तू भी तो अपने बॉयफ्रेंड का मजे से लेती है।

मैं- अच्छा अच्छा सुन … तेरे बॉयफ्रेंड का लण्ड बहुत मस्त है. तुझे मजा आ गया होगा।
अल्पना- नजर मत लगा! मज़ा तो बहुत आ गया!

ऐसे ही मैं अपने घर अपनी दोनों सहेली को उनके बॉयफ्रेंड से मिलवा देती. इसमें मुझे एक फायदा था कि मुझे लाइव ब्लू फिल्म देखने को मिल जाती. साथ ही गप्पें मारने को मिल जाती।

एक दिन मैंने अल्पना को फ़ोन किया- कोई नहीं है घर पर … तू आ जा अगर मिलना हो तो! क्योंकि मेरा बॉयफ्रेंड आज है नहीं!
तो उसने बोला कि वो 30 मिनट बाद आएगी. और वो अपने बॉयफ्रेंड विवेक जो कि मेरा भी क्लासमेट दोस्त था उसे आने को बोल दे रही रही है।

उस टाइम 1 बजे का टाइम था. गर्मियों के दिन थे. विवेक आ गया जिसे मैंने आने घर अंदर बुला लिया।

विवेक हर बार की तरह मेरे लिए चॉकलेट लाया था, उसने मुझे दी. मैंने थैंक्स बोला.
फिर विवेक पूछने लगा- अल्पना कहाँ है?
मैं- अभी आई नहीं है,, आने वाली होगी. आओ अंदर आओ!
विवेक- मुझे बोल रही थी कि 1 बजे पहुँच जाऊंगी.
मैं- आने वाली होगी. सब्र कर लो. क्यों सब्र नहीं हो रहा क्या? लो पानी पियो. कॉफी या चाय लोगे?
विवेक- अभी नहीं, मिलने के बाद ले लेंगे.
मैं- क्यों? मिलने के बाद क्यों?
विवेक- मिलने के बाद थोड़ी फ्रेशनेस आ जायेगी पीने से!

मैं- अच्छा तो फिर वाइन के भी शौकीन हो तुम?
विवेक- हाँ कभी कभी ले लेता हूं. हाँ लेकिन अल्पना को मत बोलना!
मैं- मैं क्यों बोलूंगी? तुम मेरे भी तो दोस्त हो.

फिर मैंने उसकी दी हुई चॉकलेट उसी को आधी आफर की.
विवेक- अच्छा तो चॉकलेट खिलाकर विश्वास बताना चाहती हो?
मैं- जी नहीं. विश्वास तो आप कर सकते मुझ पर … मैं नहीं बोलूंगी अल्पना से!
विवेक- हाँ मुझे तुम पर बहुत विश्वास है. और एक बार एडवांस में थैंक्स जो तुम मुझे मिलने के लिए जगह देती हो!
मैं- कोई बात नहीं यार … तुम मेरे दोस्त हो. उतना तो में कर सकती हूं. आज लेकिन मैंने तुम्हारी और अल्पना की वजह से अपने बॉयफ्रेंड को नहीं बुलाया मिलने!
ये मैंने झूठ बोल दिया.

विवेक- अच्छा बुला लेती ना यार! वैसे मुझे लगा कि तुम्हारा बॉयफ्रेंड नहीं होगा. और फिर अल्पना ने भी नहीं बताया कभी?
मैं- हाँ, अभी नया ही बना है. इसलिए नहीं बताया होगा अल्पना ने! वैसे तुम्हें क्यों लगा ऐसा कि मेरा बॉयफ्रेंड नहीं होगा? मुझसे क्या कमी है?
विवेक- अरे सॉरी बाबा … मेरा वो मतलब नहीं था. तुम तो बहुत अच्छी हो, गुड लुकिंग हो, सेक्सी हो. बस मुझे लगा …
मैं- क्या बस बताओ न?
विवेक- गुस्सा तो नहीं होओगी?
मैं- नहीं होऊँगी. तुम भी मेरे दोस्त ही हो. क्यों डर रहे हो? बताओ?

विवेक- अरे उस दिन तुम मेरी और अल्पना की चुदाई छिपकर देख रही थी तो लगा शायद तुम्हारा बॉयफ्रेंड नहीं है. इसलिए!
मैं- ओह … मैंने सोचा तुम भूल गए होंगे उस बात को! लेकिन तुम तो गलत ही सोच रहे।
विवेक- मैं ऐसे किसी बात को नहीं भूलता प्रियंका जी. एक बात पूछूँ अगर बुरा न लगे तो?

मैं- बोलो यार … अब क्या बुरा मानना.
विवेक- उस दिन वाला शो पूरा देखा था या फिर …
मैं शर्मा गई और नीचे सिर करके बोल दिया- फुल लाइव देखा था।
विवेक- ये तो चेटिंग है अपने दोस्तों के साथ!

मैं- क्या यार … तुम्हें क्या प्रॉब्लम हुई? बस मैं तो अल्पना की आवाज़ सुनकर आई थी. बिचारी इतनी जोर से चीखी तो आना पड़ा.
विवेक- अच्छा … अभी तो बोल रही थी फुल देखा?
मैं- हाँ उसके बाद फुल ही देखा था मैंने!
विवेक- अच्छा कैसे लगा? आपकी सहेली की सेवा कैसी की मैंने?
मैं- सेवा की या चीख निकाल दी तुमने उसकी?
विवेक- मैं क्या करता … अब उसकी है ही छोटी तो चीख तो निकलेगी ही।

मैं- अच्छा उसकी छोटी है या आपका ही बड़ा है?
अचानक मेरे मुंह से निकल गया.
फिर मैंने मुंह पर हाथ रखकर सॉरी बोला.
विवेक- इट्स ओके … कोई बात नहीं, चलता है इतना तो. वैसे भी तुम मेरी गर्लफ्रेंड की सहेली हो तो मेरी साली हुई और मेरी क्लासमेट भी. तो इतना तो चलना चाहिए. वैसे ना … उसकी हर चीज छोटी है, और फिर मेरा इतना भी बड़ा नहीं है।

मैं नीचे सिर किये हुए बोली- हर चीज से मतलब क्या है? मैंने सब देखा है उसका!
विवेक- अच्छा तुमने देखा है तो तुम्हें पता ही होगा. मेरा मतलब उसके बूब्स भी छोटे हैं.

विवेक के मुंह से बूब्स सुनकर मुझे भी अलग ही फीलिंग आई जैसे कुछ होने वाला हो.

फिर मैं बोली- उनको बड़ा करना तो तुम्हारी जिम्मेदारी है. और इतने छोटे भी नहीं हैं.
विवेक- तुमसे तो छोटे ही हैं. और जब मिलते हैं तो मैं मेहनत करता हूं कि बड़े हो जायें.

मैं अपने बूब्स की तारीफ सुनकर शॉक भी हुई और अच्छा भी लगा.
लेकिन मैं बस इतना बोल पाई- मेरे कब देख लिए तुमने? और मैंने देखा है कि कितनी मेहनत करते हो तुम.
विवेक- अरे प्रियंका, दिख जाते हैं. ऊपर से ही समझ आ जाता है कि कितने बड़े हैं और मेहनत कैसे की जाती है.

मैं- अच्छा … तुम तो बड़े खिलाड़ी निकले. तुम तो लड़कियों की बूब्स का साइज भी ऊपर से ही समझ जाते हो. टेलर हो क्या?
विवेक- टेलर नहीं तो क्या … समझ जाते हैं. आप क्या समझ रही हो? आप ही सबका सब कुछ देख लो? अपना कुछ …
मैं- मतलब क्या है तुम्हारा?
विवेक- कुछ नहीं. गुस्सा मत हो. बस मैं तो ये बोल रहा था कि उस दिन आपने मुझे पूरा न्यूड देख लिया और अपना सब छुपाती हो. ये तो चीटिंग हुई ना?

मैं- अब मैं इतनी हेल्प करूँगी तो कुछ तो एडवांटेज लूँगी.
विवेक- अच्छा ये तो गलत बात हुई. तुम हमारी मजबूरी का फायदा ले रही हो!
मैं- ऐसा नहीं यार. मैं किसी की मजबूरी का फायदा नहीं लेती.
विवेक- ऐसा ही है. अगर ऐसा नहीं है तो हिसाब बराबर होना चाहिए.
मैं- कैसा बराबर होना चाहिए?

विवेक- यही कि तुमने मुझे अल्पना को चोदते देखा है. मैं तो तुम्हें देख नहीं सकता. तो तुमने मेरे वो देख लिया तो मुझे भी तुम अपना …
इतना बोलते बोलते रुक गया.

मैं- अच्छा मतलब क्या है? मैं भी तुम्हें अपने बॉयफ्रेंड से वो सब करते टाइम देखने दूँ?
विवेक- अरे नहीं यार … बस तुमने मेरे लण्ड देखा. तो तुम मुझे अपने बूब्स …

मैं लगातार विवेक के मुंह से लण्ड चोदते चुदाई जैसे वर्ड्स सुनकर गर्म हो रही थी. लेकिन डर था कि कहीं अल्पना न आ जाये.
फिर मैं बोली- क्या बोल रहे हो तुम? तुम्हें शर्म नहीं आती?
विवेक- देखो, मैं जानता हूं कि मैं क्या बोल रहा हूँ. तुमने भी तो देखा है मेरा तो तुम्हें दिखाने में क्या प्रॉब्लम है? वरना मैं समझूंगा कि तुमने हमारी मजबूरी का फायदा लिया.

मुझे अचानक पता नहीं क्या हुआ और मैंने बोला- मैंने कोई मजबूरी का फायदा नहीं लिया.
और अपनी टीशर्ट को ऊपर उठा दिया. जिसके अंदर ब्रा थी लेकिन मेरे बड़े बड़े बूब्स ब्रा के बाहर आ रहे थे और बोल दिया- लो देख लो. बस अब तो ठीक है?
विवेक- वाह … क्या बूब्स हैं. काश अल्पना के ऐसे होते तो! प्लीज ब्रा निकालकर दिखाओ ना? तुमने भी तो मेरा लण्ड देखा है.

वो मुझे उकसा रहा था लेकिन मुझे भी मज़ा आ रहा था क्योंकि मैं बातों ही बातों में गर्म हो चुकी थी, मेरी चूत गीली हो चुकी थी.
मैं- अच्छा … लेकिन दूर से देखना बस. और हाथ मत चलाना.
विवेक- हाँ ठीक है. दिखाओ न!

ऐसा बोलते हुए उसने अपना लण्ड दबाया जो खड़ा हो चुका था. जिसे देखकर मुझे हँसी आई और मुझे लगने लगा था कि आज अल्पना से पहले शायद ये मेरी चूत में होगा.
फिर मैंने ब्रा निकालकर अपने बूब्स नंगे कर दिए.

चूंकि मैं गर्म थी तो अचानक मेरे हाथ बूब्स दबाने लगे.
जिसे देखकर विवेक बोला- अच्छा … तभी मैं सोचूँ कि इतने बड़े कैसे हो गए. खुद ही दबा लेती हो अपने!
मैं- ऐसा नहीं है यार … नैचरल हैं ये!

विवेक- लगता है आज भाग्य भी मेहरबान है मुझ पर! अभी तक अल्पना आई नहीं, उसकी सहेली के बूब्स देखने को मिल गए.
ऐसा बोलकर उसने आने लण्ड को फिर से मुझे देखकर एडजेस्ट किया और बोला- अब जल्दी आ जाये अल्पना. सब्र नहीं हो रहा. आज तो उसकी चीख निकलवा दूँगा. बहुत चोदूँगा.

मैं- अच्छा बहुत जल्दी है तो फ़ोन लगाओ उसे, पूछो कब तक आ रही है. मैं अपनी टीशर्ट पहन लूं.
विवेक- मैं कॉल कर चुका, लग नहीं रहा उसका. लगता आज किस्मत मेहरबान होकर भी मेहरबान नहीं है.
मैं- अच्छा तो फिर मैं कॉफी बनाऊँ, तब तक अल्पना आती होगी.

इतने में अल्पना का फ़ोन आया कि वो आज नहीं आ सकती. विवेक आये तो उसे बोल देना आज नहीं आ रही.

मैंने जब ये विवेक को बोला तो उस बेचारे की शक्ल देखने लायक थी. फिर उसने अपनी जीन्स के ऊपर से लण्ड को मसला और बोला- साले खड़े लण्ड पर चोट हो गई।
मुझे सुनकर हँसी आई जिससे मेरे बूब्स ऊपर नीचे होने लगे.
विवेक लगातार देखे जा रहा था.

मैंने बोल दिया- जाओ बगल में बाथरूम है, हिला लो. बिचारे को क्यों परेशान कर रहे हो?
जिस पर वह बोला- उसे चूत चाहिए और चूत धोखा दे गयी.
औऱ बोला- तुम मेरी हेल्प करोगी दोस्त के नाते?

मैं तो चाहती थी कि विवेक आगे बढ़े, मुझे छेड़े. लेकिन ये साला बातों में लगा था. और मैं पहले से पहल कर नहीं सकती थी.
ऐसे में मैं बोली- क्या कर सकती हूं मैं?
विवेक- क्या तुम मेरा अपने हाथ से हिला दोगी?

मैं चाहती थी कुछ तो हो. इसलिए मैंने भी बोल दिया- बस इतनी सी बात … चलो बाथरूम में!
विवेक- ओह्ह थैंक्स!

और वो मेरे पास आकर बूब्स को टच करने वाला था कि मैंने टोक दिया- दूर रहो!

मैं और विवेक बाथरूम चले गए. मैंने आने बूब्स अभी भी नहीं ढके थे. बाथरूम जाकर उसने अपना जीन्स खोला जिससे उसका मोटा लण्ड निकल आया. उसे मैंने अपने हाथ में ले लिया.

इतना बड़ा और मोटा लण्ड बहुत दिनों बाद देखने मिला था. मन तो कर रहा था कि मुँह में लेकर अच्छे से चूस लूं. लेकिन चूस नहीं सकती थी क्योंकि विवेक को लगता कि ये तो नंबर एक की चुदक्कड़ है. और फिर मैं नहीं चाहती थी कि कोई भी पहल मेरी तरफ से हो.

मैं उसके मोटे लण्ड को धीरे धीरे आगे पीछे करती रही जिससे उसे मस्ती चढ़ रही थी.
उसने मौके का फायदा लेकर अपना एक हाथ मेरे बूब्स पर रख दिया और जोर से दबाने लगा. मैंने उसे रोकने का कोशिश की लेकिन मेरी कोशिश इतनी कमजोर थी कि मैं उसे मन से ना रोक सकी क्योंकि मैं भी बहुत गर्म हो चुकी थी.

विवेक मेरे बूब्स दबाता रहा और मैं उसका लण्ड को जोर जोर से हिलाती रही.
जब उसका वीर्य निकलने को था तो बोला- और जोर से करो … मैं आ रहा हूँ.
और उसने मेरे मुँह को पकड़ कर लिप्स पर किस कर दी.

मुझे भी अच्छा लगा जिससे मैं भी उसका साथ देने लगी और फिर वो झड़ गया. उसके लण्ड से बहुत सारा पानी निकला.
फिर उसने बोला- साफ कर दो.
तो मैंने उसके लण्ड को और अपने हाथों को साफ किया.

अब हम बाथरूम से बाहर आ गए. विवेक अभी भी नंगा था, उसका लण्ड लटक गया था और मेरे कमर में हाथ डाले था.
मैंने उसके हाथ को नहीं हटाया क्योंकि मैं चाहती थी अब वो थोड़ा आगे बढ़े।
लेकिन हम ऐसे ही फिर से बैडरूम में आ गए.

विवेक- यार थैंक्स! मैं तुम्हारा ये एहसान नहीं भूल सकता. आज मेरे साथ धोखा हो गया. तुमने मेरी मदद की. वरना आज दिन बेकार जाता. मेरा लण्ड बहुत परेशान करता!
मैं- अच्छा कोई बात नहीं. लेकिन याद रखना … किसी को पता नहीं चलना चाहिए. खास कर अल्पना को. वरना तुम और मैं दोनों परेशानी में फंस जाएंगे. तुम मेरे दोस्त हो इसलिए मैंने तुम्हें इतना …
यह कह कर मैं चुप हो गई.

विवेक- यार प्रियंका, आज मेरे साथ तो धोखा हो गया. तुम्हारे साथ हुआ कभी ऐसा? और जैसे मेरा खड़ा हो जाता है तुम्हें कुछ नहीं हुआ? क्या तुम मेरी एक इच्छा पूरी कर सकती हो? मैं प्रोमिस करता हूँ कि किसी को कुछ पता नहीं चलेगा।
मैं- होता है … लेकिन में कंट्रोल कर लेती हूं. और मेरे साथ भी हो चुका जब मेरा बॉयफ्रेंड मिलने नहीं आया. मैं समझती हूं उस दर्द को. इसलिए तो तुम्हारी इतनी मदद की मैंने. और तुम्हारी क्या इक्छा होने लगी अब?

विवेक- यही कि तुमने मेरा लण्ड देख लिया और हाथ भी लगा दिया. तुम मुझे अपनी चूत दिखा दो. मैं कुछ नहीं करूँगा बिना तुम्हारी मर्जी के. देखो अब तो मेरा ये लण्ड भी शांत हो गया।
मैं- मैंने भी तो तुम्हें अपने बूब्स दिखा दिए और तुमने उन्हें जबरदस्ती दबा भी दिए. कहीं तुम मेरे साथ ज़बरदस्ती न कर दो।
विवेक- प्रोमिस … मैं कुछ नहीं करूँगा. प्लीज दिखा दो न!
मैं- ठीक है दूर से देखना.

और अपनी लोवर और पैंटी उतारकर बोली- देख लो!
मेरी पैंटी बिल्कुल गीली थी, मेरी चूत से लगातार पानी निकल रहा था जो मेरी जांघ तक आ रहा था. फिर मैंने उसे थोड़ा खोल कर दिखाया जो कि बिल्कुल क्लीन गुलाबी थी.

विवेक- वाऊ … क्या चूत है.
और बोला- प्रियंका, क्या मैं पास से देख सकता हूँ इतनी सुंदर चूत को? तुम्हारी तो अल्पना से भी अच्छी है।
मैं- अच्छा … मुझे सब पता है. ज़्यादा बातें मत चोदो. चुपचाप देख लो. थोड़ा पास आ सकते हो बस!

विवेक- ओह मेरी प्यारी दोस्त … तुम कितनी अच्छी हो.
ऐसा बोल कर वो पास आ कर नीचे बैठ गया जिससे उसका मुँह मेरी चूत के बिल्कुल पास था और फिर उसने अचानक अपना मुंह मेरी चूत पर रख दिया और मेरी गांड को कसकर पकड़ लिया.

इस अचानक हुए हमले से मैं सम्भल नहीं पाई.
और फिर वो मेरी चूत चाटने लगा.

मैंने उसे रोकने की फिर नाकाम कोशिश की. पता नहीं उसे मेरी मजबूरी पता था कि मेरी सेक्स में सबसे बड़ी कमजोरी चूत चाटने की है. इसके बाद मैं अपने आपको कंट्रोल नहीं कर सकती।
चूत चुसाई इतनी अच्छी थी कि मैं उसे न रोक पायी और मैंने उसके सिर को पकड़कर बोल ही दिया- और जोर से चूसो विवेक!

करीब दस मिनट तक मेरी सहेली का चोदू यार मेरी चूत चूसता रहा. फिर मेरा पानी निकल गया.
मैंने अपनी व पड़ी पैंटी से अपनी चूत को साफ किया।

अब हम दोनों ही शांत थे. बस जो कुछ भी हो रहा था उसमें मेरी और उसकी मौन स्वीकृति थी।

फिर उसने मुझे बेड पर पटक दिया और मेरे ऊपर आ गया. हम दोनों के बीच जबरदस्त चूमा चाटी होने लगी. अबकी बार मैं उसका पूरा साथ दे रही थी.
किस करते करते वो मेरे बूब्स पर आ गया और बोला- तुम्हारे बूब्स बहुत अच्छे हैं. अल्पना के तो बहुत छोटे है तुमसे!
और उन्हें अच्छे से दबाने लगा. फिर कुछ देर बाद मुँह में लेकर चूसने लगा.

फिर वो एक हाथ से मेरी चूत को रब करने लगा. इस बीच उसका लण्ड फिर से तैयार हो गया था जिस पर उसने मेरा हाथ पकड़कर रख दिया.
मैं भी उसके लण्ड को प्यार से सहलाने लगी. अब मुझे पक्का यकीन हो गया था कि आज अल्पना की जगह मुझे उसके यार से चुदने से कोई नहीं रोक सकता.

फिर विवेक मेरे कान में बोला- चूसोगी क्या?
मैं- मुझे पसंद नहीं है.
मैंने फिर झूठ बोल दिया और चुप हो गई.

फिर उसने अपनी होशियारी दिखाई और 69 की पोजीशन बना ली और मेरी चूत चाटने लगा जिससे उसका लण्ड मेरे सामने था. लण्ड मुँह के सामने हो और अंदर न जाये, ये शायद वो जानता था. तो फिर मैंने भी उसका लण्ड चूसने में कोई कमी नहीं की।

फिर चूत चुसाई इतनी हो गई कि मेरी चूत लण्ड मांगने लगी.
तो मैंने विवेक को बोला- अब नहीं रुका जा रहा … डाल दो अपना अब!
विवेक- क्या करूँ? बोलो क्या डालना है?
मैं- वही जो तुम चाहते हो. अपना लण्ड डाल मेरी चुदाई करो जल्दी. वरना मैं मर जाऊंगी.
विवेक- मेरी जान, तुम्हें नहीं मरने दूँगा.

कहकर उसने वैसे ही सीधे होकर अपना लण्ड मेरी चूत पर लगा दिया और एक झटका दिया. जिससे मेरी हल्की सी चीख निकल गई और लण्ड पूरा अंदर हो गया.

फिर धीरे धीरे मेरी चूत की चुदाई होती रही मेरी सहेली के यार के लंड से.
जब मैं झड़ने के करीब थी तो बोली- जल्दी जल्दी करो ना!

विवेक ने मेरी चूत चोदने की रफ्तार बढ़ा दी और मैं एक बार झड़ चुकी थी.
अब मैं वैसे ही पड़ी रही वो चोदता रहा।

फिर उसने मुझे घोड़ी बनने को बोला और पीछे से अपना लण्ड मेरी चूत में डाल दिया. करीब पांच मिनट तक घोड़ी बनाकर चोदा, फिर बोला- अब तुम मेरे ऊपर आ जाओ.

विवेक लेट गया, मैं उसके लण्ड पर चूत लगाकर बैठ गई और ऊपर नीचे होकर चुद रही थी.

कुछ देर बाद मुझे लगा कि मेरा टाइम आ गया झड़ने का … तो तेज़ तेज़ कूदने लगी और 5 मिनट में हम दोनों एक साथ डिस्चार्ज हो गए.
फिर मैं उसके बगल में उसकी बांहों में लेट गई और बातें करने लगी.

विवेक- कैसा लगा अपनी सहेली के बॉयफ्रेंड के लंड से चुद कर?
मैं पहले तो चुप रही फिर मैंने उसके माथे पर एक किस कर दी जिससे वो समझ गया कि लड़की चुदाई में संतुष्ट होती है तो चुप होती है.

फिर एक बार विवेक बोला- बोलो तो मेरी जान?
और मेरे बूब्स फिर से दबा दिए और एक हाथ पीछे से गांड के छेद पर चलाने लगा.

मैंने अब चुप रहना ठीक नहीं समझा क्योंकि मुझे भी उसकी चुदाई पंसद थी. क्योंकि उसका हथियार बड़ा था और उसे अच्छे से चोदना भी आता था.
तो बोल दिया- तुम तो खिलाड़ी हो इस खेल के! तभी अल्पना की चुदाई करते टाइम वो चिल्लाती है. और हाँ पीछे से हाथ हटाओ, वहाँ कुछ मत करो.
विवेक- अरे बाबा, कुछ नहीं कर रहा. प्रियंका सच बताना, पीछे से कभी लिया है अंदर?

मैं- नहीं पीछे से कभी नहीं! एक बार मेरे बॉयफ्रेंड ने जिद की थी लेकिन दर्द होता है तो मैंने नहीं करने दिया.

मेरा इतना बोलना था कि उसने अपनी बीच वाली उंगली मेरी गांड में डाल दी.
मैं कराह उठी और गुस्से मैं बोल दिया- निकाल उंगली।
उसने भी मेरे गुस्से को भांपते हुए मेरी गांड में से उंगली निकाल दी.

ऐसे बातें होते होते फिर चूमाचाटी और बूब्स की मालिश होने लगी. लेकिन मैंने इस बार यह कहकर रोक दिया- अब बस … हमें रुक जाना चाहिए. बहुत हो गया.

हम दोनों बाथरूम गए, फ्रेश हुए कपड़े पहने.
और मैंने उसको कॉफी आफर की.

उसके बाद एक लंबी किस के साथ ही उसने मुझे एक प्रोमिस करने को बोलने लगा- अगला मौका जल्दी ही देना मुझे!
मैंने भी मजाक में बोल दिया- अब तो अल्पना को लेकर आना, अभी तो मैंने उसकी कमी पूरी की थी.

मैं भी चाहती थी कि मेरा विवेक के साथ आगे भी चलता रहे. लेकिन डर था कहीं मेरे बॉयफ्रेंड या अल्पना में से किसी को पता न चल जाये. क्योंकि मैं दोनों में से किसी को नहीं खोना चाहती थी.
और मैंने उसे भी यही बोला- अगर कभी मौका मिला तो जरूर मिलेंगे. लेकिन तुम भूल जाओ कि कुछ हुआ था. अपन जब भी मिलेंगे, नॉर्मल ही मिलेंगे जैसे कुछ हुआ ही न हो।
हम दोनों इस बात पर सहमत थे.

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