मेरा नाम सारिका है। मैं मुम्बई की रहने वाली हूँ। मेरी उम्र 26 साल है और मैं देखने में बहुत ख़ूबसूरत हूँ। मेरा फिगर 34-30-34 है। मुझे देख कर कई लोगों के लौड़े खड़े हो जाते हैं। कई लोग मुझे चोदने की इच्छा जाग जाती थी। कई लड़के मेरे पीछे पड़ जाते थे। वो मेरा पीछा तब तक नहीं छोड़ते थे जब तक मैं उनको अपनी चूत न दे दूँ।
मुम्बई में ये सब बहुत चलता है। आज किसी से चुद गए, कल किसी और से। पर मैं जो कहानी आपको बताने जा रही हूँ वो बहुत उत्तेजक है और मैंने कभी ये सोचा भी नहीं था कि मेरे साथ कुछ ऐसा भी होगा।
तो कहानी शुरु होती है तब से जब मैं 23 साल की थी। मुझे घूमने फिरने का बहुत शौक था। मैं अक्सर अकेले ही घूमना पसंद करती थी। मैं अक्सर बाइक किराये पर ले कर घूमने निकल जाया करती थी।
तो एक बार मैं हिमाचल प्रदेश में अकेले घूमने गयी थी। मैंने मनाली से एक बाइक किराये पर ली और पूरा हिमाचल घूमने निकलने लगी। पर तभी मुझे वहाँ एक ऐसा ग्रुप मिला जो की मेरे जैसे ही बाइक किराये पर ले कर पूरा हिमाचल घूमने निकले थे।
मैंने उन से पूछ ताछ की तो उन्होंने मुझे भी अपने साथ चलने के लिए कहा। पहले मुझे थोड़ा अजीब लगा पर बाद में मैंने हाँ कर दी। टी अगले दिन हम मनाली से निकल गए और चंबा की ओर जाने लगे।
उस ग्रुप में 10 लड़के थे, जो कि बहुत अच्छे घर के लगते थे। उन लोगों ने बताया कि वो लोग पिछले 7 महीने से ऐसे पुरे भारत में घूम रहे हैं। ये सुनकर मुझे बहुत अच्छा लगा। हम लोगों ने रास्ते में बहुत बातें की और सब लोग मेरे अच्छे दोस्त बन गए।
एक रात जब हम लोग जा रहे थे तो रास्ते में पहाड़ दरकने से रास्ता बंद हो गया था इसलिए हमें कोई दूसरा रास्ता देखना पड़ा। पर उस समय बहुत तेज़ बारिश भी हो रही थी जिसके चलते हम रास्ता भटक गए और पूरी रात गलत दिशा में जाते रहे।
इस दौरान हम लोग मेन सड़क से 70 किलोमिटर दूर आ गए थे। जब हमें इस बात का अहसास हुआ की हम लोग भटक गए हैं तो हमने वहीँ किसी नदी के किनारे टेंट लगा दिए और बारिश थमने का इंतज़ार करने लगे।
सुबह करीब 5 बजे मैं उठी तो मैंने देखा की बारिश थम गई है और बाकी सब लोग अभी भी सो रहे हैं। हुम लोग पहाड़ों के बीच, नदी के किनारे किसी बहुत सुंदर से जगह पहुँच गये थे। वहाँ हमारे आलावा और कोई भी नहीं था।
नदी को देख कर मेरा मन उसमे नहाने का हुआ तो मैं नदी के पास के बड़े से पत्थर के पास चली गयी जहाँ से मुझे कोई देख नहीं सकता था। मैंने अपने सारे कपडे निकाल दिए और मैं नदी में नहाने के लिए चली गयी। थोड़ी देर बाद मुझे महसूस हुआ कि कोई मुझे देख रहा है और बातें कर रहा है।
तभी मैंने पीछे देखा तो उस ग्रुप के 4 लड़के सिर्फ चड्डियों में मेरे पीछे खड़े हैं और जब मैंने उनकी चड्डियों पर ध्यान दिया तो देखा कि उनके लौड़े भी तन गये हैं। थोड़ी देर तक मुझे समझ नहीं आया कि मैं क्या करूँ। मैं भी उनके सामने पूरी नंगी खड़ी हुई थी। मैं सिर्फ घुटनों तक ही पानी में थी और मेरा बाकी का शरीर वो 4 लड़के देख रहे थे।
तभी मैं थोड़ी चिल्लाई और अपने हाथों से अपने चुच्चों को ढकने लगी और मैं पानी में बैठ गई। मैंने सोचा की अब तो ये लोग यहाँ से चले जायेंगे पर ऐसा नहीं हुआ। वो वहीं खड़े रहे और मुझे देखते रहे।
मैंने उनसे वहाँ से जाने को भी कहा पर वो वहाँ से गये ही नहीं।
तभी वो लोग पानी में आ गए और मुझे चारों तरफ से घेर लिया और मुझे पकड़ने लगे।
एक ने कहा कि,”सारिका! डरो मत कुछ नहीं होगा। यार तुम समझो, हमने पिछले 7 महीनों से न चुदाई की है और न ही मुठ मारी है। हम अंदर से भरे पड़े हैं। हमारे अंदर के बोझ को हल्का करने में हमारी मदद कर दो।”
ये सुनकर मैं डर गई।
मैं:-“नहीं! मुझे जाने दो, नहीं तो मैं शोर मचा दूंगी और बाकी के लोग यहाँ आ जायेंगे।”
लड़का:-“ऐसी गलती मत करना, हम सब लोग इतने समय से भरे पड़े हैं, अगर उन लोगों ने तुम्हें ऐसी नंगी देख लिया तो वो लोग भी तुमको चोदने लग जायेंगे। इसलिये भलाई इसी में ही है कि कोई आवाज़ मत करना।”
तो मैं ये सुनकर डर गयी और सोचा कि सच में ऐसा हो सकता है। मुझे पता था कि आज ये लोग मुझे किसी भी हाल में जाने नहीं देंगे। इसलिए मैं मान गयी।
अब मैंने अपने हाथ ढ़ीले छोड़ दिए और उन लोगों को जो करना था उनको करने दिया। तब उन चारों लड़कों ने मुझे पकड़ लिया। एक लड़का मेरे चुच्चे मसलने लगा दूसरा मेरे होठों पर किस्स करने लगा तीसरा मेरी चूत पर हाथ फेरने लगा और चौथे ने मेरे हाथ में अपना बड़ा काला लौड़ा पकड़ा दिया। उसका लौड़ा 7 इंच लम्बा था और बहुत मोटा और बिल्कुल काला था। दूसरी ओर मेरी चूत एकदम साफ और चिकनी थी। तो उसका लौड़ा आगे पीछे करने लगी।
थोड़ी देर बाद वो सब लोग पुरे नँगे हो गए तो मैंने देखा देखा ही सबके लौड़े 8-9 इंच लंबे और बहुत मोटे और काले थे। उनकी झाँटें भी बहुत लंबी हो गयी थी। 7 महीनों से उन्होंने अपनी झाँटें भी नहीं काटी थी।
मैं पहले भी ग्रुप सेक्स कर चुकी थी पर इतने भयानक लौड़े मैंने अपनी ज़िन्दगी में कभी नहीं देखे थे। मैं उनके लौड़ों को देखकर बहुत डर गई।
तभी उन लोगों ने मुझे पानी में ही नीचे बिठा दिया और एक ने अपना लौड़ा मेरे मुँह में दे दिया। उसका लौड़ा उन सब में सबसे बड़ा था और मेरे मुँह में भी नहीं आ रहा था। उसने जबर्दस्ती अपने लौड़े को मेरे मुँह में डाल दिया। जिससे मुझे खांसी आ गयी पर इसने लौड़ा अंदर ही रखा और थोड़ी देर बाद आगे पीछे करने लगा। थोड़ी देर बाद वो मेरे मुँह में ही झड़ गया। उतने में दूसरा लड़के ने मेरे मुंह में अपना लण्ड दे दिया जिससे मुझे उसका वीर्य पीना पड़ा। ऐसा करते करते चारों ने मेरे मुंह को चोद दिया।
उसके बाद पहला लड़का फिर से सख्त हो गया और उसने मुझे थोड़े गहरे पानी में लिया और उस बड़े से पत्थर से सटा दिया। वहाँ पानी मेरे पेट तक पहुँच गया था। मेरी चूत और इसका लौड़ा पानी में ही था।
तब उसने मुझे उस बड़े पत्थर के साथ खड़ा दिया और पानी के अंदर से ही अपना बड़ा सा लौड़ा मेरी चूत के छेद पर रख दिया और बहुत ज़ोर का झटका मार दिया। जितने में मैं चीखती उसने मेरे मुंह में अपनी चड्डी डाल दी। मैं उसको दूर हटाने की कोशिश करने लगी पर तभी बाकी के लड़कों ने मेरे हाथ और पैर पकड़ लिए और पीछे कर दिए ताकि मैं कुछ कर न सकूँ।
उसका लौड़ा इतना बड़ा था कि वो इतने बड़े झटके से भी अंदर नहीं गया। तभी उसने दूसरा झटका मारा और बिना इंतजाऱ किये तीसरा और फिर लगातार बहुत से झटके मारे और पूरा लण्ड मेरी चूत में चला गया। उसने मुझे दर्द को सहने का समय भी नहीं दिया। इससे मुझे इतना दर्द हुआ कि मैं अधमरी हो गयी और पानी में खून ही खून फ़ैल गया।
उसके बाद इसने थोड़ी देर तक अपना लौड़ा अंदर ही रखा। मैं लगातार रोई जा रही थी और मन में कह रही थी कि मुझे जाने दो। थोड़ी देर बाद जब दर्द थोड़ा कम हुआ तो उसने धीरे धीरे अपना लौड़ा अंदर बाहर करना चालू कर दिया और थोड़ी देर बाद इसने अपनी स्पीड बहुत बढ़ा दी। मैं बहुत रो रही थी और छटपटा रही थी पर उन लोगों ने मुझे बहुत कस के पकड़ा था।
उसके धक्के इतने तेज़ थे कि पानी भी उछल कर बहुत ऊपर जा रहा था। पानी में चुदाई के कारण मुझे इतना दर्द हुआ तो मैंने सोचा कि वो मुझे ज़मीन पर बिना किसी क्रीम या तेल के चोदता तो मैं मर ही जाती।
बहुत देर तक चुदाई करने के बाद वो मेरी चूत में ही झड़ गया। मैं ऐसा नहीं चाहती थी पर मैं कुछ बोल भी नहीं पा रही थी। जैसे ही वो लड़का हटा तो मेरी साँस में साँस आयी। मैंने सोचा ही अब वो थोड़ी देर बाद मुझे चोदेंगे पर तभी दूसरा लड़का आ गया और इसने भी एक ज़ोर का झटका मार दिया और आधा लण्ड अंदर चला गया। मैं फिर से छटपटाने लगी पर उसने लगातार झटके मारना चालू रखा और इस तरह सभी चारों लड़कों ने मेरी चूत अपने वीर्य से भर दी।
उसके बाद वो मुझे पानी से बाहर ले आये। मुझसे तो चला भी नहीं जा रहा था। शरीर में बिल्कुल भी जान नहीं बची थी। बाहर जाके मैंने देखा की उन लड़कों ने मेरे चुच्चे चांटे मार मार के और चूस चूस के लाल कर दिए थे और मेरी चूत की हालत तो बहुत खराब हो गयी थी। चूत ऐसी दिख रही थी जैसे चूत के दरवाजे हों और वो दरवाज़े किसी ने खोल कर तोड़ दिए हैं।
मैंने अपनी चूत को पकड़ कर रोने लगी पर तभी मेरी रोने की आवाज़ सुन कर बाकी के 6 लोग भी वहाँ आ गए। उन लोगों ने देखा की मैं नीचे नंगी लेटी हूँ और मेरे पास 4 लड़के नँगे बैठे हैं।
मैंने सोचा कि वो मेरी मदद करेंगे पर इनकी आँखों में दया नहीं हवस ही दिख रही थी। पर पहले उन लोगों ने मेरी हालत को देख कर मुझपर तरस खाया।
उन लोगो ने मुझे कपडे पहनाये और मुझे उठा कर उस बड़े पत्थर के ऊपर ले गए। वहाँ धूप अच्छी आ रही थी इसलिए। मैं ठंड से कांप रही थी तो वो मेरे लिए स्लीपिंग बैग ले के आये उसके अंदर डालने के बजाए उन लोगों ने मुझे उसके ऊपर लिटा दिया और 2 कंबल से मुझे ढक दिया।
थोड़ी देर बाद वो मेरे लिए गर्म चाय और खाना और पेनकिलर ले के आये। इस दौरान उन लोगों ने मुझसे कोई बात नहीं की। ये मुझे थोड़ा अजीब लग रहा था। उस बड़े पत्थर के ऊपर से आस पास का बहुत सुंदर नज़ारा दिख रहा था और सिर्फ उसी पत्थर पर धूप आ रही थी।
4-5 घण्टे तक मैं अच्छे से सोई। जब मैं उठी तो थोड़ा अच्छा लग रहा था। अब दिन के 3 बज गये थे। मैं उठ कर बैठ गयी। तभी वो 6 लोग जिन्होंने मुझे नहीं चोदा था वो ऊपर मेरे पास आये। उन लोगों ने मेरे साथ जो भी हुआ उसकी माफ़ी मांगी।
वो बहुत मीठी मीठी बातें कर रहे थे तो मेरा दिमाग थोड़ा शांत हो गया। पर तभी उन लोगों ने मुझसे कहा कि तुम हो ही इतनी सुंदर हो की कोई भी तुम्हे चोदने आ सकता है। इसलिये उन 4 लड़कों ने ऐसा किया।
उसने बोल कि मैंने तो मनाली में तुम्हारे साथ बात ही इसलिए की थी कि तुम मुझे बहुत अच्छी लगी थी। मैं तो तुम्हे इसी दिन से चोदना चाहता था और ये बाकी के लोग भी यही चाहते हैं।
तो उसने कहा कि अगर तुम हम सबको एक एक बार तुम्हें चोदने का मौका दो तो तुम्हारा भला होगा। हम बहुत सालों से भूखे हैं और तुम हमारी रोटी बन जाओ।
ये सुनकर मैं बहुत डर गई। मैं रोने लगी और उनको मना करने लगी। पर वो मान ही नहीं रहे थे। मुझे बहुत सारी बातें करके मुझे चुदाई के लिए मनाने लगे।
बाद में मुझे पता चल गया कि ये मुझे छोड़ने वाले नहीं हैं। इन सबके लण्ड शांत करने ही पढ़ेंगे। अगर अपनी मर्ज़ी से करने नहीं दिया तो ये जबर्दस्ती करेंगे जो कि बहुत खतरनाक होगा।
तो मुझे मानना पड़ा। पर मैंने उसके सामने एक शर्त रखी कि एक समय के एक ही लड़का मुझे चोदेगा और हर एक चुदाई के बाद मुझे कम से कम 20 मिनट का समय चाहिए। 20 मिनट के बाद ही अगला लड़का आएगा। तो वो मान गए।
तब एक लड़के को छोड़ कर बाकी सब बड़े पत्थर से चले गए। उस लड़के ने पहले मुझे लिटाया और मेरे होठों पर बहुत समय तक किस्स किया और आराम से मेरे कपड़े खोले और आराम से मेरे चुच्चे चूसे। उसके बाद वो नीचे आ गया। उसने प्यार से मेरी चिकनी चूत को चाटा। अभी भी मेरी चूत में बहुत दर्द था। पर उसने बहुत आराम से सब कुछ किया। उसके बाद उसने अपना 7 इंच का काला नाग निकाला और मुझे चूसने को कहा। वो इतने प्यार से मेरे साथ सब कुछ कर रहा था तो मैंने भी प्यार से उसका लौड़ा अच्छे से चूसा और उसको पूरा मज़ा दिया।
उसके बाद इसने लौड़ा मेरी चूत के दरवाजे पर रख दिया और थोड़ी देर इसको सहलाया। जिससे मिझे भी बहुत अच्छा लगने लगा। थोड़ी देर बाद उसने अपना लण्ड मेरी चूत में आराम से अंदर डाला। मेरी चूत में दर्द होने के कारण मैं चीख गयी। पर अब कोई डर नहीं था। अब मैं आराम से चीख सकती थी। उसने आराम आराम से 7-8 झटकों में पूरा लौड़ा अंदर दाल दिया और थोड़ी देर अंदर रखने के बाद उसने आगे पीछे होना शुरू कर दिया। उसकी चुदाई में मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था। मैं आराम से ज़ोर ज़ोर से चीख रही थी। वहाँ कोई इंसान नहीं था तो कोई डर भी नहीं था। मेरी चीखें चारों और गूंज रही थी।
कुछ देर तक चोदने के बाद उसने अपना लौड़ा बाहर निकल दिया और मेरे चुचों पर झड़ गया। थोड़ी देर वो मेरे ऊपर ही लेता रहा और कुछ देर बाद चला गया।
20 मिनट बाद दूसरा लड़का आया। उसने भी पहले वाले की ही तरह मेरी चुदाई की और चला गया। बारी बारी करके सब 6 लड़कों ने मेरी चुदाई की। अब मेरी हालत बहुत खराब हो गयी थी।
सब को शांत करते करते शाम के 6 बज गये। अब वो लोग मुझे नीचे ले आये और मेरे टेंट के अंदर लिटा दिया। रात को 8 बजे एक लड़का मेरे लिए खाना और दवाई के आया। उसने मुझे खाना खिलाया और दवाई भी खिलाई। उसके बाद भी वहीं बैठा रहा।
तो मैं समझ गयी की वो मुझे फिर से चोदना चाहता है, पर मैंने उसे मना कर दिया। मैंने बोला कि अगर किसी और को पता चल गया या मेरी चीख किसी को सिनाई से गयी तो सब लोग फिर से मुझे चोदने आ जायेंगे। तो उसने कहा कि ठीक है मैं तुम्हे चोदुगा नहीं बस तुम मुझे अपना मुँह ही चोदने दो। तो मैं मान गयी।
तो उसने मेरा मुंह चोदा और चला गया।
अगले दिन मैं 1 बजे तक सोई और बाद में हमने सामन पैक किया और वहाँ से चले गए। बाइक चलते हुए भी मेरी चूत में बहुत दर्द हो रहा था पर मुझे वहाँ से निकलना था। जब हमने मेन रोड़ मिल गया तो मैंने उनसे कहा कि मैं वापिस घर जा रही हूँ तो वो अपने रास्ते चले गये और मैं अपने रास्ते आ गयी।
उसके बाद मैंने एंटी प्रग्नेंट की दवाई खाई और कुछ दिन मनाली में आराम करने के बाद घर चली गयी।
आश्चर्य की बात तो ये है कि उसके बाद वो लोग मुझे आजतक कहीं नहीं मिले और न ही उनकी कोई खबर मिली। उस हादसे को याद करके कभी कभी बहुत अज़ीब सा अहसास होता है जिसे बताया नहीं जा सकता।
मुम्बई में ये सब बहुत चलता है। आज किसी से चुद गए, कल किसी और से। पर मैं जो कहानी आपको बताने जा रही हूँ वो बहुत उत्तेजक है और मैंने कभी ये सोचा भी नहीं था कि मेरे साथ कुछ ऐसा भी होगा।
तो कहानी शुरु होती है तब से जब मैं 23 साल की थी। मुझे घूमने फिरने का बहुत शौक था। मैं अक्सर अकेले ही घूमना पसंद करती थी। मैं अक्सर बाइक किराये पर ले कर घूमने निकल जाया करती थी।
तो एक बार मैं हिमाचल प्रदेश में अकेले घूमने गयी थी। मैंने मनाली से एक बाइक किराये पर ली और पूरा हिमाचल घूमने निकलने लगी। पर तभी मुझे वहाँ एक ऐसा ग्रुप मिला जो की मेरे जैसे ही बाइक किराये पर ले कर पूरा हिमाचल घूमने निकले थे।
मैंने उन से पूछ ताछ की तो उन्होंने मुझे भी अपने साथ चलने के लिए कहा। पहले मुझे थोड़ा अजीब लगा पर बाद में मैंने हाँ कर दी। टी अगले दिन हम मनाली से निकल गए और चंबा की ओर जाने लगे।
उस ग्रुप में 10 लड़के थे, जो कि बहुत अच्छे घर के लगते थे। उन लोगों ने बताया कि वो लोग पिछले 7 महीने से ऐसे पुरे भारत में घूम रहे हैं। ये सुनकर मुझे बहुत अच्छा लगा। हम लोगों ने रास्ते में बहुत बातें की और सब लोग मेरे अच्छे दोस्त बन गए।
एक रात जब हम लोग जा रहे थे तो रास्ते में पहाड़ दरकने से रास्ता बंद हो गया था इसलिए हमें कोई दूसरा रास्ता देखना पड़ा। पर उस समय बहुत तेज़ बारिश भी हो रही थी जिसके चलते हम रास्ता भटक गए और पूरी रात गलत दिशा में जाते रहे।
इस दौरान हम लोग मेन सड़क से 70 किलोमिटर दूर आ गए थे। जब हमें इस बात का अहसास हुआ की हम लोग भटक गए हैं तो हमने वहीँ किसी नदी के किनारे टेंट लगा दिए और बारिश थमने का इंतज़ार करने लगे।
सुबह करीब 5 बजे मैं उठी तो मैंने देखा की बारिश थम गई है और बाकी सब लोग अभी भी सो रहे हैं। हुम लोग पहाड़ों के बीच, नदी के किनारे किसी बहुत सुंदर से जगह पहुँच गये थे। वहाँ हमारे आलावा और कोई भी नहीं था।
नदी को देख कर मेरा मन उसमे नहाने का हुआ तो मैं नदी के पास के बड़े से पत्थर के पास चली गयी जहाँ से मुझे कोई देख नहीं सकता था। मैंने अपने सारे कपडे निकाल दिए और मैं नदी में नहाने के लिए चली गयी। थोड़ी देर बाद मुझे महसूस हुआ कि कोई मुझे देख रहा है और बातें कर रहा है।
तभी मैंने पीछे देखा तो उस ग्रुप के 4 लड़के सिर्फ चड्डियों में मेरे पीछे खड़े हैं और जब मैंने उनकी चड्डियों पर ध्यान दिया तो देखा कि उनके लौड़े भी तन गये हैं। थोड़ी देर तक मुझे समझ नहीं आया कि मैं क्या करूँ। मैं भी उनके सामने पूरी नंगी खड़ी हुई थी। मैं सिर्फ घुटनों तक ही पानी में थी और मेरा बाकी का शरीर वो 4 लड़के देख रहे थे।
तभी मैं थोड़ी चिल्लाई और अपने हाथों से अपने चुच्चों को ढकने लगी और मैं पानी में बैठ गई। मैंने सोचा की अब तो ये लोग यहाँ से चले जायेंगे पर ऐसा नहीं हुआ। वो वहीं खड़े रहे और मुझे देखते रहे।
मैंने उनसे वहाँ से जाने को भी कहा पर वो वहाँ से गये ही नहीं।
तभी वो लोग पानी में आ गए और मुझे चारों तरफ से घेर लिया और मुझे पकड़ने लगे।
एक ने कहा कि,”सारिका! डरो मत कुछ नहीं होगा। यार तुम समझो, हमने पिछले 7 महीनों से न चुदाई की है और न ही मुठ मारी है। हम अंदर से भरे पड़े हैं। हमारे अंदर के बोझ को हल्का करने में हमारी मदद कर दो।”
ये सुनकर मैं डर गई।
मैं:-“नहीं! मुझे जाने दो, नहीं तो मैं शोर मचा दूंगी और बाकी के लोग यहाँ आ जायेंगे।”
लड़का:-“ऐसी गलती मत करना, हम सब लोग इतने समय से भरे पड़े हैं, अगर उन लोगों ने तुम्हें ऐसी नंगी देख लिया तो वो लोग भी तुमको चोदने लग जायेंगे। इसलिये भलाई इसी में ही है कि कोई आवाज़ मत करना।”
तो मैं ये सुनकर डर गयी और सोचा कि सच में ऐसा हो सकता है। मुझे पता था कि आज ये लोग मुझे किसी भी हाल में जाने नहीं देंगे। इसलिए मैं मान गयी।
अब मैंने अपने हाथ ढ़ीले छोड़ दिए और उन लोगों को जो करना था उनको करने दिया। तब उन चारों लड़कों ने मुझे पकड़ लिया। एक लड़का मेरे चुच्चे मसलने लगा दूसरा मेरे होठों पर किस्स करने लगा तीसरा मेरी चूत पर हाथ फेरने लगा और चौथे ने मेरे हाथ में अपना बड़ा काला लौड़ा पकड़ा दिया। उसका लौड़ा 7 इंच लम्बा था और बहुत मोटा और बिल्कुल काला था। दूसरी ओर मेरी चूत एकदम साफ और चिकनी थी। तो उसका लौड़ा आगे पीछे करने लगी।
थोड़ी देर बाद वो सब लोग पुरे नँगे हो गए तो मैंने देखा देखा ही सबके लौड़े 8-9 इंच लंबे और बहुत मोटे और काले थे। उनकी झाँटें भी बहुत लंबी हो गयी थी। 7 महीनों से उन्होंने अपनी झाँटें भी नहीं काटी थी।
मैं पहले भी ग्रुप सेक्स कर चुकी थी पर इतने भयानक लौड़े मैंने अपनी ज़िन्दगी में कभी नहीं देखे थे। मैं उनके लौड़ों को देखकर बहुत डर गई।
तभी उन लोगों ने मुझे पानी में ही नीचे बिठा दिया और एक ने अपना लौड़ा मेरे मुँह में दे दिया। उसका लौड़ा उन सब में सबसे बड़ा था और मेरे मुँह में भी नहीं आ रहा था। उसने जबर्दस्ती अपने लौड़े को मेरे मुँह में डाल दिया। जिससे मुझे खांसी आ गयी पर इसने लौड़ा अंदर ही रखा और थोड़ी देर बाद आगे पीछे करने लगा। थोड़ी देर बाद वो मेरे मुँह में ही झड़ गया। उतने में दूसरा लड़के ने मेरे मुंह में अपना लण्ड दे दिया जिससे मुझे उसका वीर्य पीना पड़ा। ऐसा करते करते चारों ने मेरे मुंह को चोद दिया।
उसके बाद पहला लड़का फिर से सख्त हो गया और उसने मुझे थोड़े गहरे पानी में लिया और उस बड़े से पत्थर से सटा दिया। वहाँ पानी मेरे पेट तक पहुँच गया था। मेरी चूत और इसका लौड़ा पानी में ही था।
तब उसने मुझे उस बड़े पत्थर के साथ खड़ा दिया और पानी के अंदर से ही अपना बड़ा सा लौड़ा मेरी चूत के छेद पर रख दिया और बहुत ज़ोर का झटका मार दिया। जितने में मैं चीखती उसने मेरे मुंह में अपनी चड्डी डाल दी। मैं उसको दूर हटाने की कोशिश करने लगी पर तभी बाकी के लड़कों ने मेरे हाथ और पैर पकड़ लिए और पीछे कर दिए ताकि मैं कुछ कर न सकूँ।
उसका लौड़ा इतना बड़ा था कि वो इतने बड़े झटके से भी अंदर नहीं गया। तभी उसने दूसरा झटका मारा और बिना इंतजाऱ किये तीसरा और फिर लगातार बहुत से झटके मारे और पूरा लण्ड मेरी चूत में चला गया। उसने मुझे दर्द को सहने का समय भी नहीं दिया। इससे मुझे इतना दर्द हुआ कि मैं अधमरी हो गयी और पानी में खून ही खून फ़ैल गया।
उसके बाद इसने थोड़ी देर तक अपना लौड़ा अंदर ही रखा। मैं लगातार रोई जा रही थी और मन में कह रही थी कि मुझे जाने दो। थोड़ी देर बाद जब दर्द थोड़ा कम हुआ तो उसने धीरे धीरे अपना लौड़ा अंदर बाहर करना चालू कर दिया और थोड़ी देर बाद इसने अपनी स्पीड बहुत बढ़ा दी। मैं बहुत रो रही थी और छटपटा रही थी पर उन लोगों ने मुझे बहुत कस के पकड़ा था।
उसके धक्के इतने तेज़ थे कि पानी भी उछल कर बहुत ऊपर जा रहा था। पानी में चुदाई के कारण मुझे इतना दर्द हुआ तो मैंने सोचा कि वो मुझे ज़मीन पर बिना किसी क्रीम या तेल के चोदता तो मैं मर ही जाती।
बहुत देर तक चुदाई करने के बाद वो मेरी चूत में ही झड़ गया। मैं ऐसा नहीं चाहती थी पर मैं कुछ बोल भी नहीं पा रही थी। जैसे ही वो लड़का हटा तो मेरी साँस में साँस आयी। मैंने सोचा ही अब वो थोड़ी देर बाद मुझे चोदेंगे पर तभी दूसरा लड़का आ गया और इसने भी एक ज़ोर का झटका मार दिया और आधा लण्ड अंदर चला गया। मैं फिर से छटपटाने लगी पर उसने लगातार झटके मारना चालू रखा और इस तरह सभी चारों लड़कों ने मेरी चूत अपने वीर्य से भर दी।
उसके बाद वो मुझे पानी से बाहर ले आये। मुझसे तो चला भी नहीं जा रहा था। शरीर में बिल्कुल भी जान नहीं बची थी। बाहर जाके मैंने देखा की उन लड़कों ने मेरे चुच्चे चांटे मार मार के और चूस चूस के लाल कर दिए थे और मेरी चूत की हालत तो बहुत खराब हो गयी थी। चूत ऐसी दिख रही थी जैसे चूत के दरवाजे हों और वो दरवाज़े किसी ने खोल कर तोड़ दिए हैं।
मैंने अपनी चूत को पकड़ कर रोने लगी पर तभी मेरी रोने की आवाज़ सुन कर बाकी के 6 लोग भी वहाँ आ गए। उन लोगों ने देखा की मैं नीचे नंगी लेटी हूँ और मेरे पास 4 लड़के नँगे बैठे हैं।
मैंने सोचा कि वो मेरी मदद करेंगे पर इनकी आँखों में दया नहीं हवस ही दिख रही थी। पर पहले उन लोगों ने मेरी हालत को देख कर मुझपर तरस खाया।
उन लोगो ने मुझे कपडे पहनाये और मुझे उठा कर उस बड़े पत्थर के ऊपर ले गए। वहाँ धूप अच्छी आ रही थी इसलिए। मैं ठंड से कांप रही थी तो वो मेरे लिए स्लीपिंग बैग ले के आये उसके अंदर डालने के बजाए उन लोगों ने मुझे उसके ऊपर लिटा दिया और 2 कंबल से मुझे ढक दिया।
थोड़ी देर बाद वो मेरे लिए गर्म चाय और खाना और पेनकिलर ले के आये। इस दौरान उन लोगों ने मुझसे कोई बात नहीं की। ये मुझे थोड़ा अजीब लग रहा था। उस बड़े पत्थर के ऊपर से आस पास का बहुत सुंदर नज़ारा दिख रहा था और सिर्फ उसी पत्थर पर धूप आ रही थी।
4-5 घण्टे तक मैं अच्छे से सोई। जब मैं उठी तो थोड़ा अच्छा लग रहा था। अब दिन के 3 बज गये थे। मैं उठ कर बैठ गयी। तभी वो 6 लोग जिन्होंने मुझे नहीं चोदा था वो ऊपर मेरे पास आये। उन लोगों ने मेरे साथ जो भी हुआ उसकी माफ़ी मांगी।
वो बहुत मीठी मीठी बातें कर रहे थे तो मेरा दिमाग थोड़ा शांत हो गया। पर तभी उन लोगों ने मुझसे कहा कि तुम हो ही इतनी सुंदर हो की कोई भी तुम्हे चोदने आ सकता है। इसलिये उन 4 लड़कों ने ऐसा किया।
उसने बोल कि मैंने तो मनाली में तुम्हारे साथ बात ही इसलिए की थी कि तुम मुझे बहुत अच्छी लगी थी। मैं तो तुम्हे इसी दिन से चोदना चाहता था और ये बाकी के लोग भी यही चाहते हैं।
तो उसने कहा कि अगर तुम हम सबको एक एक बार तुम्हें चोदने का मौका दो तो तुम्हारा भला होगा। हम बहुत सालों से भूखे हैं और तुम हमारी रोटी बन जाओ।
ये सुनकर मैं बहुत डर गई। मैं रोने लगी और उनको मना करने लगी। पर वो मान ही नहीं रहे थे। मुझे बहुत सारी बातें करके मुझे चुदाई के लिए मनाने लगे।
बाद में मुझे पता चल गया कि ये मुझे छोड़ने वाले नहीं हैं। इन सबके लण्ड शांत करने ही पढ़ेंगे। अगर अपनी मर्ज़ी से करने नहीं दिया तो ये जबर्दस्ती करेंगे जो कि बहुत खतरनाक होगा।
तो मुझे मानना पड़ा। पर मैंने उसके सामने एक शर्त रखी कि एक समय के एक ही लड़का मुझे चोदेगा और हर एक चुदाई के बाद मुझे कम से कम 20 मिनट का समय चाहिए। 20 मिनट के बाद ही अगला लड़का आएगा। तो वो मान गए।
तब एक लड़के को छोड़ कर बाकी सब बड़े पत्थर से चले गए। उस लड़के ने पहले मुझे लिटाया और मेरे होठों पर बहुत समय तक किस्स किया और आराम से मेरे कपड़े खोले और आराम से मेरे चुच्चे चूसे। उसके बाद वो नीचे आ गया। उसने प्यार से मेरी चिकनी चूत को चाटा। अभी भी मेरी चूत में बहुत दर्द था। पर उसने बहुत आराम से सब कुछ किया। उसके बाद उसने अपना 7 इंच का काला नाग निकाला और मुझे चूसने को कहा। वो इतने प्यार से मेरे साथ सब कुछ कर रहा था तो मैंने भी प्यार से उसका लौड़ा अच्छे से चूसा और उसको पूरा मज़ा दिया।
उसके बाद इसने लौड़ा मेरी चूत के दरवाजे पर रख दिया और थोड़ी देर इसको सहलाया। जिससे मिझे भी बहुत अच्छा लगने लगा। थोड़ी देर बाद उसने अपना लण्ड मेरी चूत में आराम से अंदर डाला। मेरी चूत में दर्द होने के कारण मैं चीख गयी। पर अब कोई डर नहीं था। अब मैं आराम से चीख सकती थी। उसने आराम आराम से 7-8 झटकों में पूरा लौड़ा अंदर दाल दिया और थोड़ी देर अंदर रखने के बाद उसने आगे पीछे होना शुरू कर दिया। उसकी चुदाई में मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था। मैं आराम से ज़ोर ज़ोर से चीख रही थी। वहाँ कोई इंसान नहीं था तो कोई डर भी नहीं था। मेरी चीखें चारों और गूंज रही थी।
कुछ देर तक चोदने के बाद उसने अपना लौड़ा बाहर निकल दिया और मेरे चुचों पर झड़ गया। थोड़ी देर वो मेरे ऊपर ही लेता रहा और कुछ देर बाद चला गया।
20 मिनट बाद दूसरा लड़का आया। उसने भी पहले वाले की ही तरह मेरी चुदाई की और चला गया। बारी बारी करके सब 6 लड़कों ने मेरी चुदाई की। अब मेरी हालत बहुत खराब हो गयी थी।
सब को शांत करते करते शाम के 6 बज गये। अब वो लोग मुझे नीचे ले आये और मेरे टेंट के अंदर लिटा दिया। रात को 8 बजे एक लड़का मेरे लिए खाना और दवाई के आया। उसने मुझे खाना खिलाया और दवाई भी खिलाई। उसके बाद भी वहीं बैठा रहा।
तो मैं समझ गयी की वो मुझे फिर से चोदना चाहता है, पर मैंने उसे मना कर दिया। मैंने बोला कि अगर किसी और को पता चल गया या मेरी चीख किसी को सिनाई से गयी तो सब लोग फिर से मुझे चोदने आ जायेंगे। तो उसने कहा कि ठीक है मैं तुम्हे चोदुगा नहीं बस तुम मुझे अपना मुँह ही चोदने दो। तो मैं मान गयी।
तो उसने मेरा मुंह चोदा और चला गया।
अगले दिन मैं 1 बजे तक सोई और बाद में हमने सामन पैक किया और वहाँ से चले गए। बाइक चलते हुए भी मेरी चूत में बहुत दर्द हो रहा था पर मुझे वहाँ से निकलना था। जब हमने मेन रोड़ मिल गया तो मैंने उनसे कहा कि मैं वापिस घर जा रही हूँ तो वो अपने रास्ते चले गये और मैं अपने रास्ते आ गयी।
उसके बाद मैंने एंटी प्रग्नेंट की दवाई खाई और कुछ दिन मनाली में आराम करने के बाद घर चली गयी।
आश्चर्य की बात तो ये है कि उसके बाद वो लोग मुझे आजतक कहीं नहीं मिले और न ही उनकी कोई खबर मिली। उस हादसे को याद करके कभी कभी बहुत अज़ीब सा अहसास होता है जिसे बताया नहीं जा सकता।