MrJazsohanisharma

भाभी की बड़ी बहन की चुदाई Bhabhi ki bahan

मेरे पड़ोस में एक बहुत ही अच्छा परिवार रहता है. मैं उसके सभी सदस्यों के बारे में आपको संक्षिप्त में बता देता हूं. उस परिवार में मेरे अंकल (56), आँटी (53), भैया (38), भाभी (35) और दीदी (28) हैं. उन्हीं दीदी की शादी 16 फरवरी 2019 को थी तो अंकल, आंटी और भैया ने मुझसे शादी के करीब 20 दिन पहले ही बोल दिया था कि विशु तू अपने ऑफिस से 1 तारीख से छुट्टी ले लेना क्योंकि तेरी दीदी की शादी 16 फरवरी 2019 की है.

दीदी मुझसे 2 साल बड़ी थी तो मैं उनको दीदी ही बुलाता था. पूरे परिवार में सभी लोग मुझे अपने बेटे जैसा मानते थे. आंटी, अंकल और भैया ने मुझे बड़े हक से कहा तो मैंने भी 1 फरवरी 2019 से अपना काम कम कर दिया और दीदी की शादी के कामों में अपना समय देने लगा.

जैसे जैसे शादी के दिन करीब आ रहे थे वैसे वैसे करीबी रिश्तेदारों का आना शुरू हो गया था. उन्हीं रिश्तेदारों में एक भाभी की बड़ी बहन थी जिनका नाम प्रेरणा (बदला हुआ) था. इनके बारे में मैं आपको थोड़ी सी जानकारी देना चाहूँगा.

प्रेरणा की लम्बाई करीब 5 फ़ीट 4 इंच थी. उसका रंग दूध जैसा गोरा था. बड़ी बड़ी कजरारी आँखें, सुराही की जैसी गर्दन, सपाट पेट और पतली कमर और घने काले बाल जो कमर तक थे. उसका 36-24-36 का कातिल फिगर ऐसा लगता था कि जैसे कि स्वर्ग से आई हुई कोई अप्सरा हो.

उसको देखकर कोई ये नहीं बता सकता था कि उनकी उम्र क्या होगी? मगर अभी तक उनको एक भी बच्चा नहीं था. ऐसा लगता था मानो उनकी अभी अभी शादी हुई हो. मैं आपको ये बताना तो भूल गया कि सिर्फ मेरी पड़ोसन भाभी को पता था कि मैं क्या काम करता हूं, बाकी सभी समझते थे कि मैं किसी ऑफिस में काम करता हूँ.

नजदीकी होने के कारण मेरा शादी के समय घर पर आना जाना था. हालांकि शादी मैरिज होम से होनी थी लेकिन करीबी रिश्तेदार होते हैं वो तो शादी से पहले घर ही आते हैं, तो मैंने भी पड़ोसन भाभी से प्रेरणा के बारे में पूछा कि ये लेडीज कौन हैं? (उस वक्त तक मुझे प्रेरणा के बारे में कुछ नहीं पता था)

भाभी ने बताया कि ये मेरी बड़ी बहन है. जब पता चला कि वो भाभी की बड़ी बहन है तो इस नाते मैं आते जाते उनसे मुँह से मजाक भी कर लेता था.

एक दिन 12 फरवरी को सभी लोग भात नौतने के लिए गए तो आंटी ने मुझे अलग से बुलाया कि हम लोग भात नौतने जा रहे हैं इसलिए तू अपनी दीदी का ख्याल रखना.

मैंने आंटी को कहा कि आप बेफिक्र होकर जाइये, मैं दीदी का अच्छे से ख्याल रखूँगा.

कुछ देर बाद सभी लोग चले गए. मैं और दीदी शतरंज खेलने लगे.

तभी कुछ देर बाद प्रेरणा भाभी को भैया वापस घर छोड़ने आ गये क्योंकि रास्ते में ही उनकी तबियत बिगड़ने लगी थी.

दीदी ने भैया से पूछा- क्या हुआ? आप दोनों कैसे लौट आये?
भैया ने बताया- अचानक इनकी तबियत बिगड़ गई है तो इनको वहाँ जाने की बजाय यहाँ घर छोड़ने आया हूँ.

फिर भैया मुझसे बोले- विशु जल्दी से जा और डॉक्टर अंकल को लेकर आ।!
उनके कहने पर मैं भी तुरन्त अपनी बाइक उठा कर डॉक्टर अंकल को लेने चला गया और उनको अपनी बाइक पर बैठा कर ले आया.

डॉक्टर अंकल ने उनको देखा और चेकअप करने के बाद बोले कि इनकी आंतों में थोड़े से अल्सर हैं, मुझे ऐसा डाउट है। इनको मेरे क्लीनिक पर लाना पड़ेगा.

इधर भैया को अंकल आंटी के पास वापस जाना था. फिर मैंने उनको बोल दिया- आप जाओ, प्रेरणा भाभी को मैं अपनी कार से क्लीनिक ले जाऊंगा.
भैया को थोड़ी तसल्ली हुई और वो वापस चले गये.

अपनी कार से मैं प्रेरणा भाभी को डॉक्टर के यहाँ ले गया और दीदी को फोन कर दिया कि वो अंदर से दरवाजा बंद करके रहे. मैं भाभी को क्लीनिक में ले गया. वहां पर डॉक्टर ने उनके सारे टेस्ट किये.

पूछने पर डॉक्टर ने कहा कि उनकी रिपोर्ट्स अगले दिन सुबह तक ही मिल पायेंगी. फिर मैंने डॉक्टर से पूछा कि क्या मैं भाभी को घर ले जा सकता हूं?
तो डॉक्टर ने कहा कि ले जाइये.

उसके बाद मैंने काउंटर पर फीस भरी और दवाईयां लेकर मैं वहां से भाभी को लेकर घर आ गया.

मैंने अपनी गोद में उठा कर भाभी को कार से उतारा और उनको अंदर ले जाकर लेटा दिया. उनको मेरा ये व्यवहार इतना अच्छा लगा कि उनके दिल में मेरे लिए एक जगह बन गयी. फिर मैंने भाभी को गर्म दूध करके दवाई दी.

अब तक शाम के सात बज चुके थे. उसके बाद मैंने दीदी और अपने लिये चाय बनाई और दोनों ने साथ में बैठ कर चाय पी. फिर हमने देखा कि प्रेरणा भाभी सो चुकी थी. हम दोनों घर में अकेले थे तो हम शादी के कार्ड पैक करने में लग गये.

हमने सारे कार्ड पैक कर ही लिये थे. मुश्किल से 4-5 कार्ड बचे थे और तब तक घर के बाकी लोग भी लौट आये थे. सभी लोग भाभी के पास गये और हम दोनों से कुछ नहीं पूछा. उनकी बातों का शोर सुनकर भाभी भी जाग गयी.

फिर भाभी कहने लगी कि विशु न होता तो मेरी जान ही निकल जाती. बहुत ही नेक लड़का है. यही मुझे कार से डॉक्टर के पास लेकर गया. मेरी पूरी देखभाल की इसने और दवाई भी दी.

ये सुनकर सभी लोग मुझसे बहुत खुश हो गये. सभी ने मुझे आशीर्वाद दिया और भैया ने मुझे गले से लगा लिया.

सबके साथ हँसते बोलते मैं वहीं सो गया. सुबह जब मैं उठा तो देखा कि सुबह के 4 बज रहे हैं तो मैंने भाभी को जगाया कि वो अपना दरवाजा बंद कर लें क्योंकि मैं अपने घर जा रहा हूँ.

हालांकि उस दिन संडे था और सभी के हिसाब से उस दिन मेरी छुट्टी थी.
भाभी पूछने लगी- विशु इतनी सुबह तू कहाँ जा रहा है?
मैंने भाभी को बताया- भाभी मैं इतने दिन से यहाँ ही हूँ तो घर भी गंदा पड़ा है, उसे साफ करना है. वैसे भी मैं कई दिन से अपने धंधे पर भी नहीं गया हूँ. अब आप ही बताओ कि मैं अगर काम नही करूँगा तो कैसे चलेगा? फिर वैसे भी आप ही कहती हो कि विशु तू इस काम के जरिये कम से कम उन फीमेल्स की दुआयें तो लेता है, बेशक तेरा काम थोड़ा गंदा है मगर ये तेरी रोजी है इसलिए सबसे पहले तू अपना काम ही कर!

भाभी ने फिर से पूछा- अच्छा ये बता कि तू कितने बजे तक फ्री होगा?
मैंने भाभी से कहा- मैं 11 बजे तक फ्री हो जाऊँगा, अगर आपको कोई काम हो तो बता दीजिए.
भाभी बोली- तू पहले फ्री होकर आ, फिर बताऊँगी.

मैं ओके बोल कर अपने घर आ गया. सबसे पहले मैंने अपनी क्लाइंट को ये बताने के लिए फोन किया कि अब मैं 17 फरवरी तक किसी को भी सर्विस नहीं दे पाऊँगा.
वो बोलने लगी- क्यों विशु, हम पर इतना बड़ा जुल्म क्यों कर रहे हो? यार रात भर मेरी चूत ये सोच सोच कर पानी छोड़ती रही कि कल सुबह मेरी चूत में विशु का लंड घुसेगा, अब तुम ये कह रहे हो कि तुम 17 फरवरी से पहले मेरी चूत नहीं मारोगे? तुम एक काम करो तुम अभी मेरे घर आ जाओ क्योंकि आज मैं बिल्कुल अकेली हूँ. आज तुम मुझसे जितने पैसे मेरी चुदाई के बदले माँगोगे मैं तुम्हें दूंगी मगर तुम आ जाओ.

मैंने कहा- चलो ठीक है, तुम इतना बोल रही हो तो आ जाता हूं.
मैंने कपड़े पहन कर अपनी बाइक उठाई और उसके घर चला गया. वो मेरा अपनी एक सहेली के साथ बड़ी ही बेसब्री से इंतजार कर रही थी. उसकी सहेली मुझे कुछ ज्यादा ही छोटी लगी.

उससे मैंने पूछ ही लिया- ये लड़की कौन है?
उसने बताया- ये लड़की एक तरह से मेरी सहेली ही है. बेशक इसकी उम्र कम है लेकिन मेरी और इसकी विचारधारा बहुत मिलती है इसलिए इसे मेरी सहेली ही मानो. इसने आज तक कभी सेक्स नहीं किया है इसलिए आपको इसकी चूत की सील भी तोड़नी है.

मैंने कहा- बस बस … मैं समझ गया.

फिर मैंने उन दोनों का काम किया और करीब 1 बजे फ्री होकर मैं अपने घर आ रहा था तो हमारे घर के पीछे एक बहुत बड़ा फील्ड है जिस में लड़के क्रिकेट खेल रहे थे. उन्होंने मुझे रोक लिया और बोले- यार विशु, हमारे साथ क्रिकेट खेल ले.

उनके आग्रह पर मेरा भी मन कर गया. बहुत दिनों से शादी के कामों में बिजी होने के चलते मैंने क्रिकेट नहीं खेला था. मैं एग्री हो गया और मैंने उनको बोला कि मैं बस घर अपनी बाइक खड़ी करके आता हूँ. फिर बाइक लगा कर मैं ग्राऊंड में आ गया.

कुछ देर बाद मुझे बहुत तेज पेशाब लगी तो मैं एक कोने में गया. मैंने दायें बायें देखा और अपनी पैंट की जिप खोल कर लंड बाहर निकाल कर पेशाब करने लगा. मैंने ऊपर वाली बिल्डिंग पर ध्यान नहीं दिया.

जब धार मारते हुए मैं यहां वहां देख रहा था तो मेरी नजर ऊपर गयी. सामने छत पर प्रेरणा भाभी कपड़े सुखा रही थी. मैंने थोड़ा साइड में कर लिया और मूतने लगा. मेरी गर्दन नीचे थी. फिर मैंने दोबारा चेक करने के लिए गर्दन उठायी तो पाया कि प्रेरणा भाभी मेरे लंड को देख रही थी.

मेरे देख लेने पर भी उन्होंने अपनी नजर नहीं हटाई और मेरे लंड से गिरती हुई मूत की धार की ओर आंखें जमाये रही. मुझे ही शर्म आने लगी. भाभी की जगह कोई अन्जान औरत होती तो मैं उसको लंड हिला कर भी दिखा देता लेकिन ये तो जैसे घर की बात थी.

उसके बाद मैं लड़कों के पास लौट गया. हमने खूब मजा लेकर क्रिकेट खेला और वो मैच भी जीता. मैं शाम को चार बजे तक अपने घर आया तो एक छोटा सा लड़का आया और बोला- अंकल, जिन दीदी की शादी है उन अंकल ने आपको बुलाया है.

मैं समझ गया कि दीदी के पिताजी को कुछ काम होगा. मैंने तुरन्त ही अपनी जीन्स उतारी और बरमूडा पहन लिया. दोस्तो, जैसा कि आप जानते ही हो कि मैं जीन्स, पैंट या बरमूडा के नीचे कुछ भी नहीं पहनता हूँ. नीचे से लंड नंगा ही रखता हूं.

फिर मैं दीदी के घर चला गया और मैंने आँटी, अंकल, भैया, भाभी और दीदी के पैर छुए और प्रेरणा भाभी से उनकी तबियत के बारे में पूछा कि आप अब कैसा फील कर रही हो?
उसके बाद अंकल से बुलाने का कारण पूछा.

तो अंकल ने कहा कि अंदर चलो.
अंदर जाकर अंकल कहने लगे- बेटा ये कार्ड बाँटने हैं. तुम एक काम करो, कल सुबह 6 बजे अपने भैया के साथ जाकर ये कार्ड बाँट देना.
मैंने कहा- जी अंकल. आप चिंता न करें. मैं सारे कार्ड कल बंटवा दूंगा. कल मैं भैया के साथ चला जाऊँगा.

उस समय प्रेरणा भाभी किचन से चाय बनाकर ले आई तो सबने चाय पी. उस दौरान किचन में होते हुए भी प्रेरणा भाभी की नज़र मेरे बरमूडा की उस जगह पर थी जहाँ लंड होता है.
जैसे ही मेरी नज़र प्रेरणा भाभी से मिली तभी उन्होंने अपनी एक आँख दबा दी.

मैं तो सोचता ही रह गया कि ये ख्वाब है या हकीकत! प्रेरणा भाभी मुझे चढ़े दिन लाइन दे रही थी. भाभी के बारे में सोच कर मेरा लंड भी खड़ा होने लग गया था. वहां ग्राउंड में प्ररेणा के द्वारा मेरा लंड ताड़ने का कारण अब मैं समझ गया था.

भाभी की नजर में मेरा लौड़ा चढ़ गया था. मैं तो सोच भी नहीं सकता था कि भाभी को मैं पसंद आ जाऊंगा. भाभी की जवानी के बारे में सोच कर मेरे मन में भी हिलौरियां उठने लगीं. वहीं बैठे बैठे मेरा लौड़ा तन कर एक ओर साइड में निकल आया.

अब मुझे परेशानी होने लगी कि अगर किसी की नजर मेरे तने हुए लंड पर चली गयी तो बड़ी शर्मिंदगी झेलनी पड़ेगी. भाभी की गांड देख कर बार बार लंड उछाले लेने लगा था. सुबह ही दो चूत भी चोद कर आया था इसलिए सेक्सी ख्याल मन में आ रहे थे.

वहां अंकल के साथ बैठे रहना मुझे मुश्किल हो रहा था. मैंने जल्दी से अपनी चाय खत्म की और उठ कर जाने लगा तो अंकल ने रोक लिया. मैंने मुश्किल से बरमूडा की जेब में हाथ डाल कर उसको लंड वाली जगह से ऊपर उठाया ताकि मेरा तना हुआ लंड किसी को महसूस न हो.

मैंने कहा- अंकल मुझे घर में कुछ काम है. मैं बाद में आऊंगा. आप कार्ड के बारे में बिल्कुल भी चिंता न करें. मैं सुबह भैया के साथ जाकर सारे कार्ड बंटवा दूंगा.
अंकल बोले- ठीक है बेटा.

उसके बाद मैं जल्दी से उठ कर वहां से निकल आया. भाभी के बारे में सोच सोच कर चुदाई के ख्याल आ रहे थे. भाभी तो साफ साफ लाइन दे रही थी. अब लंड को किसी तरह नीचे बैठाना था जिसका फिलहाल एक ही उपाय था.

दोस्तो, आप तो जानते ही हो कि अगर लंड खड़ा हो जाये तो बिना चूत या गांड में घुसे बैठता नहीं है और इस समय मेरे पास चूत का इंतज़ाम नहीं था. जल्दी से मैं घर गया और अपने सभी कपड़े उतार कर बिल्कुल नंगा हो गया.

नंगा होकर मैं बाथरूम में घुस गया और तेजी से लंड की मुट्ठ मारने लगा. भाभी का गोरा बदन और उठी हुई मोटी गांड मेरी उत्तेजना को और ज्यादा उबाल रही थी. मैंने ख्यालों में ही प्रेरणा भाभी को नंगी कर लिया और उनके चूचे पीने लगा.

मेरा हाथ तेजी से मेरे लंड पर चल रहा था. दोस्तो, मेरे बाथरूम का दरवाजा निकल गया था जिसको मैंने फिर बिल्कुल हटा कर ऊपर छत पर रख दिया था. कई दिनों से सोच रहा था कि शादी से फुरसत मिलते ही दरवाजा लगवा लूंगा लेकिन समय नहीं मिल पा रहा था.

मैं नंगा बाथरूम में खड़ा हुआ अपने लंड को हाथ से पेल रहा था और तभी अचानक मेरी पड़ोसन भाभी घर में आ गयी. मैंने शायद जल्दबाजी में मेन गेट भी लॉक नहीं किया था. भाभी से मेरी पुरानी बोलचाल थी इसलिए वो बिना खटखटाए ही आ जाया करती थी.

भाभी सीधी अंदर आ गयी और उसने मुझे मुठ मारते हुए देख लिया.
मुझे इस हालत में देख कर भाभी मुस्कराई और फिर बोली- पगले, क्यूं अपना बीज बर्बाद कर रहा है. इससे तो अच्छा होता कि तू अपने बीज को किसी लड़की की चूत में ही डाल देता.

मैंने अपने लंड को हाथों के नीचे छुपा लिया. भाभी हंसने लगी.
वो बोली- मैंने देख लिया है. अब छुपाने का फायदा नहीं है. तेरा तो बहुत मोटा और लम्बा है रे … कैसे संभालता है तू इतने बड़े लंड को? और तुझे अगर ये सब करना ही था तो कम से कम कपड़े पहन कर ही कर लेता. ऐसे बिना दरवाजा लॉक किये कौन करता है?
‘अब ये बता कि तुझे ये सब करने की क्या जरूरत आन पड़ी? तू तो इतनी सारी औरतों के पास जाता रहता है.’

मैंने कहा- कुछ नहीं भाभी, ऐसे ही मन कर गया.
वो बोली- नहीं, तू कुछ छुपा रहा है. रोज चूत चोदने वाला बंदा ऐसे मुठ मार रहा है, मुझे यकीन नहीं हो रहा है. तुझे मेरी कसम है, बता क्या बात है?

दरअसल भाभी ने मेरा चेहरा पढ़ लिया था और वो जान गयी थी कि मैं झूठ बोल रहा हूं.
फिर मुझे बताना पड़ा और मैं बोला- भाभी, अभी जब मैं अंकल जी के साथ चाय पी रहा था तो प्रेरणा भाभी ने अपनी चूची दबाते हुए मुझे आँख मारी और उस जगह पर खुजलाने लगी जिस जगह पर चूत होती है. ये सब देखकर ही मेरा लंड खड़ा हो गया. मुझसे रुका न गया और मैं यहां आकर इस तरह से मुठ मारते हुए अपने लंड को शांत करने लगा. मगर गेट लॉक करना भूल गया. फिर बीच में ही आप आ गयीं और मेरा सारा मजा खराब हो गया.

ये जानकर भाभी ने मुझे फिर प्रेरणा भाभी की पूरी स्टोरी बताई और बोली- मैं समझ गयी कि ये सब क्यों हुआ। दरअसल प्रेरणा का पति एक नपुंसक इंसान है और उसका लंड खड़ा नहीं होता है. करीब 8 महीने पहले उसके पति का एक एक्सीडेंट में एक पोता (गोलियाँ) डैमेज हो गई थी और अंदर ही अंदर सेप्टिक फैलने की वजह से एक पोते को निकालने की नौबत आ गयी. इस वजह से उसमें नपुंसकता आ गई और उसका लंड खड़ा नहीं हो पाता उसके बाद. शायद इसीलिए अब प्रेरणा तेरे साथ इंटरेस्टेड हो रही होगी. खैर, मैंने आकर तेरा मजा खराब किया है तो मैं ही तेरा मजा अब पूरा भी करूंगी.

कहते हुए भाभी मेन गेट लॉक कर आई और आकर मेरे पीछे खड़ी होकर उन्होंने मेरा लंड को अपनी मुट्ठी में भर लिया. लंड को हाथ में भर कर वो उसे आगे पीछे हिलाने लगी. हिलाते हिलाते करीब उनको 20 मिनट हो गए तो उनका हाथ दर्द करने लगा.

वो बोली- विशु तेरे लंड से बीज कितनी देर में निकलता है रे? मेरा तो हाथ थक गया और इसे कितनी देर तक हिलाना पड़ेगा?
मैंने भाभी को बताया- अभी तो कुछ नहीं, कम से कम डबल टाइम तो मान ही लो.
तभी भाभी मेरे सामने आ गई और बोली- विशु, क्या मैं तेरा लंड चूस सकती हूँ?

ये बोल कर वो घुटनों के बल बैठ गई और पलक झपकते ही उन्होंने मेरे लंड को अपने मुँह में भर लिया और लॉलीपॉप के जैसे चूसने लगी. इधर भाभी के चूसने से मेरा लंड लोहे की गर्म रॉड के जैसा सख्त हो गया. तभी कुछ देर बाद मुझसे रहा नहीं गया और मैं भाभी के मुँह को चूत समझ कर धक्के लगाने लगा.

जल्दी ही मैं उत्तेजना के शिखर पर पहुंच गया और तेजी से भाभी के मुंह में चोदने लगा. मेरा वीर्यपात करीब ही था और तभी कुछ देर बाद मेरे लंड ने कई जबरदस्त पिचकारियाँ छोड़ीं जो भाभी के हलक में जाकर गिरीं.

उसके बाद मुझे अहसास हुआ कि मैं चूत नहीं बल्कि मैं अपनी ही भाभी का मुँह चोद रहा था. भाभी भी मस्ती में इतनी सराबोर हो गई कि वो मेरा सारा बीज पी गई और चाट चाट कर ही मेरा लंड साफ किया.

पूरा लंड साफ करने के बाद भाभी ने कहा- विशु, मैं तुझे ये बताने आई थी कि प्रेरणा दीदी तुझसे चुदना चाहती है क्योंकि उनको तेरा लंड बहुत पसन्द आ गया है. आज उसने तेरा लंड क्रिकेट ग्राऊंड में देख लिया था. तुझे पेशाब करते हुए। उस समय मैं भी वहीं छत पर ही थी और प्रेरणा की हरकत देख कर फिर मैंने भी तेरा लंड देख लिया था. अब प्रेरणा तुझसे चुद कर ही रहेगी. बस यही बोलने आई थी कि तू मौका देख कर प्रेरणा की चूत को लंड का सुख दे दे. पति के नाकारा होने के बाद से उसने सेक्स नहीं किया है. उसको ये मत बताना कि मैंने तुझे ऐसा करने के लिए बोला है.

इतना बोल कर मेरी पड़ोसन भाभी वहां से चली गयी.

मैं तो पहले से ही प्ररेणा की चुदाई के लिए सपने देख रहा था. अब तो खुद उसकी छोटी बहन ने मुझे उसकी चूत मारने के लिए कह दिया था. इसलिए मैं अब प्ररेणा को चोदने की प्लानिंग करने लगा.

मैंने अपने दिमाग को करीब 10 मिनट तक दौड़ाया लेकिन कोई तरीका ऐसा नहीं मिल रहा था जिससे प्रेरणा भाभी मुझसे अकेली कम से कम 2 घंटे के लिए मिल सके. उनके साथ हर समय कोई न कोई लेडी होती थी और वो भाभी की बड़ी बहन थी तो उनके लिए काम भी आँटी जी ने जिम्मेदारी वाला दिया था.

अब मैं इसी उधेड़बुन में लगा हुआ था कि तभी मेरे मोबाइल पर भैया की कॉल आ गई.
मैंने कॉल अटेंड की तो भैया ने पूछा- विशु तू अभी कहाँ है?
मैंने कहा- भैया मैं अपने घर पर हूँ.

भैया ने मुझे अपने पास आने के लिए कहा. मैं उनके पास अपने घर को इस तरह से लॉक करके गया कि लगे जैसे अंदर से लॉक हो. लॉक करके मैं चला गया. उनके घर पहुंचा तो प्रेरणा भाभी भी वहीं बैठी हुई थी.

घर जाकर भैया से मैंने पूछा- जी भैया, बताइये क्या काम है?
भैया बोले- विशु, जब तक शादी नहीं हो जाती, तू यहीं रहेगा. कल सुबह जल्दी उठकर तुझे मेरे साथ कार्ड बाँटने चलना है इसलिए तू बेशक अभी सोजा लेकिन सुबह 5 बजे तैयार हो जाना.

जो मैं खुद चाहता था वो भैया ने ही कह दिया. भैया ने मेरे मन की बात कह दी थी. मैं भी इस घर में ज्यादा से ज्यादा वक्त रहना चाहता था ताकि प्रेरणा की चूत चोदने का मौका मिले.

अपनी खुशी मैंने अपने चेहरे पर नहीं आने दी क्योंकि इंसान का चेहरा सबसे बड़ा आईना होता है.
फिर दीदी ने मेरा बिस्तर टॉप फ्लोर वाले रूम में लगा दिया. प्रेरणा भाभी मेरे भैया-भाभी के कमरे, जो दूसरे फ्लोर पर था, में सोती थी. दीदी आँटी जी के साथ सोती थी. बाकी सभी रिश्तेदार और भैया मेन हॉल में सोते थे.

तभी भाभी सभी के लिए दूध बनाकर लाई तो मैंने दूध पीया और सोने के लिए चला गया लेकिन मेरी आँखों से नींद कोसों दूर थी क्योंकि मेरे दिमाग में बस एक ही बात थी कि प्रेरणा भाभी की चुदाई का प्लान कामयाब कैसे हो!

बाकी के लोग अपनी अपनी जिम्मेदारियों में लग गए और करीब 12 बजे तक सभी सो गए. शादी के काम की भागदौड़ से सभी लोग गहरी नींद में सो गए थे. सभी के सोने के बाद प्रेरणा भाभी उठकर चुपके से उस कमरे में आई जहाँ मैं सोया हुआ था.

वो कमरे में आकर मेरे बिस्तर पर किनारे की तरफ बैठ गई और 5 से 6 मिनट तक उन्होंने इधर से उधर देखा और सुनिश्चित करके कि कोई नहीं आयेगा फिर उन्होंने मेरी रजाई में हाथ डाल दिया. उस वक्त मैं जगा हुआ था और केवल सोने का नाटक कर रहा था.

मैंने उनको महसूस नहीं होने दिया कि मैं जाग रहा हूँ इसलिए ऐसे ही आँख बंद किये हुए मैं पड़ा रहा और उनकी इस हरकत से मेरा लंड लोहे की गर्म रॉड के जैसे तन गया. लौड़े ने मेरे पजामे को टैंट के जैसा बना दिया था.

कुछ पल बाद प्रेरणा भाभी का हाथ पजामे के ऊपर लंड वाली जगह पर आ गया. जब उन्होंने टटोल कर देखा तो धीरे से मेरे पजामे में हाथ डालकर हल्के हाथ से मेरा लंड सहलाने लगी. तभी मैंने उनका हाथ पजामे के ऊपर से पकड़ लिया.

वो इतना डर गई मानो उनको काटो तो खून न हो. मैं उठा और मैंने भाभी से कहा कि भाभी ये आप क्या कर रही हो?
तो प्रेरणा भाभी ने बेशर्म बनते हुए कहा- विशु, मैं बहुत दिनों से प्यासी हूँ, प्लीज अभी कुछ मत बोलो और जल्दी से मेरी प्यास बुझा दो.

मैं तो प्रेरणा भाभी को वैसे भी चोदना चाहता था तो मैंने भी कुछ भी बोलना उचित नहीं समझा और अपने दोनों हाथों से उनका मुँह पकड़ा और उनके गुलाब की पंखुड़ियों जैसे पतले होंठों पर अपने होंठ रख दिये.

वो भी मेरा साथ देने लगी. हमने एक दूसरे को खूब चूसा. मेरी जीभ चूसते हुए भाभी ने मेरी शर्ट उतार दी. उसके बाद मेरी बनियान भी उतार दी और मुझे ऊपर से बिल्कुल नंगा कर दिया. उसके बाद वो मेरी छाती के निप्पलों को चूसने लगी जो मेरे 8 साल के जिगोलो के कॅरियर में किसी फीमेल ने मेरे साथ पहली बार किया था.

भाभी का मुलायम गुलाब की पंखुड़ी जैसे नाजुक होंठों से मेरे निप्पल को किस करना मुझे बहुत अच्छा लगा. तभी मैंने उनको अपनी ओर खींचा और उनके कान के पीछे अपनी जीभ से चाटने लगा. वो इस हरकत से एकदम से सिसियाने लगी और उत्तेजना में उन्होंने मेरे दोनों हाथों को अपने बूब्स पर रख लिया.

मुझे अहसास हुआ कि उन्होंने अपने ब्लाउज के अन्दर ब्रा नहीं पहनी थी. मैं भाभी के बूब्स ब्लाउज के ऊपर से दबाने लगा. कुछ देर बाद उसने मेरा पजामा भी खिसका कर मुझे बिल्कुल नंगा कर दिया और मेरे पाजामे को दूर कोने में फेंक दिया.

मैं भी पीछे नहीं रहा. मैंने भी भाभी की सबसे पहले साड़ी उतारी फिर ब्लाउज. ब्लाउज के अन्दर उन्होंने ब्रा नहीं पहनी थी तो वो ऊपर से बिल्कुल नंगी हो गई. जैसे ही मैंने उनका ब्लाउज उतारा तो मैं एकदम से दंग रह गया.

भाभी के तने हुए एकदम गोरे-गोरे, गोल-गोल और बड़े बड़े चूचे, जो किसी स्वस्थ कुँवारी लड़की की सील टूटने से पहले होते हैं, मेरी आंखों के सामने थे. उन पर चिरोंजी के साइज के निप्पल उनको और ज्यादा आकर्षक बना रहे थे.

मुझे डाउट हो गया कि यार ये शादीशुदा है भी या नहीं? बूब्स देख कर तो यही लग रहा था कि अभी तक कुँवारी है ना कि शादीशुदा? खैर, मैं उनके बूब्स पर एक भूखे भेड़िये के जैसे टूट पड़ा और एक बोबे को मुँह में लेकर चूसने लगा और दूसरे को दूसरे हाथ से दबाने लगा.

हालांकि उनके बूब्स में दूध नहीं था मगर फिर भी मीठा सा फील हो रहा था. इधर प्रेरणा भाभी को भी अपने बूब्स चुसवाने और दबवाने में बहुत मजा आ रहा था. बूब्स चूसने और दबाने के बाद मैं उनके पेट पर आ गया.

पेट पर चूमने के बाद मैंने उनकी नाभि में जीभ डालकर जैसे ही चाटा तो वो बिस्तर से एकदम झटके से उठ गई और हाँफने लगी. मैंने समझा कि शायद उनकी फिर से कहीं तबियत तो खराब तो नहीं हो गई?

इधर प्रेरणा भाभी के मेरे पास आने की वजह से मेरी पड़ोसन भाभी नीचे अकेली रह गई तो भाभी भी समझ गई होगी कि बड़ी दीदी जरूर विशु के साथ चुद रही होगी. इसी बात को कन्फर्म करने के लिए वो दबे पाँव ऊपर आ गयी.

वो कमरे के बाहर खड़ी होकर कमरे के अंदर देखने लगी. तभी मैंने प्रेरणा भाभी के पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया जिससे उनका पेटीकोट खुलकर नीचे गिर गया. अब वो सिर्फ ब्लैक पैंटी में रह गई और मैंने पैंटी के ऊपर से ही उनकी चूत को अपने एक हाथ की उंगली से टटोल कर देखा.

चूत की जगह पर पैंटी पूरी गीली थी. तभी पता नहीं उनको एकदम क्या सूझा कि उन्होंने अपने हाथ से अपनी पैंटी उतार दी और मुझे उल्टा अपने ऊपर लेटने को कहा. मैं उनके ऊपर 69 पोजीशन में लेट गया तो उनके मुँह के पास मेरा लंड और मेरे मुँह के पास उनकी चूत आ गयी.

उन्होंने अगले ही पल अपने हाथ से मेरा लंड पकड़ा और उसे अपने मुँह में ले लिया और लॉलीपॉप के जैसे चूसने लगी. मैंने भी उनकी चूत पर अपनी जीभ लगा दी और जैसे ही उनकी चूत पर अपनी जीभ लगाई तो उसको ऐसा झटका लगा जैसे कि 1000 वॉट का करंट लगा हो.

मैंने उनकी चूत को चाटना शुरू कर दिया. भाभी सिसकारते हुए मेरा लंड चूसने लगी. भाभी ने जी भर के मेरे लंड को चूसा. तभी करीब 10 मिनट बाद उसका शरीर ऐंठने लगा और उनकी चूत ने गाढ़ा सफेद पानी पिचकारी के रूप में फेंक दिया.

भाभी की चूत के रस से मेरा मुँह पूरा भीग गया लेकिन मैंने उनकी चूत को चाटना नहीं छोड़ा और चाटता रहा. तभी कुछ देर बाद उसने अपने मुँह से मेरा लंड निकाल दिया.

मेरे लंड को सहलाते हुए भाभी सिसकार कर बोली- उफ्फ … विशु, अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है, अब अपना लंड मेरी चूत में डाल दे और मेरी चूत को ठंडा कर दे. ये तुम्हारे लंड के लिए बहुत तड़पी है, आज इसकी सारी प्यास बुझा दे.

मैं उनके ऊपर से हट गया और फिर उनकी टाँगों के बीच आ गया. उनकी चूत पर अपना लंड सेट करके मैंने थोड़ा जोर का धक्का पूरी ताकत के साथ लगा दिया जिससे मेरा लंड एक ही धक्के में पूरा प्रेरणा भाभी की चूत में घुस गया.

लंड चूत में घुसते ही भाभी की एक जोरदार चीख निकल गई तो मैं थोड़ा रुक गया.
वो कराहते हुए बोली- थोड़ा आराम से कर, मैं थोड़े ही न कहीं भागी जा रही हूँ? तेरे मोटे मूसल लंड से मुझे बहुत दर्द हो रहा है.

मैं 2 मिनट के लिए रुक गया और उसके बाद धीरे धीरे धक्के लगाने लगा. कुछ देर बाद प्रेरणा भाभी का दर्द का मजे में बदलने लगा तो वो भी अपनी कमर हिलाकर मेरे साथ कदमताल मिलाने लगी. धीरे धीरे मैंने भी अपनी स्पीड भी बढ़ा दी.

इधर मेरी पड़ोसन भाभी भी गेट पर खड़ी होकर हम दोनों की चुदाई का लाइव नजारा देख रही थी. फिर वो भी चुपके से रूम के अंदर आ गई और वो हमारी चुदाई कमरे के अंदर से देखने लगी.

अचानक से मेरे पोतों (लंड के नीचे लटकती दो गोलियाँ) पर 2 नर्म सी उँगलियाँ रेंगी तो मैंने देखा कि प्रेरणा की छोटी बहन (मेरी भाभी) मेरे पोतों को सहला रही थी जो प्रेरणा भाभी की गांड पर टकरा रहे थे.

मैंने भाभी से बोला- अरे भाभी! आप कब आईं?

मेरी भाभी को देख कर उनकी बड़ी बहन प्रेरणा एकदम शर्म से पानी पानी हो गई और उठने की नाकाम कोशिश करने लगी.
भाभी ने कहा- नहीं दीदी, उठो मत, आप आराम से अपनी चूत विशु से चुदवाओ.

फिर वो भाभी भी एक हाथ से अपने बूब्स दबाने लगी और उनका एक हाथ साड़ी के ऊपर से ही उनकी चूत को सहला रहा था. इधर मेरे नीचे प्रेरणा भाभी थी और पीछे की ओर अपनी चूत में उँगली करती पड़ोसन भाभी को देख कर मेरा जोश बढ़ गया.

मैं तेजी से प्रेरणा को चोदने लगा. प्रेरणा भाभी को काफी देर तक मैंने चोदा. उस दौरान प्रेरणा भी झड़ गई. जब मेरा बीज निकलने को हुआ तो मैंने उससे पूछा कि कहां निकालूं तो वो कहने लगी कि मेरी चूत में ही निकाल दे.

कुछ धक्कों के बाद मैं प्रेरणा भाभी की चूत में ही झड़ गया. उसके बाद मैं उनके ऊपर ही गिर गया और जोर जोर से हाँफने लगा. मैं तब तक प्रेरणा भाभी के ऊपर पड़ा रहा जब तक मेरे लंड से मेरे बीज की एक एक बूँद नहीं निचुड़ गई.

प्रेरणा भाभी की चूत मेरे बीज से पूरी भर गई. इधर मेरी और प्रेरणा की चुदाई देखकर उत्तेजित हुई भाभी ने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए और एक दम से नंगी हो गई और उन्होंने आव देखा न ताव और प्रेरणा की चूत से मेरा लंड निकाल कर मुंह में लेकर चूसने लगी.

थोड़ी देर बाद मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया तो मैंने अपनी पड़ोसन भाभी को भी प्रेरणा की तरह ही चोदा. अपनी बड़ी दीदी के सामने उस दिन मेरी पड़ोसन भाभी भी चुद गयी. मैंने दोनों बहनों की चूत चुदाई करके उन दोनों को खुश कर दिया.
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