MrJazsohanisharma

भाभी का सेक्स करने का मन था Bhabhi Ka Sex Karne Ka Mann Tha

ये बात पिछले साल 2018 की है. मेरे दोस्त का नाम कपिल है (बदला हुआ) कपिल की बीवी मनीषा (बदला हुआ नाम) है.

हुआ ये कि मनीषा भाभी की तबियत खराब हो गयी थी.
डाक्टर ने बोला कि मनीषा को हॉस्पिटल में एडमिट करना पड़ेगा, क्योंकि टाइफाईड ने मरीज को कुछ ज्यादा ही बीमार कर दिया है.

कपिल ने डॉक्टर की सलाह मानते हुए मनीषा भाभी को गुड़गांव के ही एक हस्पताल में एडमिट करवा दिया.

मनीषा भाभी व कपिल का मेरे परिवार के साथ आना जाना है. मैंने कभी भी मनीषा भाभी को गलत नजरों से नहीं देखा था क्योंकि कपिल मेरा सबसे अच्छा दोस्त था.
परन्तु मुझे ये पता था कि मनीषा भाभी थोड़ा तेज आइटम हैं. क्योंकि भाभी की नजरों को मैंने कई बार नोट किया था.
वैसे भी भाभी काफी सेक्सी लगती थीं. भाभी की आंखें किसी को भी दीवाना बना सकती थीं.

कपिल की और उसकी बीवी की ज्यादा बनती नहीं थी. मनीषा भाभी बहुत ही ज्यादा सुंदर थीं. उनको देखकर किसी का भी लंड खड़ा हो सकता था. हर कोई मनीषा भाभी की चूत का रस चखना चाहेगा. मन में तो मेरे भी, बहुत बार आया कि कोशिश करूं, लेकिन कपिल से पक्की दोस्ती होने के कारण मैंने कभी ऐसा नहीं कर पाया.

खैर मैं और मेरी बीवी उसको देखने हॉस्पिटल गए. अब भाभी पहले से ठीक थीं.

जब हम वहां बैठे बात कर रहे थे, तो कपिल कुछ परेशान सा लगा.
मैंने पूछा कि क्या बात है?
उसने बताया कि दो दिनों से उसका भाई भी हॉस्पिटल में एडमिट है क्योंकि उसका रोड एक्सीडेंट हो गया है.

अब कपिल परेशान था कि उसे उसको देखने भी जाना था जो कि गुड़गांव से 200 किलोमीटर से ज्यादा दूर था.
कपिल बोला- मुझे जाना पड़ेगा, लेकिन मनीषा अकेले कैसे रहेगी.

जब मजबूरी हो गयी, तो मेरी बीवी बोली- भैया आप घर चले जाओ … यहां तुम्हारे भैया रुक जाएंगे.

कपिल ने कुछ सोचते हुए रजामंदी दे दी.

मैं कपिल को लेकर उसके घर गया और वहां से निकल कर वो राजीव चौक जाकर मेट्रो में बैठ गया. उधर से उसे नई दिल्ली स्टेशन जाना था, जिधर से वो अपने घर के लिए ट्रेन पकड़ लेता.

कपिल को छोड़कर मैं सीधा अस्पताल आ गया और वहां से अपनी बीवी को छोड़ने घर आ गया. घर से खाना खाकर मैं वापिस अस्पताल आ गया. चूंकि सर्दी का मौसम था, तो मैं घर से एक कम्बल लेकर आ गया था.

मैं हस्पताल में बैठ कर भाभी के साथ बातें करने लगा. मनीषा भाभी कुछ इस तरह से लेटी हुई थीं कि उनके चूचे मुझे दिखाई देने लगे.
मेरी निगाहें भाभी के मम्मों पर टिक गईं.
भाभी के चूचे एकदम गोरे थे. मैंने एक छिपी नजरों से भाभी के चूचे देखकर अपनी नजरें इधर उधर कर लीं.

लेकिन भाभी ने अपनी चूचियों नहीं ढका. मेरी नजरें बार बार वहीं जा रही थीं. शायद भाभी ने मेरी नजरें देख ली थीं … मगर उन्होंने ये सब अनदेखा कर दिया.

कुछ देर बाद मैं अटेंडेट वाली सीट पर कम्बल ओढ़ कर बैठ गया और हम दोनों बातें करने लगे. पहले तो हम इधर उधर की बातें करने में लगे थे.

फिर मैंने पूछ ही लिया कि भाभी आपकी और कपिल की बनती क्यों नहीं है!
भाभी बोलने लगीं- वो मेरा ध्यान नहीं रखता है.
मैंने कहा- नहीं … भाभी मुझे तो ऐसा नहीं लगता कि वो आपका ध्यान नहीं रखता है.

हम लोग अभी यही सब बातें कर ही रहे थे कि तभी रूम में सिस्टर आ गयी और उसने कहा कि अब रात को आप आराम करो … कोई दवाई देनी बाकी नहीं है. लेकिन आपको अगर किसी बात की जरूरत हो, तो घंटी बजा देना, मैं आ जाऊंगी.

ये कह कर नर्स कमरे से चली गयी.

मैंने फिर से अपनी बात शुरू की और भाभी से पूछा कि बताओ कि वो आपका क्या ध्यान नहीं रखता?

भाभी बोलीं- आप अपनी बीवी का जितना ध्यान रखते हो, वो इतना भी नहीं रखता है.
मैंने कहा- नहीं भाभी, कपिल आपका बहुत ध्यान रखता है.

इसी तरह हम दोनों घर परिवार की बातें करने लगे.

लगभग 10 मिनट के बाद मनीषा भाभी बोलीं- मेरे सर में दर्द हो रहा है.
मैंने कहा कि मैं सिस्टर को बुला लाता हूँ … वो कोई टेबलेट दे देगी.
भाभी बोलीं- अभी नहीं … थोड़ी देर देखती हूँ.
मैंने पूछा कि मैं आपके लिए चाय ले आता हूं.
वो बोलीं कि तुमको भी चाय पीनी है क्या?
मैंने भी हां कर दी, तो वे बोलीं कि एक ही लाना … उसी में से मैं भी थोड़ी सी पी लूंगी. वैसे मेरा मन कॉफ़ी पीने का था, अब वो इधर मिलेगी नहीं.

मैं चाय लेने ऊपर कैंटीन में चला गया. उधर संयोग से कॉफ़ी भी मिल रही थी, तो मैं एक अच्छी सी काफी बनवा कर ले आया.

मैं भाभी से बोला- चाय की जगह कॉफ़ी मिल रही थी, मैं कॉफ़ी ही ले आया हूँ, लो पहले आप पी लो.
उन्होंने बोला- नहीं पहले आप पी लो, मेरे लिए थोड़ी सी बचा देना.
मैंने कहा- ठीक है मैं थोड़ी कॉफ़ी दूसरे कप में आपको दे देता हूँ.
भाभी बोलीं- नहीं … आप पी लो, मैं आपके बाद इसी कप से ले लूंगी.

ये सुनकर मुझे थोड़ा अजीब सा लगा कि भाभी इसी कप में क्यों पियेंगी. खैर … मैंने थोड़ी कॉफ़ी पी और कप उनको दे दिया.

भाभी ने कॉफी पी ली.

अब मैंने पूछा- भाभी आपने मेरी झूठी कॉफी क्यों पी?
भाभी बोलीं- झूठा पीने से प्यार बढ़ता है.

ये सुनकर मुझे आश्चर्य सा हुआ कि भाभी ने ऐसा क्यों बोला. अब मुझे थोड़ी उत्सुकता होने लगी. क्या भाभी का सेक्स करने का दिल कर रहा है?

मैंने पूछा- अब सर का दर्द कैसा है आपका?
भाभी बोलीं कि अभी हो रहा है.

मैंने बाहर जाकर सिस्टर को बोला, तो उसने एक टेबलेट दे दी.

गोली लेने के बाद भाभी बोलीं- आप मेरा एक काम करोगे?
मैंने बोला- हां बताइये न भाभी … क्या काम है?
भाभी बोलीं कि क्या आप मेरा सर दबा दोगे?

मैं थोड़ा सोचने लगा. तभी अचानक से भाभी ने हल्के स्वर में कुछ बोला.

मैं समझ नहीं सका कि भाभी ने क्या कहा, तो मैंने पूछा कि आपने क्या कहा भाभी … मैं सुन नहीं पाया?
भाभी बोलीं- क्या आप जैसे भाभी का सर दबाते हो, वैसे ही मेरा भी दबा दोगे.

दोस्तो, जब कभी मेरी वाइफ की तबियत खराब हो जाती है तो मैं इसमें शर्म नहीं करता.

मैंने पूछा कि भाभी आपको कैसे पता है?
भाभी बोलीं- मुझे भाभी ने सब कुछ बता रखा है.
मैंने कहा- ठीक है.

बस मैं उनके सर के पास जाकर खड़ा हो गया. जैसे ही मैंने सर पर हाथ रखा … मेरा लंड खड़ा हो गया.
आप लोग जानते ही हो कि जैसे ही कोई दूसरी लड़की या कोई भी दूसरी औरत का हाथ भी लग जाए … तो लंड महाराज एकदम खड़े हो जाते हैं.

भाभी का सर दबाते समय मैं कुछ ज्यादा ही बिंदास हो गया था. चूंकि मेरे हाथों पर भाभी ने अपने हाथ रख लिए थे और पूरे सर के साथ वो मेरे हाथ को कुछ अजीब से ढंग से दबाते हुए अपने सर की सेवा करवा रही थीं.

मैंने धीरे से मनीषा भाभी के गालों पर भी एक हाथ लगा दिया. जिसका उन्होंने कोई विरोध नहीं किया.
बल्कि वो मेरे हाथ से अपने गाल सहलवा कर ये भी कहने लगीं- जरा ठीक से देखो क्या मेरा शरीर बुखार से गर्म लग रहा है?
मैंने कहा- नहीं भाभी, ऐसा तो नहीं लगा रहा है.

भाभी कहने लगीं- लेकिन न जाने क्यों आज मुझे अपने शरीर में बड़ी थकान सी लग रही है. आपके हाथ से मुझे अपने सर में बड़ा आराम मिल रहा है. प्लीज़ आप मेरे कंधे भी दबा दो.

मैंने भाभी के दोनों कंधों पर हाथ रख दिए और उनके चिकने बदन को सहलाते हुए मजा लेने लगा. अब मेरा लंड कड़क हो चला था और एकदम साफ दिखने लगा था. क्योंकि मैंने लोअर पहन रखा था.

भाभी बोलीं- तुम बेड पर ही बैठ जाओ.

मैं भाभी के बेड पर बैठ गया और भाभी का सर दबाने लगा. उनका सर दबाते हुए कभी कभी मैं अपना हाथ भाभी के गालों पर भी लगा देता. भाभी के गाल बिल्कुल चिकने थे. भाभी के चूचे भी मुझे दिखाई देने लगे थे. मेरा मन करने लगा था कि अभी भाभी के मम्मों को दबा दूँ, लेकिन अभी मैं कोई ऐसी हरकत नहीं करना चाहता था.

मैंने बात शुरू करने के इरादे से पूछा- भाभी और बताओ कि कपिल आपका क्या क्या ध्यान नहीं रखता.

इस पर मनीषा भाभी बोलीं- कपिल हफ्ते में एक बार ही मेरा ध्यान रखता है.
अब मैं समझ तो गया था कि भाभी क्या बोल रही हैं.

फिर भी अनजान सा बनकर मैंने बोला- भाभी मैं समझा नहीं कि हफ्ते में एक बार ही ध्यान रखता है … इसका क्या मतलब हुआ?
भाभी बोलीं- इतने अनजान मत बनो कि समझे नहीं … तुम सब समझते हो.
मैंने उनकी आंखों में झांका.

तो मनीषा भाभी बोलीं- मुझे सोनिया ने (मेरी बीवी का बदला हुआ नाम) सब कुछ बता रखा है कि तुम हफ्ते में पांच दिन उसको नहीं छोड़ते हो.

दोस्तो, मैं आपको बताना चाहूंगा कि मैं हर रोज सेक्स करता हूं. ये मेरी कमजोरी है. मेरी बीवी को पता है कि मुझे बिना चूत चोदे नींद नहीं आती है.

मैंने मनीषा भाभी को बोला- आप अपना सर मेरी गोद में रख लो.
भाभी ने अपना सर मेरी गोद में रख लिया और मैं उनका सर दबाने लगा.

अब तक मेरा लंड अंडरवियर फाड़ने को हो गया था. मैंने अपना एक हाथ भाभी के मम्मों पर रखा और उनके चूचे दबा दिए.

भाभी ने मेरे हाथ पर हाथ रख कर हाथ को दबा दिया.

भाभी की चूचियां एकदम ठोस थीं. उनकी एक औलाद होने के बाद भी चूचियों की कसावट पर कोई असर नहीं पड़ा था.

दोस्तो, मैं आपको बताना भूल गया था कि भाभी के एक लड़का भी है, जो अभी अपने नाना के घर गया हुआ था. एक दस साल का लड़का होने के बाद भी मनीषा भाभी के चूचे एकदम टाइट थे क्योंकि भाभी अपनी फिगर का काफी ध्यान रखती थीं और जिम वगैरह भी जाती थीं.

मैंने भाभी की रजामंदी देखी तो झट से अपना एक हाथ भाभी के सूट के गले में से अन्दर डालकर उनका एक निप्पल पकड़ लिया. भाभी का निप्पल एकदम टाइट और खड़ा हुआ था.

मैंने निप्पल को अपनी दो उंगलियों से मींजते हुए जोर से दबा दिया.

भाभी कराह उठीं- धीरे करो … क्या जान ही निकालोगे?
मैंने- जान निकाल लूंगा, तो बाकी की खुशियां कैसे ले दे सकूंगा.

भाभी हंस दीं भाभी की सेक्स करने की इच्छा थी और मुझे उनकी तरफ से खुली छूट मिल गई.

मैंने वहीं बैठे बैठे भाभी के होंठों पर एक किस कर दिया. भाभी ने भी मेरे होंठों को चूम लिया.

मैंने उनके निचले होंठों को अपने मुँह में भर लिया और मस्ती से चूसने लगा. एक पल बाद ही भाभी ने भी दोनों हाथों से मेरे सर को पकड़कर नीचे कर लिया. वो भी मेरे होंठों को अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं.

मैं भाभी के सर को अपने गोद में लेकर बैठा था इसलिए अब हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे. उनका एक हाथ मेरे लंड पर आ गया और भाभी लंड की तलाश करने लगीं. मैंने झट से भाभी का हाथ अपने लंड पर लगा दिया. वो मेरे लंड को दबाने लगीं.

मैंने भाभी के कुरते के गहरे गले में से एक चूचे को थोड़ा बाहर निकाला और अपने मुँह से काटने लगा.

मुझे बैठे हुए ये सब करने में काफी परेशानी हो रही थी और उनका दूध पूरा बाहर भी नहीं आ रहा था.

मैं उनके पलंग से उठा और मैंने बोला- मैं बाहर सिस्टर को देखकर आता हूं.

मैंने बाहर आकर देखा कि सिस्टर सहित सभी स्टाफ वहीं अपने कम्बल लेकर अपनी कुर्सियों पर बैठे थे. क्योंकि सर्दी का समय था और रात के 11 बज गए थे.

ये सब देख कर मैं वापिस कमरे में आ गया और मैंने दरवाजा बंद कर दिया. लेकिन दरवाजे में कुंडी नहीं थी. पहले तो मुझे लगा कि कुछ गड़बड़ न हो जाए, फिर मैंने सर को झटका दिया और भाभी का सेक्स का फिर से मूड बनाने लगा.

मुझे आज भाभी के चुत चुदाई की बेहद मस्ती चढ़ी थी. भाभी का सेक्स का मन था और मैं ये मौक़ा गंवाने के मूड में बिल्कुल भी नहीं था.

मैंने उनके बिस्तर के पास आकर उन्हें प्यार से देखा, तो भाभी ने आंख मार दी.

मैंने वहीं झुक कर भाभी के कम्बल में हाथ डालकर उनकी कमीज को ऊपर किया और ब्रा से मम्मों को निकालने लगा. लेकिन भाभी की ब्रा इतनी टाइट थी कि मम्मे बाहर निकल ही नहीं सके.

फिर भाभी ने एक साइड को करवट ली और बोलीं कि ब्रा का हुक खोल दो.

जब मैंने ब्रा का हुक खोलने के लिए भाभी की कमीज ऊपर की, तो देखा कि ब्रा काफी अच्छी और महंगी थी.

मैंने कहा कि अच्छा हुआ कि मैंने ब्रा फाड़ी नहीं. ये तो काफी महंगी वाली क्लोविया की ब्रा है.
भाभी हंस दीं और बोलीं- तुमको कैसे मालूम कि ये महंगी है?
मैंने कहा- मुझे इसलिए पता है क्योंकि अपनी बीवी के लिए ब्रा और पेंटी मैं ही खरीदता हूँ.

भाभी हंस दीं और बोलीं- देखो, तुम कपिल के प्यार न करने का सबूत खुद ही दे रहे हो. मैं अपने लिए खुद ही अंडरगारमेंट्स खरीदती हूँ, जबकि तुम खुद सोनिया के लिए ब्रा पैंटी वगैरह लाते हो. मर्द को अपनी बीवी के लिए सेक्सी ब्रा पैंटी खरीदने की चाह होती है कि रात में उसकी बीवी उसकी लाइ हुई सेक्सी ब्रा पैंटी पहन कर उसके सामने आए. मगर कपिल ये सब समझता ही नहीं है.

भाभी की ब्रा क्लोविया की पैडेड ब्रा थी, जोकि बहुत ही सुंदर थी. मैंने उनकी ब्रा का हुक खोल दिया और मनीषा भाभी को सीधा करके उनकी ब्रा हटा दी.

आह क्या मस्त चूचे थे. मैंने देर नहीं की और भाभी का एक निप्पल मुँह में लेकर चूसने लगा. साथ ही दूसरे निप्पल को मसलने लगा. मनीषा भाभी के मम्मों का साईज 36 इंच का था.

उधर मनीषा भाभी ने भी अपने एक हाथ से लोअर के ऊपर से ही मेरा लंड पकड़ लिया.

मैं भाभी के पेट पर किस करने लगा. तो भाभी अपनी कमर को ऊपर उठाने लगीं और मेरे लंड को जोर से दबाने लगीं.

अगले ही पल मनीषा भाभी का हाथ मेरे अंडरवियर में घुस गया था. मैंने भी अपना एक हाथ भाभी के पजामी में डाल दिया और हाथ से महसूस किया कि भाभी की चूत से पानी निकल रहा था, जिससे भाभी की चूत गीली हो गयी थी.

मैंने धीरे से एक उंगली भाभी की चूत में डाल दी. भाभी ‘सी सी आह आह..’ करने लगीं और मेरे लंड को आगे पीछे करने लगीं.

मैंने मनीषा भाभी के ऊपर आते हुए अपनी जीभ की उनकी नाभि में डाल दी. वो पागलों की तरह मचलने लगीं.

अभी ये सब मैं झुककर कर ही रहा था कि भाभी ने अपनी दोनों टांगें खोल दीं. उनकी चुत खुल गई थी, तो मैंने अपनी दो उंगलियां भाभी की चूत में डाल दीं और मैं उनकी चुत को उंगली से ही चोदने लगा.

फिर मैं थोड़ा रुका … क्योंकि मुझे ये डर भी था कि कहीं कोई सिस्टर रूम में ना आ जाए.
इसलिए मैं बोला- भाभी मैं बाहर देख कर आता हूँ.

भाभी बोलीं- कुंडी लगा देना.
मैंने कहा- वही तो दिक्कत है … साली कुंडी है ही नहीं.

भाभी मेरी बेकरारी देख कर हंस दीं.

मैं बाहर आ गया और देखा कि सभी सिस्टर्स अपनी कुर्सी पर बैठकर सो रही थीं. बस एक जाग रही थी.

मैं फिर से रूम में वापिस आ गया. मनीषा टॉयलेट में चली गई थीं.

पांच मिनट के बाद मनीषा भाभी बाहर आ गईं. अब मुझसे रुका नहीं जा रहा था.

मैंने कहा कि भाभी अब जल्दी से दे दो.
भाभी आंख दबा कर बोलीं- क्या दे दूं?
वो थोड़ा मजाक के मूड में आ गयी थीं.

मैंने फिर से कहा- दे दो यार … क्यों सता रही हो.
पर वो बोलीं- पहले ये बताओ कि क्या दे दूं? जब तक तुम बताओगे नहीं … मैं कुछ नहीं करने दूंगी.
मैंने भी बोलने में देर नहीं की और कहा- यार मनीषा, अपनी चूत दे दो.

हालांकि मुझे ये बोलने थोड़ा शर्म लगी. इस डायलॉग के बाद मैं और वो दोनों शर्मा गए.

वो बोलीं- कोई आ जाएगा!
मैंने कहा- अब कोई नहीं आएगा.

ये कहते हुए मैंने पकड़ कर उनको अटेंडेंट वाली बेंच पर बैठा दिया और मैं उनके सामने सीधा खड़ा हो गया. मैं अपने लंड को निकाल कर उसके मुँह में देने लगा.

पहले तो भाभी मना करने लगीं … लेकिन मैंने भी अपना लंड भाभी के होंठों पर लगा दिया. उन्होंने थोड़ा सा मुँह खोला, तो मैंने अपना आधा लंड मुँह में घुसा दिया.

दोस्तो, आपको शब्दों में बता नहीं सकता कि मुझे कितना मजा आ रहा था. भाभी का लंड चूसने का तरीका बिल्कुल ब्लू फिल्मों की तरह था.

मैंने दोनों हाथों से भाभी का सर पकड़ लिया और अपने हाथों से उनके सर को आगे पीछे करने लगा.
आप जानते ही हो कि जब कोई लड़की लंड को चूसती है, तो कितना मजा आता है.

मैं अपनी सभी भाभियों और लड़कियों से कहना चाहता हूं कि जो इस समय मेरी कहानी पढ़ रही हैं, वो जानती होंगी कि एक आदमी को सबसे ज्यादा मजा अपना लंड चुसवाने में ही आता है.

कुछ फीमेल्स को लंड चूसने का सही तरीका नहीं पता होता है, उन्हें मैं बताना चाहता हूँ कि लंड को केवल होंठों से चूसना चाहिए. दांतों का दबाव बिल्कुल नहीं देना चाहिए. और मैं ये सब इसलिए लिख पा रहा हूं कि मैं अब तक कम से कम 20 या 22 फीमेल्स की चुदाई कर चुका हूँ. चलो ये सब बातें करूंगा, तो बातें बहुत लंबी हो जाएंगी. हम वापिस वहीं मनीषा भाभी के पास आते हैं.

अब मैं बिल्कुल जन्नत की सैर कर रहा था क्योंकि मनीषा भाभी लंड को बहुत ही मजे से चूस रही थीं.

मैंने दोनों हाथों से भाभी के मम्मों को दबाना शुरू कर दिया और उनके निप्पलों को उंगलियों से मसलने लगा. मनीषा भाभी भी एकदम रंडी के जैसे लंड चूस रही थीं. उन्होंने मेरे दोनों आंड मुँह में लेकर बारी बारी से चूसे. आह दोस्तों वो आनन्द शब्दों में मैं आपको नहीं लिख सकता. आप केवल महसूस कर सकते हैं.

कुछ ही देर में मेरा रस निकलने वाला था … लेकिन मैंने भाभी को बताया नहीं … क्योंकि अब तो मैं उनके मुँह में ही अपना वीर्य छोड़ना चाहता था.

जैसे ही मेरा वीर्य मनीषा भाभी के मुँह में झड़ा, उन्होंने फट से मेरा लंड बाहर निकाल दिया. आधा वीर्य ही भाभी के मुँह में निकल सका था.

वो उठ कर टॉयलेट में चली गईं. जब वापिस आईं, तो थोड़ी नाराजगी दिखाने लगीं.

मैंने सॉरी बोला, तो वो कुछ नहीं बोल पाईं.

मैंने कहा- भाभी आपके सर का दर्द कैसा है?
भाभी बोलीं- अब ठीक है … तुमको ऐसा नहीं करना चाहिए था.

मैंने कहा- भाभी आप चूसती ही इतने अच्छे से हो कि मुझे होश ही नहीं रहा. मुझे आज तक इतना मजा पहले कभी नहीं आया था. सोनिया ने कभी इतनी अच्छी तरह से मेरा लंड नहीं चूसा था. इसलिए मैं लंड निकाल ही नहीं सका.

भाभी हंस कर बोलीं- तुम मस्का लगा रहे हो.
मैंने कहा- नहीं भाभी कसम से आप पूरा मजा देती हो.
भाभी बोलीं- तुम मुझे नाम से ही बुलाओ … ये भाभी भाभी कहना अच्छा नहीं लग रहा है.

मैंने कहा- ठीक है जान. अब अन्दर भी करने दो.
भाभी बोलीं- नहीं … यहां अब कोई आ जाएगा … तो प्रॉब्लम हो जाएगी.

मैंने टाईम देखा, तो 12.40 हो गए थे. मैं बोला- यार एक काम करते हैं … मैं ही सिस्टर को चैक करवाने के लिए बुला लाता हूँ. फिर उससे कह देंगे कि अब डिस्टर्ब नहीं करना.
मनीषा भाभी बोलीं- हां, ये ठीक रहेगा.

मैं बाहर आया और सिस्टर को सोते से उठा कर बोला- आप पेशेंट को एक बार चैक कर लो, कहीं फीवर वगैरह तो नहीं है.

सिस्टर कमरे में आ गयी और चैक करके बोली कि सब ठीक है, कोई फीवर नहीं है … अब आप सो जाओ. सुबह डॉक्टर आकर चैक करेंगे.

मैंने हां कह दिया तो सिस्टर चली गयी.

भाभी बोलीं- तुम बड़े चालाक हो.
मैंने कहा- क्यों … मैंने क्या चालाकी की?
भाभी बोलीं- कहीं सिस्टर आ ना जाए … इसलिए खुद ही उसे बुला लाए.
मैंने कहा- यार आज मौका मिला था, तो हाथ से कैसे जाने देता.

मैं मनीषा भाभी के होंठों को मुँह में लेकर चूसने लगा और वो भी मेरे मुँह में जीभ डालकर जीभ को घुमाने लगीं. मैं भी मनीषा भाभी की जीभ को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा. मैं दोनों हाथों से मनीषा भाभी के सर को पकड़े हुए था और उनका एक हाथ मेरे लोअर में था.

मेरे लंड को पकड़ कर भाभी उसको आगे पीछे करने लगीं. मेरा मुरझाया हुआ लंड फिर से खड़ा हो गया. अब मैंने अपना मुँह भाभी के होंठों से हटा कर उनके पेट पर रखा और नाभि को किस करने लगा.

मनीषा भाभी गर्म सिसकारियां लेने लगीं.

मैंने उनके पजामे को नीचे कर दिया. भाभी ने काले रंग की पेंटी पहनी हुई थी. मैंने भाभी की पेंटी में उंगली डालकर नीचे कर दी. भाभी ने भी अपनी गांड ऊपर उठा ली.

मैंने किस करना शुरू कर दिया और अपनी जीभ को भाभी के पेट और चूत के आस पास घुमाने लगा. इससे मनीषा भाभी अपनी गांड को ऊपर नीचे करने लगीं. अब मनीषा भाभी पूरी गर्म हो गयी थीं. उन्होंने मेरे लंड को छोड़कर अपने दोनों हाथों से मेरा सर पकड़कर मेरा मुँह अपनी चूत पर रख दिया.

मैंने भी मनीषा भाभी की पूरी चूत अपने मुँह में ले ली और मैं अपनी जीभ उसकी चूत के ऊपर घुमाने लगा.

इससे कुछ ही पलों में मनीषा भाभी की चूत पानी छोड़ने लगी.

मैंने उनको बोला- अब जान तुम उठो और इधर आ जाओ.

मैंने वहां रखी एक कुर्सी को दीवार के पास रखा और उस पर बैठ गया. मैंने अपना लोअर और अंडरवियर एक पैर से निकाल लिया और मनीषा भाभी का भी लोअर और पेंटी एक साइड से निकाल कर लटका दी, ताकि जल्दी पहनने में कोई दिक्कत ना हो.

फिर मैंने मनीषा भाभी को बोला कि तुम मेरी ओर मुँह करके मेरे ऊपर बैठ जाओ और अपने दोनों हाथ दीवार पर रख लो.

वो वैसी ही पोजीशन में मेरे ऊपर बैठ गईं. मैंने लंड पकड़ कर उनकी चूत में फिट किया, तो मनीषा भाभी धीरे धीरे लंड पर बैठती चली गईं. मेरा पूरा लंड मनीषा भाभी की चूत में चला गया. उनको थोड़ा दर्द हुआ, लेकिन थोड़ी ही देर में भाभी को चुदाई में मजा आने लगा.

वो मस्ती से गांड उठाते हुए ऊपर नीचे होने लगीं. मैंने मनीषा भाभी का एक निप्पल अपने मुँह में ले लिया और अपने दोनों हाथों से उनके चूतड़ पकड़ कर उनको लंड पर ऊपर नीचे करने लगा. मनीषा भाभी मादक सिसकारियां लेने लगीं.

मेरा पूरा लंड चूत में जाने लगा था. लेकिन मनीषा भाभी को दिक्कत होने लगी. क्योंकि कुर्सी की हाइट कम थी.
मनीषा भाभी के पैर दर्द करने लगे थे. वो बोलीं- ऐसे नहीं हो पाएगा.

मैंने उनको हटाया और वहीं कुतिया बनाते हुए झुका दिया. मनीषा भाभी ने अपने दोनों हाथ अटेंडेट वाली सीट पर रख लिए और अपनी गांड पीछे कर ली.

मैंने अपने दोनों हाथों से उनके चूतड़ों को पकड़ कर एक ही झटके में लंड चूत में डाल दिया और भाभी की चुदाई शुरू कर दी.

मनीषा भाभी भी मस्ती से अपनी गांड को आगे पीछे करके चुदाई का पूरा मजा ले रही थीं.
भाभी बोलने लगीं- आह अब मजा आ रहा है … आह जोर से करो.

मैंने भी धक्कों की स्पीड बढ़ा दी. मुझे अपना पूरा लंड उसकी चूत में जाता हुआ महसूस हो रहा था. भाभी की चुदाई पूरे जोरों पर थी.

कुछ ही देर में मनीषा भाभी कहने लगीं- आह और जोर से करो … मेरा निकलने वाला है.
मैंने भी अपनी पूरी ताकत लगा दी.

अब मेरा लंड भी झड़ने वाला था. मनीषा भाभी भी मस्त सिसकारियां ले रही थीं. फिर हम दोनों एक साथ झड़ गए.

अब तक हम दोनों पसीने पसीने हो चुके थे. कुछ देर बाद भाभी उठ कर मेरी बांहों में समा गईं. मैं उन्हें सहलाता हुआ अपनी बांहों में थामे रहा.

इसके बाद उस रात में भाभी ने मुझे दो बार और चुत चुदाई करने का मौका दिया.
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