मेरी चालू माँ और मेरे दोस्त का जगराता Jagrata

हम गांव में करीब 7 दिन रूके और उन 7 दिनों में मां करीब 20 बार सोनू और अभिनव से चुदी थी।

अब हमारे वापस जाने का वक्त नज़दीक आ रहा था तो हमने सब से विदा लेकर हम दोनों उत्तरप्रदेश वापस आ गए। उत्तरप्रदेश वापस आने के बाद मुझे मां पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं रह गया था.
मेरी माँ ने सूरज का लण्ड चूसा और चूत मराई थी और साथ ही साथ अभिनव को भी अपना ममता का अंश दिए था.
मुझे पक्का यकीन था कि मां इतनी चालू हैं तो जाहिर सी बात है कि वह यहां पर भी अपना जलवा बिखेरतीं ही होंगी; मैंने ही कभी नोटिस नहीं किया होगा.

तो मैंने सोचा कि अब से मैं उनकी सारी हरकतों पर नजर रखूँगा.

जैसा मैंने आपको पिछली स्टोरी में भी बताया था कि मैंने माँ के फ़ोन में एप्लीकेशन इनस्टॉल कर दिए है जिससे मई उनके कॉल एंड मेसेज पढ़ सकता था।

तो सीधा कहानी पर आते हैं उस वक्त की है जब हमारी बिल्डिंग में एक नया युगल रहने के लिए आया और उन्होंने गृह प्रवेश के साथ में जागरण भी रखा.
सोसाइटी के सेक्रेटरी ने बिल्डिंग में पूजा पाठ करवाने की योजना बनाई। सारे बिल्डिंग वाले लोग मान गए.

मैं मम्मी के सारे चैट और कॉल रिकॉर्डिंग सुन रहा था पर उसमें मुझे कुछ भी हाथ नहीं लगा.

तब मैंने सोचा शायद माँ ने सोनू के चक्कर में अपनी मरवा ली हो।
शायद माँ शरीफ ही हो!
शायद वह पहली बार ही हुआ होगा!

लेकिन मैं गलत था क्योंकि मैंने एक बिल्डिंग के अंकल को और उनके दोस्त को जो हमारी ही बिल्डिंग में रहते हैं उनको यह कहते सुना कि जागरण में उसको चोद देंगे।
मैं पहले तो समझ नहीं पाया किसकी बात चल रही है मुझे कुछ शक हुआ कि शायद यह मेरी माँ ही है.

फिर वह शाम भी आ ही गई। हम सब लड़के लोग पूजा की तैयारियों में लगे हुए थे, कोई कुछ तैयारी कर रहा था, मैं भी कहीं बाहर था, हर बंदा काम में लगा हुआ था.
माँ भी अभी तैयारी में लगी हुई थी।

मुझे एक तरफ तो यह लग रहा था कि किस तरीके से वे इतने भीड़ भरे माहौल के अंदर चुदाई का आनंद ले पाएंगे. लेकिन दूसरी तरफ मैं यह भी जानता था कि अगर वे चुदाई करते भी हैं तो कोई भी उन पर ध्यान नहीं देगा क्योंकि सब लोग तो जागरण में बिजी रहेंगे.

देखते देखते रात के 10:00 बज गए और मेरी मां अभी भी जागरण के अंदर ही थी बाकी औरतों के साथ।
तो मुझे लगा अंकल शायद किसी और की बात कर रहे हैं क्योंकि अजय अंकल भी वहीं पर थे और दूसरे अंकल दिखाई नहीं दे रहे थे.
मुझे लगा कि शायद दूसरे वाले अंकल कहीं और बिजी होंगे तो मैं ऊपर फ्लोर पर देखने के लिए गया और वहां से कुछ भी पता नहीं चल पा रहा था.

फिर अजय अंकल का फोन बजा और वे बाहर निकल गए क्योंकि जागरण की वजह से बहुत शोर हो रहा था. इसलिए अजय अंकल छत पर चले गए और मैं उनकी बातें सूनने उनके पीछे छत पर चुपके से आ गया.

अंकल किसी पर गुस्सा कर रहे थे. शायद वे रेड्डी अंकल पर गुस्सा कर रहे थे- आज तुम क्यों नहीं आ सकते? तुम्हारा कमरा क्यों नहीं मिलेगा?
वगैरा वगैरा!
साफ पता लग रहा था कि उनका प्लान कैंसिल हो रहा है.

अजय अंकल अब गाली देने पर उतर आए थे और थोड़ी देर बाद उन्होंने फोन रख दिया और वो सोच में लग रहे थे.

तभी अजय अंकल ने किसी और को भी फोन मिलाया और बात करने लगे; कहने लगे- अरे भैया, एक माल है उसका काम लगाना है तो रूम मिल जाएगा?
“हां हां … वही है!”
उसने कुछ बोला होगा लेकिन मैं सुन नहीं पाया।

इसी तरीके से थोड़ा सा टाइम और भी बीत गया. अंकल भी 10 मिनट बाद नीचे आ गए और मॉम के पास गए को थोड़ा सा इशारा किया.
और अजय अंकल और मॉम दोनों कमरे से बाहर निकल गए.

मैं उस वक्त वहां पर था नहीं क्योंकि मेरा चूतिया दोस्त मुझे कहीं और खींच कर ले गया।
हम लोग घूमकर थोड़ा देर बाद आए, मैं वापस जागरण में चला गया।

वहां मैंने देखा कि मेरी मॉम नहीं है ना ही अंकल ही हैं.
मैंने सोचा कि इतनी रात में कहाँ जायेंगे.

अब अँधेरे में तीर चलाने जैसा ही था. मैंने कॉल रिकॉर्डिंग सुनी, उसमें मॉम का कोई भी अता पता नहीं था क्योंकि अंकल और मां दोनों के दोनों एक ही जगह थे तो आपस में फोन पर बात नहीं हुई होगी उनकी!

फिर भी मैंने तुक्का लगाया और यह सोचा कि शायद वह ऊपर वाली किन्हीं मंजिलों में होंगे। हमारा घर फर्स्ट फ्लोर पर है.

मैं सेकंड फ्लोर पर गया, हर कमरे के पास कान लगाया क्योंकि उन्हें गए हुए तकरीबन 10 मिनट हो गए थे, कुछ बात होगी तो आवाज अंदर से जरूर आएगी.
यही कुछ सोच के साथ मैं वहां पर गया.

और तीसरे फ्लोर पर जाते ही जैसे मानो चमत्कार हो गया हो। मैं कमरे के पास रूका वहां से अंदर आवाजें आ रही थी.
मैंने कान लगाया और एक आवाज बहुत जानी पहचानी थी। वह मेरी मां की आवाज़ थी. मैं उसे सुनते ही समझ गया.

और कमरा देख कर तो मैं बहुत ज्यादा ही हिल गया था. कमरा मेरे दोस्त विशु का था (हालांकि वो मुझसे चार साल बड़ा है, वो 22 का है.) अब मुझे यह समझ में नहीं आ रहा था कि जब मेरी मां को अजय अंकल लेकर गए और वे दोनों है विशु के कमरे में, तो क्या विशु वहां नहीं था?

मैं नीचे गया और विशु को ढूंढा लेकिन विशु वहां पर था नहीं, मैंने उसको फ़ोन किया लेकिन उसका फोन स्विच ऑफ था.
मुझे लगा कि शायद विशु बाहर गया होगा कि मैंने उसे कई दिनों से देखा नहीं था.

फ्लैट्स का मेन गेट लोहे का होता है, उसके अंदर एक लकड़ी का गेट होता है.
बाई चांस वे लोग आगे ही अपना कार्यक्रम कर रहे थे और विशु के गेट के दरवाजे की जाली फटी हुई थी तो मैंने एक लकड़ी ली और उसको टूटी हुई जाली से अंदर गेट खोलने का प्रयास किया। लकड़ी का गेट को थोड़ा सा और खोला जो पहले ही थोड़ा खुला था।

अब गेट इतना खुल चुका था कि मुझे अंदर का बेड दिख रहा था. बेड पर मैंने देखा कैंडल लाइट टाइप की लाइट जल रही थी यानि बहुत डिम लाइट थी.
लेकिन उसके अंदर मैं उन दोनों लोगों को साफ देख पा रहा था. लाइट कम इसीलिए की होगी ताकि कोई उन्हें देख ना पाए.

अब ऐसा था कि अंकल बैठे हुए थे और माँ उनकी गोद के पास थी. वे प्यार भरी बातें कर रहे थे. अजय अंकल मेरी मां की जुल्फों से खेल रहे थे।

तभी अंकल में माँ की साड़ी के पल्लू को नीचे किया और मॉम का ब्लाउज देखने लगे. मॉम ने बहुत टाइट ब्लाउज पहना था जिसकी वजह से मॉम के बूब्स अंकल के सामने उठे हुए दिख रहे थे. मेरी माँ के उरोज देखकर अजय अंकल कहने लगे- अरे वाह सुहासिनी, तुम्हारे तो बहुत बड़े हो गए हैं.
तो माँ बोली- अरे कहां, पिछली बार जितने ही तो हैं.

तब अजय अंकल ने शरारती लहजे में बोले- तुमने गांव में जाकर किसी से चुदाई की होगी। और पिछली बार तुमने चूत चुदवायी कहाँ थी. चूचियां चुसवा कर मेरी मुठ मार कर फटाफट भाग गयी थी.

माँ अंकल से बोली- हां, गाँव में मेरे जेठ का लड़का था, उससे चुदाई करवाई थी, उसका लंड आपसे भी बड़ा था।

और वे दोनों हंसने लगे.

अंकल कहने लगे- यार, तुम तो बहुत बड़ी वाली माल हो, आओ थोड़ा सा मन भर दो.
मां बोली- हां जरूर भर दूंगी. पहले अपनी कमीज तो उतारिए.

अजय अंकल ने अपनी शर्ट उतारी और मॉम ने अपना पूरा साड़ी को उतारा। अब माँ ब्लाउज और पेटीकोट में आ गई थी. अंकल भी अब केवल कच्छे में ही थे. उसको उभरे हुए कच्छे को देखकर यह लग रहा था कि जैसे वे 7 या 8 इंच के लण्ड के मालिक तो जरूर होंगे.

उन्होंने मॉम को अपनी तरफ खींचा और दोनों लोग बेड पर गिर गए. उसके बाद अजय अंकल मां के ऊपर आए और उन्हें जोरदार चुंबन करने लगे. दूर से देखने में तो ऐसा लग रहा था मानो एक दूसरे की जीभ को खाने की होड़ लगी हो.

जब से लोगों ने ब्लू फिल्म देखना शुरु किया है, लोग सेक्स का मजा लेने के नए नए तरीके अपनाते हैं. अजय अंकल भी वही कर रहे थे. किस करने का कोई नया तरीका अपनाया होगा.

अजय अंकल वैसे पहाड़ी थे. पहाड़ी लोग सेक्स करने में थोड़े से धीमे होते हैं लेकिन अंकल बिल्कुल अलग लेवल पर थे. वे मॉम को ऐसा चूस रहे थे कि मां से सांस भी नहीं ली जा रही थी.
तकरीबन 10 मिनट के बाद अजय अंकल ने उनको छोड़ा और मां अब बुरी तरीके से हाँफ रही थी.

मां हाँफते हुए ही बोली- अरे ऐसे तो आप किसी को मार ही डालोगे. आपने तो एकदम सांस ही रोक दी थी।
तब अजय अंकल हंसकर बोले- क्या पगली … अभी से ही मरने मारने की बात कर रही है. अभी जब मैं तेरी चूत मारूंगा, तब तो तेरी हालत और भी बुरी हो जाएगी।
मां थोड़ी सी सहम गई।

इसके बाद अजय अंकल ने मॉम का ब्लाउज खोला और मॉम अब खाली ब्रा में आ गई. उनके इतने बड़े चूचे ब्रा में संभाले भी नहीं जा रहे थे.
अजय अंकल ने उसे खींचा जिससे मॉम की ब्रा पीछे से फट गई।

मां ने पहले तो थोड़ा सा गुस्सा किया लेकिन अजय अंकल ने उनकी बात को बीच में ही काटते हुए उनके होंठों पर होंठ रख दिए और जोरदार चुंबन दे दिया.
चुम्मा देते देते ही मां के हाथ अपने आप ही अजय अंकल के लण्ड की तरफ बढ़ गए. अब माँ अंकल के लण्ड के साथ खेल रही थी।

Meri Maa Ki Chut Chudai
Meri Maa Ki Chut Chudai
उन्होंने अंकल के कच्छे में हाथ डाला और उनके लण्ड के खाल को ऊपर नीचे करने लगी और अपने शरीर को उनके शरीर पर महसूस करने लगी. अंकल ने अपना हाथ उनके एक चुचे पर रखा और उन्हें दबाने लगे और दूसरे हाथ से अपनी दो उंगलियां मां की चूत के अंदर डालने लगे।

अंकल ज़मीन पर बैठ गए और मां को उन्होंने बेड पे बिठाया और टाँगें चौड़ी कर दी जिससे उन्हें मेरी मां की चूत के दर्शन बहुत अच्छे से हो रहे थे.
उन्होंने मां की टांगों को अपने कंधों पर रखा और अपना मुँह मां की चूत के मुहाने पर रखा और अपनी जीभ उसमें डाल दी। मां दोनों हाथ पीछे की तरफ कर के एक जोरदार सिसकारी भरी और बहुत ज्यादा सेक्सी आवाजें निकालने लगी.

इसी तरीके के कार्यक्रम में करीब 5 मिनट बीत गए और माँ अब पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी. अजय अंकल भी अब यह बात अच्छे से समझते थे।

मां बहुत सेक्सी तरीके से कह रही थी- अजय, अब डाल दो. मैंने आपकी बहुत बातें सुनी है कि आप बहुत अच्छा करते हो तो अजय अंकल बोले- कौन बोलता है?
तो माँ ने कहा- आपकी बीवी ही बोलेगी और कौन बोलेगा.

अजय अंकल बोले- अगर किसी और औरत से भी मेरे बारे में पूछोगी तो वह भी बता देगी।
माँ बोली- कितनों को बर्बाद किया है आपने?
उन्होंने बोला- तुम्हें नहीं चोदा था अब तक, और नया कपल जो आया है उनको नहीं चोदा।

तो मम्मी ने हंस के उनसे कहा- अरे वे तो नए आए हैं, उनको तो छोड़ दो।
अंकल ने कहा- हम किसी को छोड़ने के लिए नहीं करते हैं बल्कि सब पर अपना अधिकार जमाते हैं.
और वे दोनों हंसने लगे.

और अब अजय अंकल अपने लण्ड को तैयार करने लगे.

वे रसोई में गए और तेल लेकर आए, वे बिना कंडोम के ही थे।
मैं सोच में था कि कैसे एक औरत बिना कंडोम के असुरक्षित सेक्स करेगी.
लेकिन मेरी मां ने कर लिया।

मां ने अंकल के लंड पर तेल लगाया और उनके सुपारे को पीछे किया।
अंकल ने कहा- इसको मुंह में लो.
लेकिन मेरी मां ने मना कर दिया; मां ने कहा- मैं मुंह में नहीं लेती हूं.

अजय अंकल बोले- अरे लेकर देखो, बहुत मजा आएगा.
मां ने बहुत आनाकानी की, बहुत बचने की कोशिश की. लेकिन अजय अंकल पर तो शायद भूत सवार था, माँ मना करती रह गई लेकिन अजय अंकल बेड पर चढ़े और उन्होंने मां के मुंह में लंड को घुसा दिया।

माँ अभी भी कुछ नहीं कर रही थी लेकिन अजय अंकल खुद अपने लंड को आगे पीछे कर रहे थे. माँ लंड निकालने की कोशिश कर रही थी लेकिन अजय अंकल ने उनके मुंह से लंड को निकलने नहीं दिया और आगे पीछे होने लगे.

कुछ वक्त बाद उन्होंने मां को बोला- अरे, तुम करके देखो, मजा आएगा.
और माँ ने बात को मान लिया.

थोड़े वक्त ही बाद माँ ने उनके लंड को चूसना शुरू कर दिया और अब वह एकदम रंडियों की माफिक लंड को चूस रही थी.
अजय अंकल ने बोला- अरे थोड़ा अंदर तक लो गले के अंदर तक!

अंकल का लंड करीब 7 इंच का होगा; मां करीब 5 इंची अंदर ले पा रही थी. अजय अंकल ने बोला- पूरा लो ना!
और अजय अंकल ने मां का सर अपने लंड में दबा दिया।

मां अंकल के लंड को पूरा नहीं ले पा रही थी. इतना तो मुझे भी दिख रहा था बाहर से … लेकिन ज़ालिम अजय को नहीं दिख रहा था.

जब अंकल ने लंड मां के मुंह से बाहर निकाला तो मां 2 मिनट तक खांसती रही और बोली- अब नहीं लूंगी.
लेकिन अंकल ने मां को बालों से पकड़ा और अपने लंड के पास लेकर आए और बोले- इन अंडों को चाट।
मां इतना रफ सेक्स बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी और वह जाने की बात कर रही थी.

तब अजय अंकल ने मेरी मां के मुंह में आंड दे दिए और चाटने को बोला।
माँ वैसे तो कुछ गुस्से में थी लेकिन तब भी उन्होंने आंड को बहुत अच्छे से चांटा और अंकल के लंड से अपना गला गीला किया.

उस डिम लाइट में अजय अंकल का लंड किसी हीरे की तरह चमक रहा था जिस पर अभी अभी फिनिशिंग की हो।
अब वो हीरा गुफा में डालने का वक्त आ गया था.

अंकल ने मां को नीचे की तरफ किया और खुद खड़े हुए और मां को इस पोजीशन के अंदर लेकर आए कि उनकी चूत जो है वह बाहर लटकी रहे. उन्होंने अपना लंड मां की चूत पर रखा और अंदर किया और उनका करीब 2 इंच लंड अंदर घुसा।

मेरी मां थोड़ा सा छटपटाई. अंकल ने खुद को मां के ऊपर लिटाया और उनको धक्का देने लगे और धीमे धीमे अंकल का 4 या 5 इंच लंड मां की चूत के अंदर तक समा गया. माँ अपनी चूत पर हो रहे घर्षण को महसूस कर रही थी और सिसकारियां ले रही थी उम्म्ह… अहह… हय… याह… और सिसकारियों में उनकी दर्द भरी चीख भी थी.

अंकल ने उनको उस पोजीशन में दस मिनट चोदा और उसके बाद अजय अंकल थोड़ा सा पीछे हट गए. जाहिर है कि वे मेरी मां के अंदर माल नहीं डालना चाहते थे.

अब उन्होंने मां के पैरों को मोड़ा ताकि मां के पैर अजय अंकल के कंधों पर आएं और अजय अंकल ने अपने हाथ माँ के कन्धों के बगल में रखे और धड़ाधड़ धक्के मारने लगे.

उस पोजीशन में मां शायद पहली बार चुद रही होगी और अब माँ को दर्द हो रहा था. माँ उसे कह रही थी- अरे अजय, थोड़ा धीमे करो … थोड़ा धीमे करो … धीरे करो!
लेकिन अंकल रुक नहीं रहे थे और वे कह रहे थे- जानेमन, इतने दिनों बाद तुम मिली हो, तुम को छोडूंगा नहीं! तुम्हारे जिस्म से पूरे मजे लूंगा. तुम्हारे जैसा माल मेरे घर पर होता तो उसको मैं सुबह शाम नंगी रखता और उसको जबरदस्त चोदता.

मम्मी दर्द में ही बोली- अरे कोई बात नहीं, आज के बाद से तो मैं आपकी हूं. लेकिन आज आप आराम से करिए ना! मुझे बाद में बहुत दर्द होगा.
अजय बोला- नहीं, तुझे तो मैं ऐसा चोदूँगा कि तू हफ्ते भर तक चल भी नहीं पाएगी. और जब तेरा दर्द ठीक हो जाएगा तब मैं तुझे फिर चोद दूंगा और मैं तुझे पूरी जिंदगी लंगड़ी बनाकर रखूँगा।

यह सुनकर हंसी सी आ गई मुझे!

मम्मी दर्द में कराह रही थी और अजय अंकल का लंड बिल्कुल किसी मिसाइल की तरह मां की चूत के अंदर घुस रहा था और बाहर निकल रहा था.
थोड़ी देर बाद अंकल फिर हटे.

मां ने राहत की सांस अभी नहीं ली होंगी कि अजय अंकल ने मां को घोड़ी बनाया और उनकी चूत में लंड लगा दिया. यह सब काम इतनी तेजी से हुआ कि मैं समझ गया कि अजय अंकल बहुत बड़े पुराने चावल हैं.

घोड़ी के पोजीशन में अंकल ने मां की चूत और तेल लगाया और और उन्होंने मां को बालों से पकड़ा और बिल्कुल ऐसे चोदा जैसे कि किसी ब्लू फिल्म में चोदते हैं. उन्होंने मां पर बिल्कुल रहम नहीं किया, उनके कंधों को पकड़ा और बहुत तेज़ी से अपने कंधों को और अपनी कमर को आगे पीछे करने लगे.

उस अवस्था में शायद अंकल खुद को कंफर्टेबल महसूस नहीं कर रहे थे इसीलिए वे खुद नीचे आए, मां को भी नीचे किया और मां को उसी पोजीशन में बेड पर लेटने के लिए कहा यानि मां का आधा शरीर बेड पर था और पैर जमीन पर थे.

उस पोजीशन में अंकल ने मेरी मां की चूत में लंड डाला और मेरी माँ की चूत को धड़ाधड़ पेला.

कमरे के बाहर तक थप-थप की आवाज आ रही थी. वो लोग बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहे थे कि गेट कितना खुला हुआ है कि कोई भी इंसान बाहर देख सकता है.
चुदाई में मशगूल मेरी माँ और उनका यार अपनी ही जागरण चला रहे थे.

फिर अंकल बोले- मैं झड़ने वाला हूं.
तो मां ने कहा- चूत में मत गिराईयेगा.
अजय ने पूछा- क्या करूं फिर? पेट पर ही डाल दूं?

लेकिन अजय अंकल ने माँ को बोला- तुम ऐसा करो, 69 की पोजीशन में आओ.
मां ने मना किया और बोली- मैं नहीं लूंगी. अजीब सा लग रहा है. और अब तो तुम मेरे मुंह में माल भी गिरा दोगे।

अजय बोला- जानेमन, सब कुछ पहली बार ही होता है और अजीब भी लगता है. लेकिन एक बार तुमको आदत लग जाएगी तो तुम खुद मेरे पास आओगी मेरा माल मुंह में लेने के लिए।

पहले तो माँ ने बहुत सोचा, फिर कुछ सोच समझकर हां कर दिया.

अब अजय अंकल ने माँ को उसी पोजीशन में किया और अब अजय अंकल का लंड मां के मुंह में और मां की चूत अंकल के मुंह के पास थी. अजय ने माँ की चूत में उंगली डाली और उसमें जीभ डालकर कुत्तों की तरह उसको चूस रहे थे.

मां का मुंह जो था … वह दूसरी तरफ था और अंकल के पैरों से ढका हुआ था तो मैं देख नहीं पाया. लेकिन मैं यह देख रहा था जिस तल्लीनता के साथ अंकल मां की चूत को चाट रहे थे, उसी तल्लीनता के साथ में मां के मुंह को भी चोद रहे थे.

और 10 मिनट बाद अजय अंकल झड़ गए. मां भी साथ में ही झड़ गई.
माँ बोली- अरे, मैं तो सारा पानी आपका पी गई. यह तो इतना भी बुरा नहीं था जितना मैंने सोचा था.
अंकल- देखा, मैंने कहा था ना कि जिंदगी में सब कुछ पहली बार ही होता है. और सब का मजा लेना चाहिए.

वे दोनों लोग उठ कर बैठ गए.

तभी अंदर से मुझे कुछ खटपट की आवाज आई और वहां से फिर मेरा दोस्त विशु निकला। मेरे पैरों तले जमीन ही खिसक गई.
मैंने सोचा कि क्या मम्मी अब मेरे दोस्तों से भी चुदेंगी? वो भी एक साथ?

मेरे दोस्त के साथ जिसके साथ मैं इतना खेलता हूं कूदता हूं.

चलो गांव की बात तो और है, गांव में तो सब चलता रहता है. लेकिन शहर में जहां मुझे रहना है मैं वहां पर किसी को देख रहा हूं जो मेरे साथ रहता है, वही आदमी मेरी माँ की चुदाई करे! अजीब लगता है यह कितना अजीब लगता है.

विशु बोला- अंकल आपका हो गया क्या?
अंकल बोले- हां बेटा, मेरा हो गया. अब मेरे से नहीं हो पाएगा.
और अंकल जाकर सोफे पर बैठ गए. लेकिन वे मुझे दिख नहीं रहे थे क्योंकि सोफा दरवाजे के बिल्कुल इधर था.

और अब विशु की बारी थी. माँ ने उसको बोला- तुम मुझे बहुत अच्छा लगते हो, तेरे लिए मैं बहुत दिनों से इंतजार कर रही थी अब देख, हम तेरे घर में ही तेरे ही बिस्तर में सेक्स करेंगे।

विशु बोला- हां आंटी, मैंने आपके लिए ही अंकुर से दोस्ती की थी. और आज मेरा वह सपना पूरा होने जा रहा है जिसमें कि मैं आपकी चूत को चोद दूंगा.

और वे दोनों हंसने लगे.

मेरे दोस्त ने मेरी मां को बेड पर लिटाया.

विशु- ओफ्फो जानेमन, इस दिन का इंतजार तो मैं बहुत दिनों से कर रहा था, तुम्हारी याद में कई बार मैंने अपना हिलाया है और अपना माल गिराया है। अब जो तुम आ गई हो तो सारी फैंटेसी पूरी कर लूंगा। मां- इंतजार तो मैं भी कर रही थी तुम जैसे गबरु नौजवान के हाथों अपने बदन को रगड़ मारने का। मैं जानती हूं कि तुम जब मेरे घर पर आते थे तो मेरी चूची को देखते थे। विशु- जब मालूम था तो मुझे पहले ही इशारा क्यों नहीं किया, मैं उसी वक्त तुम्हें तुम्हारे बेटे के सामने ही चोद देता। चलो अब तुम मेरे साथ हो, अब कोई दिक्कत नहीं है। मां- अभी ज्यदा बातें मत बनाओ और चुपचाप मेरी बांहों में आओ, वैसे ही बहुत ज्यादा देर कर दी तुमने। मुझे लगा कि शहर के लड़के बहुत तेज होते हैं लेकिन तुम तो एकदम गोबर गणेश निकले। सब लोग हंस दिए. विशु ने धीरे-धीरे मां के पैरों को किस करना चालू किया और धीमे-धीमे ऊपर की तरफ बढ़ने लगा. मां के पैर के अंगूठे को चूसना शुरु करके वो अपना हाथ मां की जांघों पर फिराने लगा. मां अब धीरे-धीरे उत्तेजित होने लगी और विशु भी धीमे-धीमे ऊपर की तरफ बढ़ने लगा. अब विशु ने मेरी मां की जाँघों को चाटना शुरू किया. मेरी मां जो कि पूरी नंगी थी, वह अपने चूचियों को दबा रही थी.

तब विशु ऊपर उठा और मां को किस करने लगा. 15 मिनट तक दोनों ने एक दूसरे को किस किया. वो दोनों फ्रेंच किस कर रहे थे. कभी विशु की जीभ माँ के मुख के अन्दर तो कभी माँ की जीभ मेरे दोस्त के मुँह में! वे दोनों इतने गर्म हो चुके थे कि एक दूसरे के अंदर मानो खो गए थे. उसके बाद विशु ने अपने एक हाथ से मां के एक बूब्स को दबाना चालू किया और अपने मुंह के अंदर मां के दूसरे बूब को भर लिया. मां अब 'उह्ह्ह् अह्ह ह्ह्छ उफ्फ' की आवाजें निकाल रही थी और विशु मां के दूध चूस रहा था. अभी विशु ने मां के दोनों बूब्स के बीच में अपना लंड रख दिया और अपना लंड मां के बूब्स के बीच में लंड को घिसने लगा. वो इनको बहुत तेजी से आगे पीछे कर रहा था. माँ उसका लंड मुंह में लेने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसका लंड मां के मुंह तक नहीं पहुंच पा रहा था.

विशु मां के बूब्स पर थूक रहा था जिससे उसका लंड बड़े ही आराम से मां के बूब्स के बीच में से निकल रहा था. अभी विशु बूब्स से थोड़ा सा आगे बढ़ा और उसने मां के मुंह के पास लंड रख दिया. मां ने जैसे ही उसका लंड अपने मुंह के पास पाया तो झट से उसने मेरे दोस्त का लंड अपने मुंह में डाल लिया. अभी वो धीमे-धीमे अपनी कमर को आगे पीछे कर रहा था और अपना लंड मेरी मां के मुंह में डाल रहा था. माँ भी एकदम मजे से कभी इस गाल में तो कभी उस गाल में उसके लंड को महसूस कर रही थी. अब उसने मां के सर को पकड़ा और उसके मुंह के अंदर अपने लंड को बहुत तेजी से अंदर-बाहर करने लगा. विशु के लंड पर कोई भी बाल नहीं थे. थोड़ी देर बाद उसने अपना लंड बाहर निकाला जो पूरा मेरी मम्मी के थूक में सन गया था. उसने मेरे मां के मुंह पर लंड को किसी हथौड़े की तरह चार पांच बार मारा. अब मेरी मां अपनी जीभ से विशु के लंड के ऊपरी हिस्से को चाट रही थी. और एक बार फिर से विशु के लंड को मां ने अपने मुंह के अंदर भर लिया. यह करीब 5 मिनट तक चला उसके बाद विशु पीछे हट गया. अब वो मां की चूत के पास आया और मां की चूत में अपनी उंगलियाँ चलाने लगा. उसने अपनी दो उंगलियों से मां की चूत को फैलाया और अपनी एक उंगली उसमें डाल दी. विशु उंगली अंदर बाहर कर रहा था. मेरी चालू मां जो कि अभी अंकल का लंड लेकर आई थी, उसको यह उंगली भी काफी अच्छी लग रही थी. कुछ देर बाद उसने अपना मुंह मेरी मां की चूत पर लगा दिया और मां की चूत को चूसने लगा.

उसने अपनी जीभ मां की चूत के अंदर डाल दी थी और वह अपने एक हाथ से मां की चूत के दाने को मसल रहा था. मां सिसकारी की आवाज निकाल रही थी. साथ ही विशु अपने एक हाथ से मां के बूब्स को दबा रहा था. मां भी अपने पैरों से विशु को उनकी चूत की तरफ खींच रही थी. मेरे दोस्त ने अपनी उंगली भी मां की चूत के अंदर घुसा रकही थी और वो मेरी माँ की चूत भी चाट रहा था. अब तक मेरी चुदासी मां एक बार झड़ चुकी थी. मेरी माँ की चूत का रस विशु ने अपने मुंह में ही रखा और वापस मां को किस किया और सारा माल मां को पिला दिया. अब माँ और विशु एकदम गरम हो गए थे. मेरी मां ने मेरे दोस्त के लंड को पकड़ा और बोली- अब इस नाग को उसके बिल में डाल दो. विशु ने बोला- जैसी तेरी इच्छा ... चल अपनी चूत फैला अब! उसने अपने लंड पर कंडोम लगाया और मां की टांगों को फैला दिया.

 उसने अपना लंड मां की चूत के मुहाने पर रखा जो कि एकदम गरम हो गई थी और चूत चिपचिपी हो गई थी. लंड का टोपा बड़े आराम से मां की चूत के अंदर घुस गया. धीरे-धीरे विशु ने अपनी स्पीड बढ़ाई और मां की सिसकारियां भी बढ़ती गई। विशु अपनी कमर को अब थोड़ी तेज रफ्तार में चलाने लगा. विशु का लंड आधा मां के अंदर घुस चुका था और मां हर धक्के में थोड़ा सा ऊपर की ओर उठती थी. जो यह दर्शा रहा था कि मां की चूत अभी भी टाइट थी या यह भी दर्शा रहा था कि विशु का लंड बहुत बड़ा था. अब लास्ट धक्के में विशु ने अपना पूरा लंड मां की चूत के अंदर डाल दिया जिससे मेरी चुदक्कड़ मम्मी थोड़ा तड़प उठी. लेकिन विशु तो अपने ही मजे में था, उसने अपना पूरा लंड एक बार फिर से बाहर निकाला और एक झटके में फिर से अंदर डाला. मेरी चालू मां की चीख निकल गई और वह थोड़ा बेड की तरफ ऊपर की ओर उठ गई. यह प्रक्रिया विशु ने चार पांच बार करी और हर बार मां का रिएक्शन एक जैसा ही था. अब उसने मां को किस किया फिर से यह रिएक्शन करता रहा. थोड़ी देर के बाद मां सहज हो गई और अब विशु अपनी पूरी फुल फॉर्म के अंदर आ गया था. अब उसने मां के पैरों को दोनों हाथों से पकड़ा और अपनी कमर का पूरा जोर लगाते हुए मां की चूत को चोदना चालू किया.

 कामवासना से भरपूर मेरी मां बहुत जोर जोर से आवाजें निकाल रही थी लेकिन विशु के लंड की रफ्तार कम नहीं हुई. लंड जब चूत पर पड़ रहा था तो ऐसा लग रहा था मानो कोई मिसाइल आसमान से जमीन पर गिर रही हो. थप थप की आवाज से पूरा कमरा गूंज रहा था. विशु अभी भी एकदम बुलेट ट्रेन की रफ्तार से मेरी मां की चुदाई कर रहा था. और मेरी रंडी माँ अन्ह्ह उफ्फ अन्नह विशु और चोदो मुझे! की आवाज में निकालकर सुखद अनुभूति की प्राप्ति कर रही थी. उस मिशनरी पोजीशन में विशु ने मां को करीब 10 मिनट तक चोदा. तब उसने मां को घोड़ी बनने के लिए बोला और मेरी नंगी माँ मेरे दोस्त के सामने अपने चूतड़ उठा कर घोड़ी बन गई.

अब उसने मां के पीछे से उसकी चूत के छेद पर अपना लंड रखा और एक धक्के में अपना पूरा लंड मां की चूत के अंदर घुसा दिया. मेरी मां की थोड़ी सी चीख निकल गई. अब उसने मां के बालों को पकड़ा और अपनी ओर खींचा और अपने लंड को सटासट मां की चूत के अंदर घुसाता चला गया. मेरी मां 'आह हूह ...; की आवाज निकाल रही थी. मेरी अम्मा के बड़े बड़े बूब हिलने से ऐसा लग रहा था मानो किसी नारियल के पेड़ पर लटके नारीयल तेज हवा से झूल रहे हों. एकदम गजब का सीन था वह! मैं तो इतना गर्म हो गया था मैं कि मैंने एक बार मुट्ठ मार लिया. अभी विशु रुक गया और माँ खुद ही अपनी गांड को उठा उठा कर विशु के लंड पर लगा रही थी. कुछ देर बाद विशु खुद बेड पर लेट गया और मां उसकी ओर पीठ करके उसके लंड पर ऊपर नीचे हो रही थी. इस पोजीशन के अंदर तो विशु का पूरा का पूरा लंड ही मां की चूत में समा जा रहा था. मां बहुत धीमे-धीमे ऊपर नीचे हो रही थी. तब विशु ने मां की कमर को पकड़ा. वो बहुत तेजी से अपने लंड के ऊपर मां की गांड को पटकने लगा. कभी-कभी वह मां की गांड पर चाटे भी लगा रहा था जिससे मेरी मां की गांड एकदम लाल हो गई थी. अब उसने मां की गांड को थोड़ा हवा में रखा और अपना लंड मां की चूत के अंदर बहुत तेजी से ऊपर नीचे करने लगा.

 कुछ देर बाद मेरा दोस्त विशु मेरी माँ की चूत चुदाई करते करते बोला- आंटी, मैं झड़ने वाला हूं. तो मेरी माँ ने उसको बोला- ठीक है बाहर निकाल दो. मां लेट गई और विशु उसके पास गया और सारा माल उनके बूब्स पर झाड़ दिया. रात के करीब 1 बज गया था, इसलिए अब उन लोगों को वापस जाना था. लेकिन तभी अजय अंकल का फिर से मूड बन गया और वे बोले- एक राउंड और कर लेते हैं. मेरी माँ ने बोला- ओके! अजय अंकल ने फिर से मेरी नंगी माँ को गोद में उठाया और माँ की चूत में लंड डाल के मेरी माँ को धक्का मार कर चोदने लगे. थोड़ी देर बाद मेरे दोस्त विशु का लंड भी खड़ा हो गया और वो भी एक बार फिर से मेरी माँ को चोदने के लिए तैयार हो गया. अब अजय अंकल माँ को उसी पोजीशन में लेके सोफे में बैठ गए और विशु ने माँ के मुह में लंड दे दिया. थोड़ी देर बाद वे तीनों लोग झड़ गए. अब विशु अपना सर मेरी मां की गोद में रखकर बोला- आंटी, प्लीज आप ऐसे ही मेरे ऊपर अपना प्यार बरसाते रहना. मेरी मम्मी बोली- हां जरूर बेटे! तुम चिंता मत करो, मैं तुम्हारा पूरा ख्याल रखूंगी। काफी देर हो गयी थी और अब अंकल और मेरे दोस्त दोनों ने अपने कपड़े पहने और माँ भी अपने कपड़े पहन थोड़ी देर बाद नीचे आ गई। वो ऐसे बर्ताव कर रही थी मानो कुछ हुआ ही ना हो! लेकिन आप और मैं तो जानते हैं कि क्या हुआ था।
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