मुझे अस्पताल की पार्किंग में काम मिला. वहां एक सेक्सी नर्स मुझे लिफ्ट देने लगी. उस सेक्सी औरत की हरकतों ने मुझे उसकी ओर जाने को मजबूर कर दिया.
दोस्तो, मेरा नाम आदित्य (बदला हुआ) है. मैं जयपुर (राजस्थान) का रहने वाला हूँ. अभी 35 साल का हो चुका हूं और 7.6 इंच के लंड का धनी हूँ. मेरी हाइट 5 फीट 11 इंच है. मगर इस बात का मुझे बिल्कुल भी घमंड नहीं है क्योंकि ये सारी देन तो कुदरती है.
मुझे इस बात की खुशी है कि मैं पढ़ा-लिखा, रोमांटिक विचारों वाला सुंदर व्यक्ति हूं. हां, यह पर यह बात जरूर जोड़ना चाहूंगा कि इंसान कितना भी रोमांटिक मिजाज वाला क्यों न हो, किंतु सामाजिक मान-मर्यादाओं का ध्यान रखते हुए उसे लाज-शर्म का लिहाज भी करना पड़ता है. सीधे शब्दों में कहें तो शर्म का नाटक करना पड़ता है.
जिसकी लग्गी खड़ी होती है उसे सिर्फ सामने छेद ही दिखता है. मेरे साथ भी ऐसा ही था. मगर एक बात और भी है कि जिसको चूत चुदाई की खुजली होती है उसके ख़यालों में भी लग्गी ही होती है.
तभी तो कहते हैं कि बुड्ढे इश्क करते हैं किंतु लोग उन पर शक नहीं करते. मेरे साथ भी ऐसा ही हो रहा था. जवानी ढल रही थी मगर लंड की जवानी थी कि ढलने का नाम नहीं ले रही थी. कुछ ऐसा ही हाल औरतों का भी होता है. कई बार प्यासी औरतें खुद पहल करके लंड का स्वाद चख लेती हैं.
चलो ये तो रहे अपने-अपने विचार. अब कहानी शुरू करते हैं. यह घटना मेरे साथ कुछ साल पहले हुई थी. उस समय मैं उड़ीसा में काम करता था. दुर्भाग्यवश मेरा एक्सीडेंट हो गया. मेरे पैर में फ्रेक्चर हो गया. हॉस्पिटल गया तो वहां पर पैर पर प्लास्टर चढ़ा दिया गया. अस्पताल से छुट्टी लेकर मुझे घर लाया गया. दो महीने तक बेड पर पड़ा रहा.
दो महीने के बाद मेरे पैर का प्लास्टर कटा और तब जाकर मुझे बेड से उठने की आजादी मिली. मगर अब करने के लिए कुछ था नहीं और टाइम पास हो नहीं रहा था.
एक रिश्तेदार के दोस्त उनके साथ मेरा हाल जानने के लिए आये हुए थे. बात करने पर पता चला कि रिश्तेदार के दोस्त पार्किंग का ठेका लिया करते थे. उनके कई ठेके चल रहे थे.
मैंने उनसे अपनी व्यथा कही तो उन्होंने मुझे पार्किंग की देख-रेख करने का काम दे दिया. अब मैं पार्किंग का सुपरवाइज़र था. कुछ दिन के बाद ही मेरी ड्यूटी एक हॉस्पिटल की पार्किंग में लग गई. इससे पहले वहां जो केयरटेकर था उसकी दादी का देहांत हो गया था. वो यू.पी. के अपने गांव में चला गया था.
वहां पर ड्यूटी शुरू हुई और वहां से शुरू हुई असली कहानी. दूसरे दिन मैं सुबह जल्दी अस्पताल पार्किंग में चला गया. काउंटर की एडिटिंग कर दी और मासिक गाड़ियों के नम्बर की सारी लिस्ट को एक सफेद चार्ट पर लिख दिया. उस चार्ट को मैंने शीशे के नीचे दबा दिया.
मेरी हैंडराइटिंग भी काफी सुंदर है इसलिए चार्ट देख कर मैं फूला नहीं समा रहा था. सुबह-सुबह ही पार्किंग में भीड़ होने लगी. लोग अपनी गाड़ियां पार्किंग में यथावत खड़ी करके जाने लगे.
कुछ देर बाद एक नर्स सफेद रंग की स्कूटी पर आई. उसने अपना मुंह स्कार्फ से बांध रखा था और हेलमेट पहन रखा था. मेरे काउंटर के सामने आकर गाड़ी को रोक कर कुछ अजीब सी नजरों से मुझे देखा और मैंने भी उसको नजरें चुराकर ध्यान से देखा. वो बड़ी ही मस्त थी.
फिर वह स्कूटी पार्क करने चली गयी और थोड़ी देर बाद वापस मेरे पास आकर मेरे से पूछा- आप नये आये हो यहाँ पर?
मैंने भी हाँ में सर हिला कर कहा- जी मैडम.
सच कहूँ दोस्तो, उसकी आँखों मे एक अलग ही प्यास दिखी मुझे. वो क्या मस्त लग रही थी. कद लगभग 5.5 फीट का होगा और उसका कुछ रंग साँवला था. उसकी आँखें बड़ी-बड़ी बहुत ही सेक्सी थीं.
उसका फिगर तो बस कमाल ही था. सीना 34 या 36 इंच का लग रहा था. नर्स की चूचियां बहुत ही बड़ी मालूम पड़ रही थीं. उसको देखते ही मानो मेरी आँखों की एक्सरे मशीन चालू हो गयी हो. बाहर से ही अंदर का सारा जायज़ा ले लिया.
उसकी नाक बड़ी सेक्सी थी और उसकी कमर लगभग 28 इंच थी. उसकी गांड लगभग 35 या 36 इंच की होगी. कुल मिलाकर वो इतनी सेक्सी थी कि देखते ही अंदर से एक आह्ह निकली- वाह… क्या बनाया है ऊपरवाले ने.
देखते ही मेरा लण्ड खड़ा हो गया. मैंने अपनी शर्ट तुरन्त बाहर निकाली क्योंकि मेरी पैंट में तंबू बन गया था. शर्ट से लंड के तनाव को छिपाने लगा.
उसको देखने पर लग रहा था कि शायद वो साउथ इंडियन थी. सोचने लगा कि हो सकता है कि केरल से हो. मगर फिर मैंने अपने आप संभाला. सोचा कि सुबह सुबह मन में गलत ख़याल लाना ठीक नहीं है.
उसकी ओर से ध्यान हटा कर मैं अपने काम में लग गया. पार्किंग काफी बड़ी थी. मेरे पास 9 लड़के काम करते थे. मैंने सबको काम पर लगा दिया. ऐसे ही वक्त गुजर गया और शाम हो गयी.
शाम के वक्त वो अपनी ड्यूटी खत्म करके मेरे पास आकर बोली- आप काफी पढ़े-लिखे लग रहे हो.
मैंने शर्माते हुए कहा- जी मैडम.
वो बोली- कहां तक पढ़ हो?
मैंने कहा- डबल एम.ए. किया है.
उसने पूछा- नाम क्या है आपका?
मैंने कहा- आदित्य.
फिर वो कहने लगी- आदित्य जी, जब इतने पढ़े लिखे हो तो पार्किंग में काम क्यों कर रहे हो?
मैंने उसको अपने एक्सीडेंट वाली सारी स्टोरी सुना दी.
वो बोली- चलो शुक्र है कि बच तो गये.
फिर वो चली गयी.
दूसरे दिन भी वो उसी तरह आई और अपनी गाड़ी खड़ी करके काउंटर पर एक पैकेट रख कर मटकती-मटकती हुई चली गई.
मैंने सोचा कि उसका रोज़ का यही रुटीन होगा. जब वो जाने लगी तो मैंने उसको आवाज दी. मैंने कहा- मैडम आपका ये सामान रह गया है.
वो मुस्कराती हुई मेरे पास आई और बोली- मैं अभी बाहर से नाश्ता करके आ रही थी तो सोचा आपके लिए भी कुछ ले चलूं. ये आपके लिए ही है.
मैं उसको मना करने लगा तो वो लेने के लिए आग्रह करने लगी.
उसके कहने पर मैंने वो पैकेट रख लिया.
पार्किंग वाले सारे लड़के मेरी तरफ अजीब सी नजरों से देख रहे थे. साले सारे के सारे हरामी थे. मैडम का यूं मुझसे बात करना हजम नहीं हो रहा था उनको शायद.
कुछ देर के बाद एक लड़का आया और बोला- सर, लगता है कि इसका दिल आ गया है आप पर, तभी तो आपके लिए नाश्ता लेकर आई है. कल भी मैंने इसको देखा था. आपको ऐसे घूर रही थी जैसे खा जायेगी. वैसे भी जब औरत को किसी मर्द के दिल में घुसना होता है तो वो उसको खाना ही खिलाती है. मुंह के रास्ते आपके दिल तक पहुंचने की कोशिश कर रही है. माल तो मस्त है सर, अगर लाइन दे रही है तो ले लो!
मैंने उसको डांटते हुए कहा- साले, तेरी सोच ही गंदी है. किसी का बड़ा दिल है तो इसका मतलब ये नहीं कि वो हमसे बदले में कुछ चाहता हो.
मेरे डांटने पर उस लड़के ने अपनी नजर नीचे कर ली और फिर अपने काम में लग गया.
दोस्तो, मैं जहां पर भी काम करता था वहां पर अपनी छवि बनाकर रखता था. ये बात आप भी समझ सकते हैं कि इन सब चीजों का काम की जगह पर बहुत असर पड़ता है. इसलिए एक अच्छी छवि बना कर रखना जरूरी होता है.
मेरे दिल में उस सेक्सी नर्स के लिए वासना के भाव थे, इसमें भी कोई शक नहीं था. मौका मिलता तो मैं भी उसकी चूत को चोदने में कोई कसर न छोड़ता. लेकिन दूसरों के सामने कुछ और ही दिखाना होता है. इसलिए मैं सबको अपने दिल की बात नहीं बताता था.
फिर मैंने पैकेट खोल कर देखा तो उसमें मावे की दो कचौरी थी. मैंने सोचा कि ये दो कचौरी क्यों लेकर आई है? मेरे साथ और भी लड़के काम करते थे इसलिए शायद उनके लिए भी लाई होगी.
मैंने एक कचौरी खुद खा ली और दूसरी बाकी के लड़कों में बांट दी. कचौरी काफी स्वादिष्ट थी.
पता नहीं वो मुझ पर इतनी मेहरबान क्यों हो रही थी. कुछ तो चल रहा था उसके मन में. शाम को वो आयी और पूछने लगी- कचौरी कैसी लगी आदित्य जी?
मैंने कहा- बहुत अच्छी थी मैडम.
तारीफ सुन कर उसके चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान तैर गयी. उसके बाद वो चाबी लेकर अपनी गाड़ी के पास गयी. गाड़ी के लॉक को खोलते हुए उसने मेरी तरफ कातिल निगाहों से देखा और उस पर बैठ गयी. गाड़ी निकाली और फिर हाथ हिलाते हुए मुझे बाय बोल कर चली गयी.
फिर अगले दिन भी वो वैसा ही एक पैकेट लेकर आई. काउंटर पर पैकेट रख कर चली गई. गाड़ी खड़ी करके उसने मुझे गुड मॉर्निंग बोला और कातिल नजरों से मुझे ताड़ने लगी.
बोली- आदित्य जी, आपके लिए आज भी नाश्ता लेकर आई हूं.
मैंने कहा- अरे मैडम, आप रोज इस तरह से खर्चा क्यों करती हैं.
वो बोली- कमा रहे हैं तो खर्च करने के लिए ही तो कमा रहे हैं.
उसके इस जवाब पर मुझे कुछ न सूझा और मैं चुप रह गया.
वो अपनी कातिल मुस्कान के साथ मटकती हुई चली गई.
शाम को वापस आई तो बोली- आदित्य जी, कैसे हो.
मैं शरमाकर उठ गया.
वो बोली- आपका यूं इस तरह से शर्माते हुए मुस्कराना बहुत अच्छा लगता है.
मैंने नजर नीचे कर ली और वो मुस्करा कर चली गई.
अब तो रोज़ का यही सिलसिला हो गया था.
वो रोज मेरे लिए कुछ न कुछ लेकर आती थी. पार्किंग में मेरे साथ काम करने वाले लड़के मुझे कुछ न कुछ कहते रहते थे. लेकिन मैं उनको डांट-डपटकर चुप करवा देता था.
नर्स के मोटे-मोटे बूब्स और उठी हुई गांड को देख कर मैं भी मजा ले रहा था. उसके बारे में सोचते हुए कई बार मुठ मार चुका था. कई बार ख़्यालों में उसको चोद भी चुका था. मगर इंतजार था कि पहल उसी की तरफ से हो.
उसकी हरकतों को देख कर पता भी लग रहा था कि एक न एक दिन जरूर कुछ ऐसा करेगा जिससे मुझे उसके पास जाने के लिए मजबूर होना पड़े. इसलिए मैं भी बस मजे ले रहा था. पांच दिन बीत गये ऐसे ही.
हफ्ते का आखिरी दिन शनिवार भी आ गया.
उस दिन उसने पूछा- आप संडे को भी आते हो क्या?
मैंने कहा- नहीं मैडम. इतवार को तो छुट्टी पर रहता हूं.
उसने मेरे हाथ में एक पर्ची थमा दी. पर्ची में उसका फोन नम्बर लिखा हुआ था. मुस्कराते हुए बोली- शाम को फोन करना.
फिर वो मटकती हुई चली गयी.
मैंने शाम को उसके पास फोन किया.
वो बोली- आदित्य जी, मैं काफी टाइम से आपके फोन का इंतजार कर रही थी. क्या आप कल मेरे घर पर आ सकते हो?
मैंने कहा- मगर मुझे पता ही नहीं कि आप कहां रहती हो?
वो बोली- घर का पता मैं मैसेज कर दूंगी.
उसके जाने के घंटे भर बाद ही उसका मैसेज आ गया जिसमें उसका पता लिखा हुआ था. दरअसल मैं समझ तो गया था कि इसकी चूत में मेरे लंड के नाम की खुजली उठी है. मगर मैं उसको अभी और तड़पाना चाह रहा था. इसलिए मैंने रविवार के दिन फोन बंद कर लिया. दिन भर मेरा फोन बंद ही रहा.
अगले दिन सोमवार को वो आई और काउंटर पर पैकेट रख कर चली गई. फिर गाड़ी खड़ी करके मेरे पास आई और थोड़े से गुस्से में बोली- आदित्य जी, आपका फोन कल पूरे दिन बंद रहा. मैंने कई बार आपका फोन ट्राई किया.
वो कुछ और भी कहना चाह रही थी लेकिन कहते कहते रुक गयी. मैं जानता था कि वो मुझे घर बुलाना चाह रही थी और जब मैं नहीं गया तो उसके आत्म सम्मान पर एक चोट सी लगी थी. किंतु काउंटर पर उसने घर आने की बात का जिक्र नहीं किया. पब्लिक प्लेस था इसलिए वो भी थोड़ी हिचक रही थी.
मैंने विनम्रतापूर्वक कहा- सॉरी मैडम, मेरा फोन पानी में गिर गया था. मैंने अपना मोबाइल रिपेयरिंग के लिए दिया हुआ है.
वो लंबी सी सांस लेते हुए बोली- तो फिर किसी और के फोन से तो फोन कर ही सकते थे न?
मैंने कहा- आपका नम्बर फोन में सेव करने के बाद मैंने पर्ची फाड़ दी थी.
मेरा जवाब सुनकर वो शांत हो गयी. उसका गुस्सा कम हो गया.
फिर वो बोली- अच्छा ठीक है. नाश्ता गर्म है. जल्दी खोल कर खा लेना.
मैंने हां में सिर हिलाया और वो चली गयी.
शाम को जब वो आई तो वो मेरे लिए सैमसंग का नया फोन लेकर आ पहुंची.
फोन मेरे हाथ में थमाते हुए बोली- जब तक आपका फोन ठीक नहीं हो जाता आप ये फोन रख सकते हो.
मैंने मना करते हुए कहा- अरे नहीं मैडम, दो दिन में मेरा फोन ठीक हो जायेगा. आप ये नया फोन किसलिए ले आई हो?
बाकी लड़के भी वहीं खड़े थे. वो भी देख रहे थे कि सामने चल क्या रहा है. वो सब नीचे नजर करके मुस्करा रहे थे. साथ ही उनकी गांड से धुंआ भी निकलता हुआ मालूम पड़ रहा था. इतनी सेक्सी औरत जब किसी को ऐसे खुले में लाइन मारे तो गांड तो फुकनी ही थी.
फोन लेने से मैं मना करने लगा. मैंने उसको फोन वापस रखने के लिए कहा.
वो बोली- अरे, आपके फोन में पानी गया है. क्या पता कितने दिन में ठीक होगा. मैं तो आपकी सुविधा के लिए ही दे रही हूं.
मैं जानता था कि सुविधा तो वो अपनी मचलती और तड़पती चूत के लिए कर रही है. लेकिन फिर भी मैं शरीफ होने का नाटक कर रहा था.
मेरे मना करने के बाद भी वो नहीं मानी. फोन मुझे देकर चली गयी.
मन ही मन मुस्कराने लगा.
सोच रहा था कि लगता है इसकी चूत की आग कुछ ज्यादा ही बढ़ी हुई है. ये तो मेरे लंड को पूरा निचोड़ लेगी. यही सोच कर लंड ने भी सलामी दे डाली.
एक हफ्ते के अंदर ही उसने मुझे अपने घर आने का न्यौता दे डाला था. मगर मैं उसको अभी और तड़पाना चाह रहा था. मैंने जान बूझकर अपना फोन बंद कर लिया तो वो मेरे लिये नया फोन लेकर आ गयी.
मैं समझ गया था कि उसकी चूत में जबरदस्त आग लगी हुई है. मगर मैं भी पूरा हरामी था. उसको जान बूझ कर और ज्यादा तड़पने के लिए मजबूर कर रहा था.
जब उसने मुझे नया फोन लाकर दिया तो मैंने उस दिन भी उसको फोन नहीं किया. अगले दिन वो सुबह आई और बोली कि आदित्य जी, आपने कल भी मुझे फोन नहीं किया. आपने वो फोन चालू किया कि नहीं?
मैं बोला- मैडम मैंने तो फोन कल रात को ही चालू कर लिया था.
वो बोली- तो फिर आपने मुझे फोन क्यों नहीं किया?
मैंने कहा- आपका नम्बर ही नहीं था मेरे पास.
वो कहने लगी- मगर मैंने कल रात को नौ बजे आपके पास फोन किया था. तब भी आपका नम्बर स्विच ऑफ बता रहा था. मुझे तो लगता है कि आपने वो फोन चालू ही नहीं किया है.
मैं बोला- नहीं मैडम, कैसी बात कर रही हो. दरअसल मैंने कल रात को दस बजे के बाद फोन चालू किया था.
वो बोली- अच्छा, चलो कोई बात नहीं. लेकिन फोन को ऑन करने के बाद तो एक कॉल कर सकते थे.
मैंने कहा- मैंने बताया तो, आपका नम्बर ही नहीं था मेरे पास.
वो बोली- अच्छा सॉरी, मैं आपको दोबारा से नम्बर देना भूल ही गयी थी.
उसके बाद उसने दोबारा से पर्ची पर फोन नम्बर लिखा और फिर चली गई.
अब मेरे पास कोई बहाना नहीं रह गया था इसलिए मुझे उसके पास कॉल करना ही पड़ा.
जब मैंने उसके पास फोन किया तो वो काफी खुश हो गयी.
खुश होते हुए बोली- मैं तो आपके कॉल का ही इंतजार कर रही थी.
फिर वो कहने लगी- क्या आप कल छुट्टी लेकर मेरे घर पर आ सकते हो क्या?
मैंने कहा- नहीं मैडम, कलेक्शन का काम है और संभालने वाला कोई नहीं है. काउंटर की जिम्मेदारी है. छुट्टी तो नहीं कर पाउंगा मैं.
वो कुछ सोच कर बोली- अच्छा कोई बात नहीं. और बताओ, आपकी शादी हो गयी है क्या?
मैंने जवाब दिया- नहीं मैडम, अभी तो नहीं हुई है.
वो बोली- अच्छी बात है. ये बताओ कि आपको हमारा गिफ्ट (फोन) कैसा लगा.
मैंने कहा- बहुत अच्छा है.
उस दिन हमारे बीच में कुछ इधर-उधर की बातें हुईं और फिर मैंने कहा कि अच्छा अब सोना चाहिए. वैसे उसके साथ बात करते हुए मेरा लंड तो खड़ा हो ही चुका था. फिर भी मैं बात को टाल गया.
वो बोली- ठीक है.
अगले दिन मैंने उसको फोन नहीं किया तो खुद उसकी तरफ से कॉल आ गया.
वो बोली- सो गये क्या?
मैंने कहा- नहीं, अभी तो नहीं.
पूछने लगी- तो फिर क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- कुछ नहीं, बस ऐसे ही फोन में वीडियो देख रहा था.
अब रोज़ ही उससे बात होने लगी थी. जिस दिन मैं फोन नहीं करता था तो वो खुद कॉल कर लेती थी. ऐसे ही तीन-चार दिन और निकल गये. अगला शनिवार भी आ गया.
वो बोली- कल तो आपकी छुट्टी होगी न?
मैंने कहा- जी मैडम.
उस दिन शाम को ही उसका मैसेज आ गया.
फिर थोड़ी देर बाद फोन भी आ गया. फोन पर कहने लगी- मैंने आपके पास घर का पता मैसेज कर दिया है आदित्य जी. कल आप घर पर जरूर आना.
मैंने कहा- जी ठीक है.
अब मैं भी उसकी चूत चोदने के लिए तड़प उठा था. अगले दिन रविवार था और मैं सुबह ही नहा-धोकर तैयार हो गया. सुबह 10 बजे घर से निकल गया. उसके घर के पास पहुंच कर गेट के पास जाकर कॉल किया.
उसने कॉल रिसीव किया और छूटते ही बोली- कब तक पहुंच रहे हो. मैं कब से इंतजार कर रही हूं!
मैंने कहा- मैडम, आपके घर के गेट के बाहर ही खड़ा हुआ हूं.
वो मेरी बात सुनकर खुश हो गयी. वो बोली- अच्छा ठीक है. मैं अभी आती हूं.
दो मिनट के अंदर ही उसने गेट के पास आकर दरवाजा खोल दिया.
घर में मैं अंदर गया. उसका घर काफी सुंदर था. अंदर जाते ही एक बड़ा सा हॉल बना हुआ था जो काफी सुसज्जित था.
एक तरफ हॉल में टी.वी. शोकेश में एक बड़ा 32 इंच का शानदार टीवी और डीवीडी प्लेयर रखा हुआ था. बीच में सेंटर टेबल थी. दोनों तरफ सोफे लगे हुए थे. सामने आखिरी जगह डबल बेड लगा हुआ था. हॉल के साइड में ही एक बेडरूम था. बेडरूम के सामने किचन था और दूसरी तरफ बड़ा सा बाथरूम.
हॉल में काफी मनमोहक खुशबू फैली हुई थी. मैं जाकर सोफे पर बैठ गया. मैडम ने एक शानदार गाउन पहना हुआ था. वो मुझसे दो बातें करने के तुरंत बाद किचन में चली गयी.
मैं भी उठ कर उनके पीछे चला गया. किचन में झांकते हुए मैंने कहा- मैडम, अगर चाय बना रही हैं तो रहने दीजिये. मैं चाय नहीं पीता हूं.
वो मेरी तरफ देख कर बोली- ओह्ह, आप यहीं आ गये.
मैं बोला- हां, मैंने सोचा कि शायद मैडम किचन में चाय बनाने के लिए ही गई होगी. इसलिए मना करने के लिए चला आया.
फिर वो पानी का गिलास लेकर आई और मुझे सोफे पर चलने के लिए कहा. मैं वापस से आकर सोफे पर बैठ गया. सामने टीवी चल रहा था. मैं टीवी देखने लगा.
कुछ देर के बाद वो मेरे लिए मिल्क शेक बनाकर ले आयी. साथ में ही एक प्लेट में कुछ बर्फी और नमकीन भी रखी हुई थी. शेक पर उसने ड्राई फ्रूट का पेस्ट जैसा कुछ लगा रखा था. मैंने उसको हिलाकर देखा और पूछा- ये क्या है मैडम?
वो बोली- ये मेरा फेवरेट ड्राई फ्रूट्स वाली रबड़ी है.
रबड़ी खाकर देखी तो काफी स्वादिष्ट लगी मुझे. मैंने सारी रबड़ी और बर्फी खा ली.
फिर वो कहने लगी- अरे आदित्य जी, आपके आने की खुशी में मैं तो यह पूछना ही भूल गयी कि आपको यहां पर आने में कोई परेशानी तो नहीं हुई?
मैंने कहा- नहीं, कोई परेशानी नहीं हुई.
उठते हुए वो बोली- अच्छा ठीक है. आप पांच मिनट के लिए बैठो. मैं ज़रा फ्रेश होकर आती हूं.
वो उठकर बाथरूम में चली गई. वो मेरे सामने मटकते हुए जा रही थी और मैं उसको देख रहा था.
कुछ देर के बाद वो वापस आई. चॉकलेट कलर के गाउन में वो कयामत लग रही थी. उसका गाउन उसके पूरे शरीर से चिपका हुआ था. उसके मोटे बोबे उसके गाउन में साफ उभरे हुए थे. यहां तक कि निप्पल भी अलग से पता चल रहे थे. 27-28 कमर कह रही थी कि जाकर उसको दबोच लूं.
सेक्सी नर्स का वो मस्त फीगर देख कर मेरा 7.5 इंच का लंड फनफनाकर खड़ा हो गया. मैंने अपने लंड के तनाव को शर्ट से ढकने की कोशिश की. उसको भी आभास हो गया था कि मेरे लंड का तंबू बन गया है.
फिर वो मेरे सामने आकर सोफे पर बैठ गयी. हम बातें करने लगे. जितना भी उसके बदन को मैं घूरता मेरा लंड फुकारें मार देता था.
फिर वो बोली- आदित्य जी, आप बेड पर लेट जाओ. यहां सोफे पर बैठे-बैठे थक गये होंगे. मैं थोड़ी देर में आती हूं.
मैं पास ही डले हुए बेड पर जाकर लेट गया. टीवी पर मेरा पसंदीदा प्रोग्राम चल रहा था. कुछ देर के बाद वो दोबारा से आई और मेरे पास बेड पर आकर बैठ गयी.
उसने मेरे हाथ से टीवी का रिमोट लिया और बोली- आप भी आदित्य जी, कुछ भी बकवास देख रहे हो.
उसने चैनल बदल दिया और एक इंग्लिश मूवी वाला चैनल लगा दिया. थोड़ी ही देर के बाद उसमें एक सेक्सी सीन आ गया.
सीन को देख कर उसने मेरी जांघों पर हाथ फिराना शुरू कर दिया. मैं इतनी देर से बड़ी मुश्किल से अपने आप को रोके हुए था. वरना इतनी देर में तो वो मेरे नीचे होती, मेरा लंड उसकी चूत को फाड़ रहा होता और वो चिल्ला रही होती. मगर मैं अभी कोई जल्दबाजी नहीं करना चाह रहा था.
बहुत कंट्रोल करने के बाद भी जिस तरह से वो मेरी जांघ पर हाथ रख कर सहला रही थी, उसकी ये हरकत जैसे आग में पेट्रोल डालने का काम कर रही थी. वहीं दूसरी ओर मूवी में भी एक के बाद एक सेक्सी गर्म सीन आ रहे थे.
फिर जब उससे रहा न गया तो उसने बहाने से मेरे लंड पर भी हाथ फेर दिया. अब मैंने भी शराफत और दिखावा छोड़ कर उसको अपने ऊपर गिरा लिया और उसको बांहों में ले लिया.
जैसे ही मैंने उसको बांहों में लिया तो वो मुझे पागलों की तरह चूमने-चाटने लगी. उसके मुंह से लगातार सिसकारियां निकल रही थीं. मैं भी उसके दोनों मम्मों को दबाने-सहलाने लगा.
वो मदहोश होकर मेरे होंठों को चूसने लगी. मुझे भी आनंद आने लगा. मैं भी उसका पूरा साथ दे रहा था. लंड पहले से ही फटने को हो रहा था.
मैंने अब उसके सिल्की गाउन को उतार दिया. उसने भी मेरे कपड़ों को खोलना शुरू कर दिया और कुछ ही देर में मेरे बदन पर सिर्फ मेरा अंडरवियर रह गया था. उस नर्स ने नीचे जांघों पर लाल रंग की चड्डी पहनी हुई थी और ऊपर चूचियों पर कुछ भी नहीं पहना था.
उसकी चूचियां एकदम से खड़ी और टाइट थीं. उसकी चूचियों में से एक मदहोश कर देने वाली खुशबू आ रही थी. मैं भी उस खुशबू में मदहोश होने लगा. उसकी बड़ी बड़ी नशीली आंखें काफी सुंदर लग रही थीं.
अब मैं उसके बोबों पर टूट पड़ा. नंगी चूचियों को एक-एक करके दबाने लगा. एक चूची को मैंने अपने हाथों में भर लिया और दूसरी को मुंह लगा कर चूसने लगा. मेरी इस हरकत से वो भी सिसकारियां लेने लगी. हॉल में उसकी कामुक सिसकारियां गूंजने लगी थीं.
उसकी आंखें ऊपर की ओर चढ़ गई थीं और मैं उसके स्तन मर्दन में मशगूल हो चुका था. धीरे-धीरे अब मैं उसके सीने को चूमता हुआ उसके पेट से होकर नीचे की तरफ बढ़ा. उसकी चड्डी को मैंने नीचे सरका दिया. उसने भी अपनी कमर उठा कर मेरी मदद की.
मैंने उसके दोनों पैरों को चौड़ा किया और ठीक उसकी चूत के सामने आ गया. उस नर्स की चूत एकदम से क्लीन शेव थी. फूल कर पाव भर की गद्दीदार रोटी के जैसी लग रही थी.
Pyasi Nurse Kamukta
Pyasi Nurse Kamukta
उसके स्तन मर्दन के कारण उसकी चूत से कामरस निकलना शुरू हो चुका था. मैंने तुरंत अपनी जीभ को उसकी चूत पर टिका दिया. वो एकदम से सिहर गई.
उसके मुंह से सिसकारी फूट पड़ी- अहह्ह … हाह … आ … ऊँ।
अब मैंने उसकी चूत के साथ खेलना शुरू कर दिया. मैं भी कम खिलाड़ी नहीं था. उसकी चूत में जीभ को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. कभी उसकी चूत में जीभ घुसा देता तो कभी उसकी चूत के दाने को अपनी जीभ से रगड़ देता.
मस्त मदहोश होकर वो बार-बार अपने पैरों को समेटने की कोशिश करती और कभी दोबारा से खोल रही थी. फिर कभी मेरे सिर को पकड़ कर अपनी चूत में दबाते हुए जोर लगा रही थी.
मदहोशी में उसके मुंह से निकल रहा था- हहाय … जान…न…नू … आह्ह … और जोर से करो.
वो अब वासना के मारे बड़बड़ाने लगी थी. फिर एकदम से उसने मेरे सिर को अपनी जांघों के बीच में जोर से भींच लिया. मैं फिर भी उसकी चूत में जीभ घुसाता रहा.
वो कहने लगी- बस अब छोड़ दो, और बर्दाश्त नहीं हो रहा है.
मगर मैं कहां रुकने वाला था. मैंने उसकी चूत में जीभ को चलाना जारी रखा. वो तड़पती रही और मैं उसकी चूत में जीभ को अंदर बाहर करता रहा. उसकी चूत की प्यास अच्छी तरह बुझाने की ठान ली थी मैंने भी.
उसकी हालत अब ऐसी हो गई थी कि वो चाह कर भी हिल नहीं पा रही थी.
वो बोली- सारा रस आपके लिए ही है. थोड़ा सा बाद के लिए भी छोड़ दो.
उसके बहुत कहने पर मैंने उसकी चूत से जीभ को निकाला.
फिर वो उठी और मेरे अंडरवियर को नीचे कर दिया. वो मेरे 7.5 इंच लम्बे और मोटे लंड पर भूखी शेरनी की तरह टूट पड़ी. मेरे लंड को लोलीपॉप की तरह चूसने लगी. शायद वो मेरी भावनाओं को समझ चुकी थी.
उसके लंड चूसने का अंदाज अलग ही मालूम पड़ रहा था. वो मेरे लण्ड को अपने गले के अंदर तक गटकना चाहती थी. मुझे मानो स्वर्ग का सा आनंद आ रहा था. कुछ देर बाद मैंने उसको लिटा दिया और उसकी कमर के नीचे तकिया लगा दिया.
अपना मोटा, लम्बा लण्ड उसकी चूत पर टिका दिया और हल्का सा दबाव डालने लगा तो वो तुरंत बोली- जनाब धीरे, काफी सालों से इसमें किसी का लण्ड अंदर नही गया है।
मैंने हल्का दबाव बनाते हुए एक झटके से उसकी चूत में आधा लण्ड घुसा दिया. वो सिहरती हुई मुझे दोनों हाथों अपनी बांहों में भरकर रोकने लगी. मैं तुरंत रुक गया. उसकी चूत काफी टाइट लग रही थी. मुझे तो बहुत मजा आ रहा था लेकिन उसकी चूत के फटने का डर था.
फिर धीरे-धीरे आहिस्ता से लंड को अंदर धकेलते हुए मैंने पूरा लंड उसकी चूत में उतार दिया. उसने दोनों हाथों से मुझे कस कर पकड़ लिया. वो एकदम ऐसे रिएक्ट कर रही थी जैसे यह उसकी पहली चुदाई हो.
अब मैंने धीरे धीरे अपना लंड आगे-पीछे करना शुरू किया. कुछ देर के बाद वो अपनी कमर को हिला-हिला कर मेरी टक्कर का जवाब देने लगी. साथ में उसके मुंह आह्ह, ऊंह्ह… आह्ह जैसी आवाजें भी निकल रही थीं. वो कह रही थी- आह्ह जानू… फक मी, चोदो… और जोर से चोदो.
जब मैं जोर से झटका मारता तो मेरे लंड का टोपा उसकी बच्चेदानी के मुंह की गांठ पर टक्कर मार रहा था. वो एकदम से सिहर उठती थी. जवाब में वो भी जोर जोर से टक्कर मारते हुए मुझे सेक्स का निमंत्रण दे रही थी. उसके धक्कों का जवाब मैं भी बराबर दे रहा था.
सेक्स उसके अंदर कूट-कूट कर भरा हुआ था. कुछ देर तक तो मैं ऐसे ही उसकी चूत में लंड को धकेलता रहा और फिर मैंने उसको घोड़ी बनने के लिए कह दिया.
वो मेरे सामने चूत को ऊपर उठा कर घोड़ी बन गयी. मैंने पीछे से उसकी चूत में लंड को पेल दिया. अब वो हर तरीके से लंड का आनंद ले रही थी.
उसकी कामुक आवाजों से मेरी उत्तेजना व जोश बढ़ता ही जा रहा था. मैं अपने लंड से उसकी चूत में ताबड़तोड़ प्रहार कर रहा था.
कुछ देर तक इस पोजीशन में उसकी चूत को रगड़ा और फिर मैं लेट गया.
अब वो मेरे ऊपर आ गयी. मेरे लंड को उसने अपनी चूत में ले लिया और ऊपर नीचे होने लगी. मैंने उसके चूचों को हाथों में भरकर दबाना शुरू कर दिया. वो आनंदित हो उठी.
एक तरफ मेरा लंड उसकी चूत में आनंद दे रहा था और दूसरी तरफ मैं उसकी चूचियों को दबा रहा था. दो मिनट के बाद वो एकदम से मेरे ऊपर आ गयी और उसने मुझे अपनी बांहों में ऐसे दबोच लिया कि मुझसे सांस भी न लिया गया.
वो झड़ रही थी. वो मुझसे लिपटी रही और झड़ती रही. चूंकि उसका पानी निकल चुका था इसलिए अब वो चाहकर भी मेरा साथ नहीं दे पा रही थी. अब मैंने अपना आखिरी दांव चला. मैं उसके ऊपर आ गया.
अपने दोनों हाथों को उसके कंधों के नीचे ले गया और उसको अपनी तरफ उठाते हुए उसकी चूत में लंड को जोर-जोर से पेलने लगा. वो पागलों की तरह मुझे चूमने लगी. मेरे होंठों को खाने लगी.
मैं पूरे जोश में उसकी चूत में लंड को पेलता रहा. थोड़ी ही देर के बाद वो कहने लगी- बस जानू… अब छोड़ दो मुझे.
मगर मैं अभी उसको छोड़ने वाला नहीं था. मैंने अपनी स्पीड और तेज कर दी.
वो बेहोशी की हालत में पहुंचने ही वाली थी कि मेरे लंड से वीर्य की पिचकारी जोर से फूटती हुई उसकी चूत में गिरने लगी. मैंने सारा माल उसकी चूत में भर दिया. हांफते हुए मैं भी उसके ऊपर ही लेट गया.
अब वो दोबारा से मुझे चूमने लगी और बोली- किसी तरह का नशा करते हो क्या?
मैंने कहा- नहीं, मैं तो सुपारी भी नहीं खाता. नशा करना तो बहुत दूर की बात है.
वो मेरी बात सुनकर खुश हो गयी. मुझे भी उसको खुश देख कर सुकून मिल रहा था.
दोस्तो, मेरा नाम आदित्य (बदला हुआ) है. मैं जयपुर (राजस्थान) का रहने वाला हूँ. अभी 35 साल का हो चुका हूं और 7.6 इंच के लंड का धनी हूँ. मेरी हाइट 5 फीट 11 इंच है. मगर इस बात का मुझे बिल्कुल भी घमंड नहीं है क्योंकि ये सारी देन तो कुदरती है.
मुझे इस बात की खुशी है कि मैं पढ़ा-लिखा, रोमांटिक विचारों वाला सुंदर व्यक्ति हूं. हां, यह पर यह बात जरूर जोड़ना चाहूंगा कि इंसान कितना भी रोमांटिक मिजाज वाला क्यों न हो, किंतु सामाजिक मान-मर्यादाओं का ध्यान रखते हुए उसे लाज-शर्म का लिहाज भी करना पड़ता है. सीधे शब्दों में कहें तो शर्म का नाटक करना पड़ता है.
जिसकी लग्गी खड़ी होती है उसे सिर्फ सामने छेद ही दिखता है. मेरे साथ भी ऐसा ही था. मगर एक बात और भी है कि जिसको चूत चुदाई की खुजली होती है उसके ख़यालों में भी लग्गी ही होती है.
तभी तो कहते हैं कि बुड्ढे इश्क करते हैं किंतु लोग उन पर शक नहीं करते. मेरे साथ भी ऐसा ही हो रहा था. जवानी ढल रही थी मगर लंड की जवानी थी कि ढलने का नाम नहीं ले रही थी. कुछ ऐसा ही हाल औरतों का भी होता है. कई बार प्यासी औरतें खुद पहल करके लंड का स्वाद चख लेती हैं.
चलो ये तो रहे अपने-अपने विचार. अब कहानी शुरू करते हैं. यह घटना मेरे साथ कुछ साल पहले हुई थी. उस समय मैं उड़ीसा में काम करता था. दुर्भाग्यवश मेरा एक्सीडेंट हो गया. मेरे पैर में फ्रेक्चर हो गया. हॉस्पिटल गया तो वहां पर पैर पर प्लास्टर चढ़ा दिया गया. अस्पताल से छुट्टी लेकर मुझे घर लाया गया. दो महीने तक बेड पर पड़ा रहा.
दो महीने के बाद मेरे पैर का प्लास्टर कटा और तब जाकर मुझे बेड से उठने की आजादी मिली. मगर अब करने के लिए कुछ था नहीं और टाइम पास हो नहीं रहा था.
एक रिश्तेदार के दोस्त उनके साथ मेरा हाल जानने के लिए आये हुए थे. बात करने पर पता चला कि रिश्तेदार के दोस्त पार्किंग का ठेका लिया करते थे. उनके कई ठेके चल रहे थे.
मैंने उनसे अपनी व्यथा कही तो उन्होंने मुझे पार्किंग की देख-रेख करने का काम दे दिया. अब मैं पार्किंग का सुपरवाइज़र था. कुछ दिन के बाद ही मेरी ड्यूटी एक हॉस्पिटल की पार्किंग में लग गई. इससे पहले वहां जो केयरटेकर था उसकी दादी का देहांत हो गया था. वो यू.पी. के अपने गांव में चला गया था.
वहां पर ड्यूटी शुरू हुई और वहां से शुरू हुई असली कहानी. दूसरे दिन मैं सुबह जल्दी अस्पताल पार्किंग में चला गया. काउंटर की एडिटिंग कर दी और मासिक गाड़ियों के नम्बर की सारी लिस्ट को एक सफेद चार्ट पर लिख दिया. उस चार्ट को मैंने शीशे के नीचे दबा दिया.
मेरी हैंडराइटिंग भी काफी सुंदर है इसलिए चार्ट देख कर मैं फूला नहीं समा रहा था. सुबह-सुबह ही पार्किंग में भीड़ होने लगी. लोग अपनी गाड़ियां पार्किंग में यथावत खड़ी करके जाने लगे.
कुछ देर बाद एक नर्स सफेद रंग की स्कूटी पर आई. उसने अपना मुंह स्कार्फ से बांध रखा था और हेलमेट पहन रखा था. मेरे काउंटर के सामने आकर गाड़ी को रोक कर कुछ अजीब सी नजरों से मुझे देखा और मैंने भी उसको नजरें चुराकर ध्यान से देखा. वो बड़ी ही मस्त थी.
फिर वह स्कूटी पार्क करने चली गयी और थोड़ी देर बाद वापस मेरे पास आकर मेरे से पूछा- आप नये आये हो यहाँ पर?
मैंने भी हाँ में सर हिला कर कहा- जी मैडम.
सच कहूँ दोस्तो, उसकी आँखों मे एक अलग ही प्यास दिखी मुझे. वो क्या मस्त लग रही थी. कद लगभग 5.5 फीट का होगा और उसका कुछ रंग साँवला था. उसकी आँखें बड़ी-बड़ी बहुत ही सेक्सी थीं.
उसका फिगर तो बस कमाल ही था. सीना 34 या 36 इंच का लग रहा था. नर्स की चूचियां बहुत ही बड़ी मालूम पड़ रही थीं. उसको देखते ही मानो मेरी आँखों की एक्सरे मशीन चालू हो गयी हो. बाहर से ही अंदर का सारा जायज़ा ले लिया.
उसकी नाक बड़ी सेक्सी थी और उसकी कमर लगभग 28 इंच थी. उसकी गांड लगभग 35 या 36 इंच की होगी. कुल मिलाकर वो इतनी सेक्सी थी कि देखते ही अंदर से एक आह्ह निकली- वाह… क्या बनाया है ऊपरवाले ने.
देखते ही मेरा लण्ड खड़ा हो गया. मैंने अपनी शर्ट तुरन्त बाहर निकाली क्योंकि मेरी पैंट में तंबू बन गया था. शर्ट से लंड के तनाव को छिपाने लगा.
उसको देखने पर लग रहा था कि शायद वो साउथ इंडियन थी. सोचने लगा कि हो सकता है कि केरल से हो. मगर फिर मैंने अपने आप संभाला. सोचा कि सुबह सुबह मन में गलत ख़याल लाना ठीक नहीं है.
उसकी ओर से ध्यान हटा कर मैं अपने काम में लग गया. पार्किंग काफी बड़ी थी. मेरे पास 9 लड़के काम करते थे. मैंने सबको काम पर लगा दिया. ऐसे ही वक्त गुजर गया और शाम हो गयी.
शाम के वक्त वो अपनी ड्यूटी खत्म करके मेरे पास आकर बोली- आप काफी पढ़े-लिखे लग रहे हो.
मैंने शर्माते हुए कहा- जी मैडम.
वो बोली- कहां तक पढ़ हो?
मैंने कहा- डबल एम.ए. किया है.
उसने पूछा- नाम क्या है आपका?
मैंने कहा- आदित्य.
फिर वो कहने लगी- आदित्य जी, जब इतने पढ़े लिखे हो तो पार्किंग में काम क्यों कर रहे हो?
मैंने उसको अपने एक्सीडेंट वाली सारी स्टोरी सुना दी.
वो बोली- चलो शुक्र है कि बच तो गये.
फिर वो चली गयी.
दूसरे दिन भी वो उसी तरह आई और अपनी गाड़ी खड़ी करके काउंटर पर एक पैकेट रख कर मटकती-मटकती हुई चली गई.
मैंने सोचा कि उसका रोज़ का यही रुटीन होगा. जब वो जाने लगी तो मैंने उसको आवाज दी. मैंने कहा- मैडम आपका ये सामान रह गया है.
वो मुस्कराती हुई मेरे पास आई और बोली- मैं अभी बाहर से नाश्ता करके आ रही थी तो सोचा आपके लिए भी कुछ ले चलूं. ये आपके लिए ही है.
मैं उसको मना करने लगा तो वो लेने के लिए आग्रह करने लगी.
उसके कहने पर मैंने वो पैकेट रख लिया.
पार्किंग वाले सारे लड़के मेरी तरफ अजीब सी नजरों से देख रहे थे. साले सारे के सारे हरामी थे. मैडम का यूं मुझसे बात करना हजम नहीं हो रहा था उनको शायद.
कुछ देर के बाद एक लड़का आया और बोला- सर, लगता है कि इसका दिल आ गया है आप पर, तभी तो आपके लिए नाश्ता लेकर आई है. कल भी मैंने इसको देखा था. आपको ऐसे घूर रही थी जैसे खा जायेगी. वैसे भी जब औरत को किसी मर्द के दिल में घुसना होता है तो वो उसको खाना ही खिलाती है. मुंह के रास्ते आपके दिल तक पहुंचने की कोशिश कर रही है. माल तो मस्त है सर, अगर लाइन दे रही है तो ले लो!
मैंने उसको डांटते हुए कहा- साले, तेरी सोच ही गंदी है. किसी का बड़ा दिल है तो इसका मतलब ये नहीं कि वो हमसे बदले में कुछ चाहता हो.
मेरे डांटने पर उस लड़के ने अपनी नजर नीचे कर ली और फिर अपने काम में लग गया.
दोस्तो, मैं जहां पर भी काम करता था वहां पर अपनी छवि बनाकर रखता था. ये बात आप भी समझ सकते हैं कि इन सब चीजों का काम की जगह पर बहुत असर पड़ता है. इसलिए एक अच्छी छवि बना कर रखना जरूरी होता है.
मेरे दिल में उस सेक्सी नर्स के लिए वासना के भाव थे, इसमें भी कोई शक नहीं था. मौका मिलता तो मैं भी उसकी चूत को चोदने में कोई कसर न छोड़ता. लेकिन दूसरों के सामने कुछ और ही दिखाना होता है. इसलिए मैं सबको अपने दिल की बात नहीं बताता था.
फिर मैंने पैकेट खोल कर देखा तो उसमें मावे की दो कचौरी थी. मैंने सोचा कि ये दो कचौरी क्यों लेकर आई है? मेरे साथ और भी लड़के काम करते थे इसलिए शायद उनके लिए भी लाई होगी.
मैंने एक कचौरी खुद खा ली और दूसरी बाकी के लड़कों में बांट दी. कचौरी काफी स्वादिष्ट थी.
पता नहीं वो मुझ पर इतनी मेहरबान क्यों हो रही थी. कुछ तो चल रहा था उसके मन में. शाम को वो आयी और पूछने लगी- कचौरी कैसी लगी आदित्य जी?
मैंने कहा- बहुत अच्छी थी मैडम.
तारीफ सुन कर उसके चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान तैर गयी. उसके बाद वो चाबी लेकर अपनी गाड़ी के पास गयी. गाड़ी के लॉक को खोलते हुए उसने मेरी तरफ कातिल निगाहों से देखा और उस पर बैठ गयी. गाड़ी निकाली और फिर हाथ हिलाते हुए मुझे बाय बोल कर चली गयी.
फिर अगले दिन भी वो वैसा ही एक पैकेट लेकर आई. काउंटर पर पैकेट रख कर चली गई. गाड़ी खड़ी करके उसने मुझे गुड मॉर्निंग बोला और कातिल नजरों से मुझे ताड़ने लगी.
बोली- आदित्य जी, आपके लिए आज भी नाश्ता लेकर आई हूं.
मैंने कहा- अरे मैडम, आप रोज इस तरह से खर्चा क्यों करती हैं.
वो बोली- कमा रहे हैं तो खर्च करने के लिए ही तो कमा रहे हैं.
उसके इस जवाब पर मुझे कुछ न सूझा और मैं चुप रह गया.
वो अपनी कातिल मुस्कान के साथ मटकती हुई चली गई.
शाम को वापस आई तो बोली- आदित्य जी, कैसे हो.
मैं शरमाकर उठ गया.
वो बोली- आपका यूं इस तरह से शर्माते हुए मुस्कराना बहुत अच्छा लगता है.
मैंने नजर नीचे कर ली और वो मुस्करा कर चली गई.
अब तो रोज़ का यही सिलसिला हो गया था.
वो रोज मेरे लिए कुछ न कुछ लेकर आती थी. पार्किंग में मेरे साथ काम करने वाले लड़के मुझे कुछ न कुछ कहते रहते थे. लेकिन मैं उनको डांट-डपटकर चुप करवा देता था.
नर्स के मोटे-मोटे बूब्स और उठी हुई गांड को देख कर मैं भी मजा ले रहा था. उसके बारे में सोचते हुए कई बार मुठ मार चुका था. कई बार ख़्यालों में उसको चोद भी चुका था. मगर इंतजार था कि पहल उसी की तरफ से हो.
उसकी हरकतों को देख कर पता भी लग रहा था कि एक न एक दिन जरूर कुछ ऐसा करेगा जिससे मुझे उसके पास जाने के लिए मजबूर होना पड़े. इसलिए मैं भी बस मजे ले रहा था. पांच दिन बीत गये ऐसे ही.
हफ्ते का आखिरी दिन शनिवार भी आ गया.
उस दिन उसने पूछा- आप संडे को भी आते हो क्या?
मैंने कहा- नहीं मैडम. इतवार को तो छुट्टी पर रहता हूं.
उसने मेरे हाथ में एक पर्ची थमा दी. पर्ची में उसका फोन नम्बर लिखा हुआ था. मुस्कराते हुए बोली- शाम को फोन करना.
फिर वो मटकती हुई चली गयी.
मैंने शाम को उसके पास फोन किया.
वो बोली- आदित्य जी, मैं काफी टाइम से आपके फोन का इंतजार कर रही थी. क्या आप कल मेरे घर पर आ सकते हो?
मैंने कहा- मगर मुझे पता ही नहीं कि आप कहां रहती हो?
वो बोली- घर का पता मैं मैसेज कर दूंगी.
उसके जाने के घंटे भर बाद ही उसका मैसेज आ गया जिसमें उसका पता लिखा हुआ था. दरअसल मैं समझ तो गया था कि इसकी चूत में मेरे लंड के नाम की खुजली उठी है. मगर मैं उसको अभी और तड़पाना चाह रहा था. इसलिए मैंने रविवार के दिन फोन बंद कर लिया. दिन भर मेरा फोन बंद ही रहा.
अगले दिन सोमवार को वो आई और काउंटर पर पैकेट रख कर चली गई. फिर गाड़ी खड़ी करके मेरे पास आई और थोड़े से गुस्से में बोली- आदित्य जी, आपका फोन कल पूरे दिन बंद रहा. मैंने कई बार आपका फोन ट्राई किया.
वो कुछ और भी कहना चाह रही थी लेकिन कहते कहते रुक गयी. मैं जानता था कि वो मुझे घर बुलाना चाह रही थी और जब मैं नहीं गया तो उसके आत्म सम्मान पर एक चोट सी लगी थी. किंतु काउंटर पर उसने घर आने की बात का जिक्र नहीं किया. पब्लिक प्लेस था इसलिए वो भी थोड़ी हिचक रही थी.
मैंने विनम्रतापूर्वक कहा- सॉरी मैडम, मेरा फोन पानी में गिर गया था. मैंने अपना मोबाइल रिपेयरिंग के लिए दिया हुआ है.
वो लंबी सी सांस लेते हुए बोली- तो फिर किसी और के फोन से तो फोन कर ही सकते थे न?
मैंने कहा- आपका नम्बर फोन में सेव करने के बाद मैंने पर्ची फाड़ दी थी.
मेरा जवाब सुनकर वो शांत हो गयी. उसका गुस्सा कम हो गया.
फिर वो बोली- अच्छा ठीक है. नाश्ता गर्म है. जल्दी खोल कर खा लेना.
मैंने हां में सिर हिलाया और वो चली गयी.
शाम को जब वो आई तो वो मेरे लिए सैमसंग का नया फोन लेकर आ पहुंची.
फोन मेरे हाथ में थमाते हुए बोली- जब तक आपका फोन ठीक नहीं हो जाता आप ये फोन रख सकते हो.
मैंने मना करते हुए कहा- अरे नहीं मैडम, दो दिन में मेरा फोन ठीक हो जायेगा. आप ये नया फोन किसलिए ले आई हो?
बाकी लड़के भी वहीं खड़े थे. वो भी देख रहे थे कि सामने चल क्या रहा है. वो सब नीचे नजर करके मुस्करा रहे थे. साथ ही उनकी गांड से धुंआ भी निकलता हुआ मालूम पड़ रहा था. इतनी सेक्सी औरत जब किसी को ऐसे खुले में लाइन मारे तो गांड तो फुकनी ही थी.
फोन लेने से मैं मना करने लगा. मैंने उसको फोन वापस रखने के लिए कहा.
वो बोली- अरे, आपके फोन में पानी गया है. क्या पता कितने दिन में ठीक होगा. मैं तो आपकी सुविधा के लिए ही दे रही हूं.
मैं जानता था कि सुविधा तो वो अपनी मचलती और तड़पती चूत के लिए कर रही है. लेकिन फिर भी मैं शरीफ होने का नाटक कर रहा था.
मेरे मना करने के बाद भी वो नहीं मानी. फोन मुझे देकर चली गयी.
मन ही मन मुस्कराने लगा.
सोच रहा था कि लगता है इसकी चूत की आग कुछ ज्यादा ही बढ़ी हुई है. ये तो मेरे लंड को पूरा निचोड़ लेगी. यही सोच कर लंड ने भी सलामी दे डाली.
एक हफ्ते के अंदर ही उसने मुझे अपने घर आने का न्यौता दे डाला था. मगर मैं उसको अभी और तड़पाना चाह रहा था. मैंने जान बूझकर अपना फोन बंद कर लिया तो वो मेरे लिये नया फोन लेकर आ गयी.
मैं समझ गया था कि उसकी चूत में जबरदस्त आग लगी हुई है. मगर मैं भी पूरा हरामी था. उसको जान बूझ कर और ज्यादा तड़पने के लिए मजबूर कर रहा था.
जब उसने मुझे नया फोन लाकर दिया तो मैंने उस दिन भी उसको फोन नहीं किया. अगले दिन वो सुबह आई और बोली कि आदित्य जी, आपने कल भी मुझे फोन नहीं किया. आपने वो फोन चालू किया कि नहीं?
मैं बोला- मैडम मैंने तो फोन कल रात को ही चालू कर लिया था.
वो बोली- तो फिर आपने मुझे फोन क्यों नहीं किया?
मैंने कहा- आपका नम्बर ही नहीं था मेरे पास.
वो कहने लगी- मगर मैंने कल रात को नौ बजे आपके पास फोन किया था. तब भी आपका नम्बर स्विच ऑफ बता रहा था. मुझे तो लगता है कि आपने वो फोन चालू ही नहीं किया है.
मैं बोला- नहीं मैडम, कैसी बात कर रही हो. दरअसल मैंने कल रात को दस बजे के बाद फोन चालू किया था.
वो बोली- अच्छा, चलो कोई बात नहीं. लेकिन फोन को ऑन करने के बाद तो एक कॉल कर सकते थे.
मैंने कहा- मैंने बताया तो, आपका नम्बर ही नहीं था मेरे पास.
वो बोली- अच्छा सॉरी, मैं आपको दोबारा से नम्बर देना भूल ही गयी थी.
उसके बाद उसने दोबारा से पर्ची पर फोन नम्बर लिखा और फिर चली गई.
अब मेरे पास कोई बहाना नहीं रह गया था इसलिए मुझे उसके पास कॉल करना ही पड़ा.
जब मैंने उसके पास फोन किया तो वो काफी खुश हो गयी.
खुश होते हुए बोली- मैं तो आपके कॉल का ही इंतजार कर रही थी.
फिर वो कहने लगी- क्या आप कल छुट्टी लेकर मेरे घर पर आ सकते हो क्या?
मैंने कहा- नहीं मैडम, कलेक्शन का काम है और संभालने वाला कोई नहीं है. काउंटर की जिम्मेदारी है. छुट्टी तो नहीं कर पाउंगा मैं.
वो कुछ सोच कर बोली- अच्छा कोई बात नहीं. और बताओ, आपकी शादी हो गयी है क्या?
मैंने जवाब दिया- नहीं मैडम, अभी तो नहीं हुई है.
वो बोली- अच्छी बात है. ये बताओ कि आपको हमारा गिफ्ट (फोन) कैसा लगा.
मैंने कहा- बहुत अच्छा है.
उस दिन हमारे बीच में कुछ इधर-उधर की बातें हुईं और फिर मैंने कहा कि अच्छा अब सोना चाहिए. वैसे उसके साथ बात करते हुए मेरा लंड तो खड़ा हो ही चुका था. फिर भी मैं बात को टाल गया.
वो बोली- ठीक है.
अगले दिन मैंने उसको फोन नहीं किया तो खुद उसकी तरफ से कॉल आ गया.
वो बोली- सो गये क्या?
मैंने कहा- नहीं, अभी तो नहीं.
पूछने लगी- तो फिर क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- कुछ नहीं, बस ऐसे ही फोन में वीडियो देख रहा था.
अब रोज़ ही उससे बात होने लगी थी. जिस दिन मैं फोन नहीं करता था तो वो खुद कॉल कर लेती थी. ऐसे ही तीन-चार दिन और निकल गये. अगला शनिवार भी आ गया.
वो बोली- कल तो आपकी छुट्टी होगी न?
मैंने कहा- जी मैडम.
उस दिन शाम को ही उसका मैसेज आ गया.
फिर थोड़ी देर बाद फोन भी आ गया. फोन पर कहने लगी- मैंने आपके पास घर का पता मैसेज कर दिया है आदित्य जी. कल आप घर पर जरूर आना.
मैंने कहा- जी ठीक है.
अब मैं भी उसकी चूत चोदने के लिए तड़प उठा था. अगले दिन रविवार था और मैं सुबह ही नहा-धोकर तैयार हो गया. सुबह 10 बजे घर से निकल गया. उसके घर के पास पहुंच कर गेट के पास जाकर कॉल किया.
उसने कॉल रिसीव किया और छूटते ही बोली- कब तक पहुंच रहे हो. मैं कब से इंतजार कर रही हूं!
मैंने कहा- मैडम, आपके घर के गेट के बाहर ही खड़ा हुआ हूं.
वो मेरी बात सुनकर खुश हो गयी. वो बोली- अच्छा ठीक है. मैं अभी आती हूं.
दो मिनट के अंदर ही उसने गेट के पास आकर दरवाजा खोल दिया.
घर में मैं अंदर गया. उसका घर काफी सुंदर था. अंदर जाते ही एक बड़ा सा हॉल बना हुआ था जो काफी सुसज्जित था.
एक तरफ हॉल में टी.वी. शोकेश में एक बड़ा 32 इंच का शानदार टीवी और डीवीडी प्लेयर रखा हुआ था. बीच में सेंटर टेबल थी. दोनों तरफ सोफे लगे हुए थे. सामने आखिरी जगह डबल बेड लगा हुआ था. हॉल के साइड में ही एक बेडरूम था. बेडरूम के सामने किचन था और दूसरी तरफ बड़ा सा बाथरूम.
हॉल में काफी मनमोहक खुशबू फैली हुई थी. मैं जाकर सोफे पर बैठ गया. मैडम ने एक शानदार गाउन पहना हुआ था. वो मुझसे दो बातें करने के तुरंत बाद किचन में चली गयी.
मैं भी उठ कर उनके पीछे चला गया. किचन में झांकते हुए मैंने कहा- मैडम, अगर चाय बना रही हैं तो रहने दीजिये. मैं चाय नहीं पीता हूं.
वो मेरी तरफ देख कर बोली- ओह्ह, आप यहीं आ गये.
मैं बोला- हां, मैंने सोचा कि शायद मैडम किचन में चाय बनाने के लिए ही गई होगी. इसलिए मना करने के लिए चला आया.
फिर वो पानी का गिलास लेकर आई और मुझे सोफे पर चलने के लिए कहा. मैं वापस से आकर सोफे पर बैठ गया. सामने टीवी चल रहा था. मैं टीवी देखने लगा.
कुछ देर के बाद वो मेरे लिए मिल्क शेक बनाकर ले आयी. साथ में ही एक प्लेट में कुछ बर्फी और नमकीन भी रखी हुई थी. शेक पर उसने ड्राई फ्रूट का पेस्ट जैसा कुछ लगा रखा था. मैंने उसको हिलाकर देखा और पूछा- ये क्या है मैडम?
वो बोली- ये मेरा फेवरेट ड्राई फ्रूट्स वाली रबड़ी है.
रबड़ी खाकर देखी तो काफी स्वादिष्ट लगी मुझे. मैंने सारी रबड़ी और बर्फी खा ली.
फिर वो कहने लगी- अरे आदित्य जी, आपके आने की खुशी में मैं तो यह पूछना ही भूल गयी कि आपको यहां पर आने में कोई परेशानी तो नहीं हुई?
मैंने कहा- नहीं, कोई परेशानी नहीं हुई.
उठते हुए वो बोली- अच्छा ठीक है. आप पांच मिनट के लिए बैठो. मैं ज़रा फ्रेश होकर आती हूं.
वो उठकर बाथरूम में चली गई. वो मेरे सामने मटकते हुए जा रही थी और मैं उसको देख रहा था.
कुछ देर के बाद वो वापस आई. चॉकलेट कलर के गाउन में वो कयामत लग रही थी. उसका गाउन उसके पूरे शरीर से चिपका हुआ था. उसके मोटे बोबे उसके गाउन में साफ उभरे हुए थे. यहां तक कि निप्पल भी अलग से पता चल रहे थे. 27-28 कमर कह रही थी कि जाकर उसको दबोच लूं.
सेक्सी नर्स का वो मस्त फीगर देख कर मेरा 7.5 इंच का लंड फनफनाकर खड़ा हो गया. मैंने अपने लंड के तनाव को शर्ट से ढकने की कोशिश की. उसको भी आभास हो गया था कि मेरे लंड का तंबू बन गया है.
फिर वो मेरे सामने आकर सोफे पर बैठ गयी. हम बातें करने लगे. जितना भी उसके बदन को मैं घूरता मेरा लंड फुकारें मार देता था.
फिर वो बोली- आदित्य जी, आप बेड पर लेट जाओ. यहां सोफे पर बैठे-बैठे थक गये होंगे. मैं थोड़ी देर में आती हूं.
मैं पास ही डले हुए बेड पर जाकर लेट गया. टीवी पर मेरा पसंदीदा प्रोग्राम चल रहा था. कुछ देर के बाद वो दोबारा से आई और मेरे पास बेड पर आकर बैठ गयी.
उसने मेरे हाथ से टीवी का रिमोट लिया और बोली- आप भी आदित्य जी, कुछ भी बकवास देख रहे हो.
उसने चैनल बदल दिया और एक इंग्लिश मूवी वाला चैनल लगा दिया. थोड़ी ही देर के बाद उसमें एक सेक्सी सीन आ गया.
सीन को देख कर उसने मेरी जांघों पर हाथ फिराना शुरू कर दिया. मैं इतनी देर से बड़ी मुश्किल से अपने आप को रोके हुए था. वरना इतनी देर में तो वो मेरे नीचे होती, मेरा लंड उसकी चूत को फाड़ रहा होता और वो चिल्ला रही होती. मगर मैं अभी कोई जल्दबाजी नहीं करना चाह रहा था.
बहुत कंट्रोल करने के बाद भी जिस तरह से वो मेरी जांघ पर हाथ रख कर सहला रही थी, उसकी ये हरकत जैसे आग में पेट्रोल डालने का काम कर रही थी. वहीं दूसरी ओर मूवी में भी एक के बाद एक सेक्सी गर्म सीन आ रहे थे.
फिर जब उससे रहा न गया तो उसने बहाने से मेरे लंड पर भी हाथ फेर दिया. अब मैंने भी शराफत और दिखावा छोड़ कर उसको अपने ऊपर गिरा लिया और उसको बांहों में ले लिया.
जैसे ही मैंने उसको बांहों में लिया तो वो मुझे पागलों की तरह चूमने-चाटने लगी. उसके मुंह से लगातार सिसकारियां निकल रही थीं. मैं भी उसके दोनों मम्मों को दबाने-सहलाने लगा.
वो मदहोश होकर मेरे होंठों को चूसने लगी. मुझे भी आनंद आने लगा. मैं भी उसका पूरा साथ दे रहा था. लंड पहले से ही फटने को हो रहा था.
मैंने अब उसके सिल्की गाउन को उतार दिया. उसने भी मेरे कपड़ों को खोलना शुरू कर दिया और कुछ ही देर में मेरे बदन पर सिर्फ मेरा अंडरवियर रह गया था. उस नर्स ने नीचे जांघों पर लाल रंग की चड्डी पहनी हुई थी और ऊपर चूचियों पर कुछ भी नहीं पहना था.
उसकी चूचियां एकदम से खड़ी और टाइट थीं. उसकी चूचियों में से एक मदहोश कर देने वाली खुशबू आ रही थी. मैं भी उस खुशबू में मदहोश होने लगा. उसकी बड़ी बड़ी नशीली आंखें काफी सुंदर लग रही थीं.
अब मैं उसके बोबों पर टूट पड़ा. नंगी चूचियों को एक-एक करके दबाने लगा. एक चूची को मैंने अपने हाथों में भर लिया और दूसरी को मुंह लगा कर चूसने लगा. मेरी इस हरकत से वो भी सिसकारियां लेने लगी. हॉल में उसकी कामुक सिसकारियां गूंजने लगी थीं.
उसकी आंखें ऊपर की ओर चढ़ गई थीं और मैं उसके स्तन मर्दन में मशगूल हो चुका था. धीरे-धीरे अब मैं उसके सीने को चूमता हुआ उसके पेट से होकर नीचे की तरफ बढ़ा. उसकी चड्डी को मैंने नीचे सरका दिया. उसने भी अपनी कमर उठा कर मेरी मदद की.
मैंने उसके दोनों पैरों को चौड़ा किया और ठीक उसकी चूत के सामने आ गया. उस नर्स की चूत एकदम से क्लीन शेव थी. फूल कर पाव भर की गद्दीदार रोटी के जैसी लग रही थी.
Pyasi Nurse Kamukta
Pyasi Nurse Kamukta
उसके स्तन मर्दन के कारण उसकी चूत से कामरस निकलना शुरू हो चुका था. मैंने तुरंत अपनी जीभ को उसकी चूत पर टिका दिया. वो एकदम से सिहर गई.
उसके मुंह से सिसकारी फूट पड़ी- अहह्ह … हाह … आ … ऊँ।
अब मैंने उसकी चूत के साथ खेलना शुरू कर दिया. मैं भी कम खिलाड़ी नहीं था. उसकी चूत में जीभ को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. कभी उसकी चूत में जीभ घुसा देता तो कभी उसकी चूत के दाने को अपनी जीभ से रगड़ देता.
मस्त मदहोश होकर वो बार-बार अपने पैरों को समेटने की कोशिश करती और कभी दोबारा से खोल रही थी. फिर कभी मेरे सिर को पकड़ कर अपनी चूत में दबाते हुए जोर लगा रही थी.
मदहोशी में उसके मुंह से निकल रहा था- हहाय … जान…न…नू … आह्ह … और जोर से करो.
वो अब वासना के मारे बड़बड़ाने लगी थी. फिर एकदम से उसने मेरे सिर को अपनी जांघों के बीच में जोर से भींच लिया. मैं फिर भी उसकी चूत में जीभ घुसाता रहा.
वो कहने लगी- बस अब छोड़ दो, और बर्दाश्त नहीं हो रहा है.
मगर मैं कहां रुकने वाला था. मैंने उसकी चूत में जीभ को चलाना जारी रखा. वो तड़पती रही और मैं उसकी चूत में जीभ को अंदर बाहर करता रहा. उसकी चूत की प्यास अच्छी तरह बुझाने की ठान ली थी मैंने भी.
उसकी हालत अब ऐसी हो गई थी कि वो चाह कर भी हिल नहीं पा रही थी.
वो बोली- सारा रस आपके लिए ही है. थोड़ा सा बाद के लिए भी छोड़ दो.
उसके बहुत कहने पर मैंने उसकी चूत से जीभ को निकाला.
फिर वो उठी और मेरे अंडरवियर को नीचे कर दिया. वो मेरे 7.5 इंच लम्बे और मोटे लंड पर भूखी शेरनी की तरह टूट पड़ी. मेरे लंड को लोलीपॉप की तरह चूसने लगी. शायद वो मेरी भावनाओं को समझ चुकी थी.
उसके लंड चूसने का अंदाज अलग ही मालूम पड़ रहा था. वो मेरे लण्ड को अपने गले के अंदर तक गटकना चाहती थी. मुझे मानो स्वर्ग का सा आनंद आ रहा था. कुछ देर बाद मैंने उसको लिटा दिया और उसकी कमर के नीचे तकिया लगा दिया.
अपना मोटा, लम्बा लण्ड उसकी चूत पर टिका दिया और हल्का सा दबाव डालने लगा तो वो तुरंत बोली- जनाब धीरे, काफी सालों से इसमें किसी का लण्ड अंदर नही गया है।
मैंने हल्का दबाव बनाते हुए एक झटके से उसकी चूत में आधा लण्ड घुसा दिया. वो सिहरती हुई मुझे दोनों हाथों अपनी बांहों में भरकर रोकने लगी. मैं तुरंत रुक गया. उसकी चूत काफी टाइट लग रही थी. मुझे तो बहुत मजा आ रहा था लेकिन उसकी चूत के फटने का डर था.
फिर धीरे-धीरे आहिस्ता से लंड को अंदर धकेलते हुए मैंने पूरा लंड उसकी चूत में उतार दिया. उसने दोनों हाथों से मुझे कस कर पकड़ लिया. वो एकदम ऐसे रिएक्ट कर रही थी जैसे यह उसकी पहली चुदाई हो.
अब मैंने धीरे धीरे अपना लंड आगे-पीछे करना शुरू किया. कुछ देर के बाद वो अपनी कमर को हिला-हिला कर मेरी टक्कर का जवाब देने लगी. साथ में उसके मुंह आह्ह, ऊंह्ह… आह्ह जैसी आवाजें भी निकल रही थीं. वो कह रही थी- आह्ह जानू… फक मी, चोदो… और जोर से चोदो.
जब मैं जोर से झटका मारता तो मेरे लंड का टोपा उसकी बच्चेदानी के मुंह की गांठ पर टक्कर मार रहा था. वो एकदम से सिहर उठती थी. जवाब में वो भी जोर जोर से टक्कर मारते हुए मुझे सेक्स का निमंत्रण दे रही थी. उसके धक्कों का जवाब मैं भी बराबर दे रहा था.
सेक्स उसके अंदर कूट-कूट कर भरा हुआ था. कुछ देर तक तो मैं ऐसे ही उसकी चूत में लंड को धकेलता रहा और फिर मैंने उसको घोड़ी बनने के लिए कह दिया.
वो मेरे सामने चूत को ऊपर उठा कर घोड़ी बन गयी. मैंने पीछे से उसकी चूत में लंड को पेल दिया. अब वो हर तरीके से लंड का आनंद ले रही थी.
उसकी कामुक आवाजों से मेरी उत्तेजना व जोश बढ़ता ही जा रहा था. मैं अपने लंड से उसकी चूत में ताबड़तोड़ प्रहार कर रहा था.
कुछ देर तक इस पोजीशन में उसकी चूत को रगड़ा और फिर मैं लेट गया.
अब वो मेरे ऊपर आ गयी. मेरे लंड को उसने अपनी चूत में ले लिया और ऊपर नीचे होने लगी. मैंने उसके चूचों को हाथों में भरकर दबाना शुरू कर दिया. वो आनंदित हो उठी.
एक तरफ मेरा लंड उसकी चूत में आनंद दे रहा था और दूसरी तरफ मैं उसकी चूचियों को दबा रहा था. दो मिनट के बाद वो एकदम से मेरे ऊपर आ गयी और उसने मुझे अपनी बांहों में ऐसे दबोच लिया कि मुझसे सांस भी न लिया गया.
वो झड़ रही थी. वो मुझसे लिपटी रही और झड़ती रही. चूंकि उसका पानी निकल चुका था इसलिए अब वो चाहकर भी मेरा साथ नहीं दे पा रही थी. अब मैंने अपना आखिरी दांव चला. मैं उसके ऊपर आ गया.
अपने दोनों हाथों को उसके कंधों के नीचे ले गया और उसको अपनी तरफ उठाते हुए उसकी चूत में लंड को जोर-जोर से पेलने लगा. वो पागलों की तरह मुझे चूमने लगी. मेरे होंठों को खाने लगी.
मैं पूरे जोश में उसकी चूत में लंड को पेलता रहा. थोड़ी ही देर के बाद वो कहने लगी- बस जानू… अब छोड़ दो मुझे.
मगर मैं अभी उसको छोड़ने वाला नहीं था. मैंने अपनी स्पीड और तेज कर दी.
वो बेहोशी की हालत में पहुंचने ही वाली थी कि मेरे लंड से वीर्य की पिचकारी जोर से फूटती हुई उसकी चूत में गिरने लगी. मैंने सारा माल उसकी चूत में भर दिया. हांफते हुए मैं भी उसके ऊपर ही लेट गया.
अब वो दोबारा से मुझे चूमने लगी और बोली- किसी तरह का नशा करते हो क्या?
मैंने कहा- नहीं, मैं तो सुपारी भी नहीं खाता. नशा करना तो बहुत दूर की बात है.
वो मेरी बात सुनकर खुश हो गयी. मुझे भी उसको खुश देख कर सुकून मिल रहा था.